नवंबर उछाल के बाद भारत का रूसी तेल आयात धीरे-धीरे घटा, लेकिन आपूर्ति लगातार जारी
भारतीय रिफाइनरियों को रूस काफी डिस्काउंट देता है। गैर-प्रतिबंधित सप्लायर आपूर्ति बनाए रखते हैं। वहीं, भारतीय राजनीतिक नेतृत्व अमेरिका के दबाव के आगे झुकता नहीं दिखना चाहता है।
अमेरिकी प्रतिबंध प्रभावी होने से ठीक पहले भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में तेजी दिखाते हुए नवंबर में अपनी कुल तेल आयात का 36.6% रूस से लिया। वैश्विक रियल-टाइम डेटा विश्लेषक Kpler के अनुसार, यह अक्टूबर के 33.5% से अधिक है। हालांकि, जून के 44.4% के टॉप आयात से कम है। अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयास में रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिकी ट्रेज़री सचिव स्कॉट बेसेंट ने आरोप लगाया कि ये कंपनियां क्रेमलिन को फंड कर रही हैं।
अमेरिका से तेल आपूर्ति में गिरावट
अक्टूबर में अमेरिका से आयात कुल का 11.8% तक पहुंच गया था, लेकिन नवंबर में यह घटकर 8.8% रह गया। जनवरी 2024 से सितंबर 2025 के औसत 4.9%** की तुलना में यह पहले ही काफी अधिक था, जो संकेत देता है कि भारत रूस से हटकर अमेरिका की ओर झुक रहा था। 27 अगस्त 2025 से अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। क्योंकि भारत रूसी तेल खरीदता रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह दावा करते रहे हैं कि भारत ने रूसी तेल खरीद बंद करने पर सहमति जताई है, जिससे भारत ने कभी इनकार नहीं किया, लेकिन पुष्टि भी नहीं की।
भारत में रूसी तेल जारी रहेगा?
भारतीय रिफाइनरियों को रूस काफी डिस्काउंट देता है। गैर-प्रतिबंधित सप्लायर (जैसे नायारा एनर्जी) आपूर्ति बनाए रखते हैं। जटिल शिपिंग मार्ग और STS (शिप-टू-शिप) ट्रांसफर से प्रतिबंधों को बायपास करना आसान है। वहीं, भारतीय राजनीतिक नेतृत्व अमेरिका के दबाव के आगे झुकता नहीं दिखना चाहता है।
दिसंबर में आएगी गिरावट
Kpler के विश्लेषक सुमित रितोलिया के अनुसार, भारतीय आयातक 21 नवंबर की प्रतिबंध समयसीमा से पहले ही कार्गो शिफ्ट कर रहे थे, जिसके चलते नवंबर में आयात 1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन (mbpd) रहा। उन्होंने बताया कि दिसंबर में यह गिरकर 1.0–1.2 mbpd हो सकता है और फिर लगभग 0.8 mbpd तक नीचे आने की आशंका है। रितोलिया का मानना है कि मध्यम अवधि में भारत गैर-प्रतिबंधित रूसी सप्लायर्स, अधिक जटिल व्यापार चैनलों और मध्य पूर्व से बढ़ी हुई खरीद पर निर्भर हो सकता है।
रूस की ओर से ‘अनुकूलन’ रणनीति
रितोलिया के अनुसार, रूस ने अपने निर्यात को जारी रखने के लिए नई रणनीतियां अपनाई हैं।
⦁ मुंबई के पास STS ट्रांसफर
⦁ यात्रा के बीच में जहाजों का मार्ग मोड़ना
⦁ जटिल लॉजिस्टिक नेटवर्क
इससे तेल की आपूर्ति बनी रहेगी और रिफाइनरियों को अधिक छूट (डिस्काउंट) मिल सकेगी। जब तक दूसरे प्रतिबंध (secondary sanctions) विस्तारित नहीं किए जाते, भारत रूसी तेल का आयात जारी रखेगा—बस अधिक अप्रत्यक्ष और कम पारदर्शी रास्तों से।
मिडिल-ईस्ट से आयात बढ़ने की संभावना
वर्तमान स्थिति में भारतीय रिफाइनरियां मध्य पूर्व (सऊदी अरब, इराक, यूएई, कुवैत), ब्राज़ील, कोलंबिया, अर्जेंटीना, गुयाना, पश्चिम अफ्रीका और अमेरिका-कनाडा से तेल आयात बढ़ा सकती हैं। मध्य पूर्व जनवरी 2024 से अब तक भारत का सबसे बड़ा सप्लायर है—औसतन 44% की हिस्सेदारी के साथ।
रूसी तेल आपूर्ति में गिरावट ‘अस्थायी’
रितोलिया का आकलन है कि रूसी आपूर्ति में कमी अस्थायी होगी और आपूर्ति श्रृंखलाएं जल्द ही पुनर्गठित हो जाएगी। उनके अनुसार, भारत रूसी तेल इसलिए भी जारी रखेगा, क्योंकि यह सस्ता है और भारत अमेरिकी दबाव के आगे झुकता हुआ नहीं दिखना चाहता है।