बेइज्जती नहीं कर सकी बर्दाश्त की खुदकुशी, लपेटे में कर्नाटक पुलिस का अधिकारी

Bengaluru Crime News: वर्दी वाला रक्षक की जगह भक्षक बन जाए तब आप किससे उम्मीद करेंगे। कर्नाट पुलिस के एक अधिकारी पर संगीन इल्जाम लगे हैं।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-25 08:41 GMT

Bengaluru Crime: भोवी विकास निगम घोटाले में एक संदिग्ध को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी बेंगलुरु के एक पुलिस अधिकारी पर अब पूछताछ के दौरान महिला को निर्वस्त्र करने, 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और दूसरों के सामने उसे अपमानित करने का आरोप लगाया गया है।पुलिस उपाधीक्षक कनकलक्ष्मी पर 33 वर्षीय बेंगलुरु की व्यवसायी महिला एस जीवा को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है, जो कथित तौर पर कर्नाटक भोवी विकास निगम घोटाले में संदिग्ध है। पुलिस अधिकारियों (Karnataka Police) ने मीडिया को बताया कि जीवा निगम को लकड़ी की सामग्री की आपूर्ति करती थी और उसके खाते में कुछ धनराशि स्थानांतरित की गई थी, जिसके कारण उसके खिलाफ जांच शुरू हुई थी।

सुसाइड नोट में सनसनीखेज जानकारी

बेंगलुरु के पीन्या में लकड़ी की दुकान चलाने वाली एस जीवा पेशे से वकील भी थीं। पिछले शुक्रवार (22 नवंबर) को पुलिस स्टेशन में भोवी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन घोटाले (Bhovi Development corporation scam) से जुड़ी सीआईडी जांच से लौटने के बाद वह अपने घर पर लटकी हुई पाई गईं।  जीवा ने 11 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें डीएसपी कनकलक्ष्मी पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया गया था।पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, जीवा की बहन संगीता एस द्वारा शिकायत किए जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सीआईडी को 14 नवंबर से 23 नवंबर के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एस जीवा से पूछताछ करने की अनुमति दी थी। लेकिन सीआईडी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था।

मानसिक प्रताणना का आरोप
एफआईआर में कहा गया है कि सीआईडी के डीएसपी ने जीवा से उसके कपड़े और अंडरगारमेंट्स उतरवाए और उससे पूछा कि क्या वह साइनाइड लेकर जा रही है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि डीएसपी ने जीवा को मानसिक रूप से परेशान किया और उसे मरने के लिए कहा। अगले कुछ दिनों तक उत्पीड़न जारी रहा। एफआईआर के अनुसार डीएसपी ने एस जीवा से उनकी दुकान पर मुलाकात की और उनके कर्मचारियों के सामने उन्हें अपमानित किया। बनशंकरी पुलिस ने डीएसपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 (सरकारी कर्मचारी को रिश्वत देने से संबंधित अपराध) और भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जांच चल रही है।

भोवी विकास निगम घोटाला

भोवी विकास निगम घोटाला कथित तौर पर 2021-22 में हुआ था और इसमें नौकरशाहों और बिचौलियों ने कथित तौर पर भोवी समुदाय के सदस्यों के लिए एक नौकरी योजना के तहत ऋण के बड़े हिस्से को ठगा था। तीन एफआईआर दर्ज की गईं, एक-एक सिद्दापुरा, डोड्डाबल्लापुर और कलगी में, लेकिन बाद में मामला 2023 में सीआईडी को सौंप दिया गया।

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