IndiGo संकट की पिक्चर अभी बाकी है ! अफरातफरी के लिए खुद एयरलाइन कंपनी ही जिम्मेदार

IndiGo की सबसे बड़ी गलती ये है कि वो यह अनुमान ही नहीं लगा पाई कि नए नियम लागू होने के बाद बाद उसे वास्तविक रूप से कितने पायलट या कितने क्रू मेंबर्स की जरूरत होगी. हालांकि इस हफ्ते के बड़े व्यवधान से पहले भी IndiGo पायलटों की कमी से जूझ रही थी, जिसके चलते रोज़ाना 25 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो रही थीं।

Update: 2025-12-05 07:24 GMT
इंडिगो की लापरवाही की वजह से यात्री एयरपोर्ट पर जहां-तहां फंसे हुए हैं

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो की वजह से पिछले चार दिन से एयर ट्रैफिक में बड़ी अफरातफरी फैली हुई है। बीते चार दिन में इंडिगो की एक हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द हो गई हैं और पैसेंजर परेशान हैं क्योंकि उन्हें ये उचित तरीके से ये बताने वाला कोई नहीं है कि आखिर ये सब हो क्यों रहा है। इससे हुआ ये कि सैकड़ों यात्री फंस गए। कई लोगों को अंतिम क्षणों में सूचना मिली लेकिन उनके पास तब वैकल्पिक विकल्पों की कमी थी। लिहाजा यात्री जहां के तहां फंसे रह गए।

इस संकट का सबसे ज्यादा असर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दिख रहा है, लेकिन बैंगलुरू, हैदराबाद, पुणे समेत देश के दूसरे एयरपोर्ट्स में भी इसी तरह के हालात हैं। बताया ये जा रहा है कि इंडिगो एयरलाइंस क्रू मेंबर्स यानी पायलट सहित फ्लाइट ऑपरेट करने वाले लोगों का जो ग्रुप होता है, उसकी कमी से जूझ रहा रहा है। इसी वजह से आज यानी शुक्रवार को ही लगभग 400 फ्लाइट्स रद्द हो गई हैं।

इंडिगो का संकट संसद में उठा

यह मामला आज देश की संसद में भी उठा है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने यह मामला उठाते हुआ कहा, "ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि एक फ्लाइट कंपनी की मोनोपॉली कर दी गई है। मेरा आग्रह है कि सदन को अवगत करवाया जाए कि इस समस्या का समाधान कब तक निकलेगा?"


जहां से शुरू हुआ संकट

इंडिगो के इस सकट की वजह से दिल्ली का IGI एयरपोर्ट देश का सबसे प्रभावित हवाई अड्डा बन गया है, जहां लगभग दो सौ के आसपास डिपार्चर और अराइवल रद्द किए जा चुके हैं। इससे यात्रियों में भारी अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई है। पिछले चार दिनों में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द होने के पीछे कारण एक सीरियल ऑपरेशनल ब्रेकडाउन है, जिसकी शुरुआत इस हफ्ते की शुरुआत में हुई।

Airbus A320 के एक सॉफ्टवेयर एडवाइजरी के कारण फ्लाइट्स देर रात तक खिंच गईं, और जब नई Flight Duty Time Limitations यानी FDTL नियम लागू हुए तो हालात पूरी तरह बिगड़ गए।FDTL नियम का मकसद फ्लाइट के क्रू को थकान को रोकना है और नए नियमों के तहत पायलटों समेत क्रू के दूसरे सदस्यों के लिए अनिवार्य आराम बढ़ा दिया गया है और नाइट ऑपरेशंस सीमित कर दिए गए हैं। इससे पायलटों द्वारा संचालित की जा सकने वाली उड़ानों की संख्या, खासकर रात के समय कम हो गई है।

A320 सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण जब विमान आधी रात के बाद उतरने लगे, तो बड़ी संख्या में पायलट और क्रू अपने अनिवार्य आराम अवधि में चले गए, नतीजा ये हुआ कि विमान ग्राउंड हो गए और एयरलाइंन कंपनी के शेड्यूल गड़बड़ाने लगे। ऊपर से, विंटर शेड्यूल, जिसमें कि 26 अक्टूबर से उड़ानों की संख्या बढ़ा दी गई थी, ने हालात को और खराब कर दिया।

IndiGo की सबसे बड़ी गलती ये है कि वो ये अनुमान ही नहीं लगा पाई कि नए FDTL नियम लागू होने के बाद बाद उसे वास्तविक रूप से कितने पायलट या कितने क्रू मेंबर्स की जरूरत होगी। हालांकि इस हफ्ते के बड़े व्यवधान से पहले भी IndiGo पायलटों की कमी से जूझ रही थी, जिसके चलते रोज़ाना 25 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो रही थीं।

नए नियम क्या हैं?

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का नेटवर्क क्यों लड़खड़ा गया इसकी कुछ वजहें ये हैैं कि नए नियमों के मुताबिक क्रू के लिए साप्ताहिक अनिवार्य 48 घंटे का आराम देना जरूरी है, जो पहले 36 घंटे था। यही नहीं, प्रत्येक पायलट के लिए हफ्ते में अधिकतम दो नाइट लैंडिंग और लगातार केवल दो नाइट ड्यूटी की अनुमति है।इसके अलावा रात के समय से जुड़ी उड़ानों के लिए प्रतिदिन अधिकतम 8 फ्लाइट घंटे की सीमा तय कर दी गई है।

नए नियमों का सबसे बड़ा असर IndiGo पर इसलिए पड़ा है क्योंकि ये एयरलाइन कंपनी high-frequency और high-utilisation वाले ऑपरेशन मॉडल पर चलती है, जिसमें तड़के सुबह और देर रात की उड़ानों की संख्या ज़्यादा होती है।

इंडिगो की लापरवाही

नए DGCA नियम के तहत पायलटों को प्रति सप्ताह 12 घंटे अतिरिक्त आराम दिया गया है। इससे इंडिगो में अचानक पायलटों की कमी हो गई, जिसके कारण 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। हैरानी की बात ये है कि लगभग 60% मार्केट शेयर रखने वाली इंडिगो एयरलाइन 18 महीने की नोटिस अवधि में सिर्फ 200 अतिरिक्त पायलट भी नहीं रख सकी।

DGCA ने एयरलाइंस को 6 से 18 महीने का ट्रांज़िशन पीरियड दिया था। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इंडिगो एयरलाइंस ने भारी लापरवाही की और ये संकट आने दिया वरना एयर इंडिया से लेकर विस्तार और दूसरी एयरलाइन्स की फ्लाइट तो सामान्य गति से चल रही हैं।

इस बीच, इंडिगो एयरलाइन ने यात्रियों से माफ़ी मांगते हुए कहा है कि उसकी टीमें DGCA और अन्य एविएशन अथॉरिटीज़ के साथ मिलकर संचालन को स्थिर करने में लगी हुई हैं लेकिन इस संकट की वजह से यात्रियों में भारी अफरातफरी और भारी नाराजगी है।

इंडिगो संकट के बीच सरकार का हस्तक्षेप

सरकार को भी इसका अंदाजा है, इसीलिए नागरिक उड्डयन मंत्री केआरएम नायडू ने खुद एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें IndiGo का सीनियर मैनेजमेंट भी मौजूद था। इस बैठक में नागरिक उड्डयन सचिव, नागरिक उड्डयन महानिदेशक (DGCA), मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

नायडू ने इंडिगो द्वारा हालात संभालने के तरीके पर गहरा असंतोष जताया और जोर दिया कि नए नियमों के हिसाब से एयरलाइन के पास पर्याप्त तैयारी का समय था। मंत्री ने IndiGo को निर्देश दिया कि वो तत्काल उड़ानें सामान्य करे और ये सुनिश्चित करे कि मौजूदा स्थिति के कारण हवाई किरायों में किसी भी प्रकार की वृद्धि न हो। इंडिगो को ये भी आदेश दिया गया कि उड़ान रद्द करने की जानकारी यात्रियों को पहले से ही दी जाए और जहां जरूरत पड़ने पर होटल आवास सहित सभी जरूरी सुविधाएँ तुरंत उपलब्ध कराई जाएँ, ताकि यात्रियों को कम से कम असुविधा हो।

अभी बना रहेगा संकट

लेकिन इस संकट की पिक्चर अभी बाकी है क्योंकि IndiGo ने संकेत दिया है कि ‘शेड्यूल रीसेट’ के हिस्से के रूप में अगले कुछ दिनों तक उड़ानों में कटौती जारी रहेगी। IndiGo ने आगाह किया है कि संचालन को पूरी तरह स्थिर करने में समय लगेगा और रोज़ाना होने वाली रद्द उड़ानों की संख्या सामान्य स्तर से काफी अधिक बनी रह सकती है।

पीटीआई के मुताबिक IndiGo ने गुरुवार को DGCA को बताया कि उसके संचालन के 10 फरवरी 2026 तक पूरी तरह स्थिर होने की उम्मीद है। देश में हवाई यात्रियों के पास विकल्प सीमित हैं क्योंकि IndiGo देश की सबसे बड़ी बाज़ार हिस्सेदारी रखती है, इसलिए अनुमान है कि जब तक एयरलाइन अपने शेड्यूल पर नियंत्रण नहीं पा लेती, तब तक हजारों यात्री इस अव्यवस्था से प्रभावित होते रहेंगे।



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