हड्डियाँ गायब होने से नहीं कमजोर होगा शीना बोरा हत्याकांड का मामला!

शीना बोरा हत्याकांड में सीबीआई ने 13 जून को अदालत को जानकारी दी थी कि इस केस के अहम सबूत जैसे हड्डियाँ आदि गायब हैं, जिसके बाद सवाल उठा कि ये मामला हल्का पड़ सकता है, लेकिन फॉरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस का कहना है कि इस केस में डीएनए रिपोर्ट काफी अहम है, जो आरोपियों को सजा दिलाने में सक्षम है

Update: 2024-06-19 08:41 GMT

Sheena Bora Murder Case: बहु चर्चित शीना बोरा हत्या मामले में शीना बोरा के कंकाल की हड्डियाँ गायब होने से मची सनसनी के बाद इस बात की चर्चा तेज हो चुकी है कि क्या शीना बोरा को न्याय मिल पायेगा? इस मामले में शीना की मान इन्द्राणी मुख़र्जी ही आरोपी है. इस चर्चा के बीच फॉरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस कर्मियों का कहना है कि अगर डीएनए का मिलान हो चुका है तो फिर हड्डियाँ गायब होने से केस पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा और आरोपी को सजा भी मिल पायेगी. जानते हैं कि आखिर फॉरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस अधिकारीयों का ये तर्क किस आधार पर है?

पहले जानते हैं कि सीबीआई ने अदालत में क्या कहा था

सीबीआई ने 13 जून को मुंबई की अदालत के समक्ष ये कह कर सबको चौंका दिया कि शीना बोरा का जो कंकाल जेजे अस्पताल में रखा गया था, वो गायब है. इसके बाद तो मानों मीडिया में ये केस एक बार फिर चर्चा में आ गया. दरअसल शीना बोरा की हत्या 12 साल पहले हुई थी. मुंबई से लगभग 70 किलोमीटर दूर पेण के जंगलों में पुलिस को एक कंकाल मिला था, जो शीना बोरा का होने का दावा किया गया था. ये कंकाल दो हिस्सों में था. ये भी बताया जा रहा है कि जो कंकाल गायब हुआ है, ये वाही है, जिसका डीएनए टेस्ट नहीं करवाया गया था.

सवाल ये उठ रहा है कि हड्डियाँ गायब होने से इस केस पर कोई फर्क पड़ेगा? क्या आरोपी को इसका फायदा मिलेगा या फिर जांच एजेंसी आरोपी को सजा दिलाने में कामयाब रहेगी? फिलहाल इस मामले की जाँच सीबीआई कर रही है.

इस मामले का खुलासा 2012 में अप्रैल के महीने में हुआ था. शुरुआत में इस मामले की जाँच पुलिस कर रही थी. तब इसकी जाँच दिनेश कदम नाम के पुलिस अधिकारी के पास थी. कदम ने ये दावा किया है कि कंकाल का जो हिस्सा गायब हुआ है, बेशक उसका डीएनए नहीं कराया गया था, लेकिन इसी मामले में 2015 में शीना के ही कंकाल का एक और हिस्सा मिला था, जिसमें खार पुलिस की मदद भी ली गयी थी. उस कंकाल की डीएनए जाँच करायी गयी थी, जिसका मिलान शीना की मान इन्द्राणी, शीना के नाना-नानी और इन्द्राणी के बेटे मिखाइल से करवाया गया था. उसकी रिपोर्ट पोसिटिव थी, यानी मिलन हो गया था. कंकाल का वो हिस्सा अभी भी सुरक्षित है, इसलिए हड्डियाँ गावब होने से केस में कोई फर्क नहीं पड़ेगा और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों को सजा दी जा सकती है.

कुछ ऐसा ही तर्क फॉरेंसिक एक्सपर्ट का भी है

दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग के हेड डॉ बीएन मिश्रा का कहना है कि जब भी किसी केस में हड्डी, खून, शारीर के अंग, बाल आदि बरामद किये जाते हैं तो तुरंत ही उनके सैंपल डीएनए जाँच आदि के लिए भेज दिए जाते हैं. रिपोर्ट आने के बाद उनके बारे में सब कुछ स्पष्ट हो चुका होता है. ऐसे में अगर कंकाल की हड्डियाँ गायब हो गयीं है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मेडिकल की भाषा में कहें तो वो वेस्ट ही है. इसलिए उसके होने या खोने से केस में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

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