'सबूतों को सही से नहीं लिया गया'

कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से बलात्कार और हत्या की शिकार हुई महिला पीजी ट्रेनी डॉक्टर का शव बरामद हुए ठीक एक महीना बीत चुका है, लेकिन जांचकर्ता अभी भी इस बात से अनजान हैं कि अपराध के पीछे क्या कारण था, जिससे कई तरह के रहस्य सामने आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट आज (9 सितंबर) स्वप्रेरणा से मामले की सुनवाई कर रहा है, जबकि राजधानी कोलकाता समेत पूरे पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन जारी है।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।

अब तक अदालत में क्या हुआ

22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस की खिंचाई की थी और इसे "बेहद परेशान करने वाला" बताया था और घटनाओं के क्रम और प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के समय पर सवाल उठाए थे। शीर्ष अदालत ने पहले डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया था। इस घटना को "भयावह" करार देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एफआईआर दर्ज करने में देरी करने और हजारों लोगों को सरकारी सुविधा में तोड़फोड़ करने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की थी।

13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा कोलकाता पुलिस से जांच स्थानांतरित किए जाने के बाद मामले की जांच करने वाले सीबीआई जासूसों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वे अपराध स्थल से सबूतों की कमी के कारण कई बिंदुओं को जोड़ने में असमर्थ थे।

Update: 2024-09-09 07:25 GMT

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