गर्म होती धरती का खौफनाक सबूत, मेलिसा ने दिखाई जलवायु संकट की सच्चाई
हरिकेन मेलिसा ने 295 किमी/घंटा की रफ्तार से कैरिबियन देशों में तबाही मचाई। यह इतिहास का तीसरा सबसे शक्तिशाली तूफान है, जो जलवायु संकट की चेतावनी देता है।
अटलांटिक महासागर में हाल ही में आया हरिकेन मेलिसा एक अत्यंत शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात साबित हुआ, जिसने कैरिबियाई देशों क्यूबा, डोमिनिकन रिपब्लिक, हैती और जमैका को गहराई से प्रभावित किया। पिछले कई दशकों में यह क्षेत्र जिस विनाशकारी तूफान से सबसे अधिक हिला है, मेलिसा उसका ताज़ा और भयावह उदाहरण बन गया।
इतिहास का तीसरा सबसे ताकतवर अटलांटिक तूफान
करीब 295 किलोमीटर प्रति घंटे की निरंतर रफ्तार से बहने वाली हवाओं के साथ, मेलिसा को अब तक दर्ज अटलांटिक के इतिहास में तीसरा सबसे शक्तिशाली तूफान माना गया है — 1935 के "लेबर डे" हरिकेन के बराबर।यह तूफान न केवल हवा की तीव्रता में भीषण था, बल्कि अपने आकार में भी असाधारण रूप से विशाल था। इसके केंद्र से करीब 70 किलोमीटर तक हरिकेन-स्तरीय हवाएं फैल चुकी थीं, जिसने कैरिबियाई द्वीपों के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया।
परिणामस्वरूप 83 लोगों की मौत हुई और करीब 6 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह इस बात का उदाहरण है कि ग्लोबल वार्मिंग प्राकृतिक आपदाओं को कैसे और घातक बना रही है।
वायुदाब और तूफान की शक्ति
वैज्ञानिक किसी भी हरिकेन की ताकत को उसके वायुमंडलीय दबाव (Atmospheric Pressure) से मापते हैं। समुद्र-स्तर पर जितना कम दबाव होता है, तूफान उतना ही शक्तिशाली होता है। सामान्य वायुदाब लगभग 1013 मिलिबार होता है। इसके मुकाबले 2005 का हरिकेन विलमा — 882 मिलिबार (सबसे तीव्र),1988 का हरिकेन गिल्बर्ट — 888 मिलिबार, 2025 का हरिकेन मेलिसा — 892 मिलिबार था। इस प्रकार, मेलिसा तीसरे स्थान पर रहा और इसे एक ऐतिहासिक आपदा की श्रेणी में रखा गया।
कैसे बना मेलिसा?
अटलांटिक हरिकेन सीज़न हर साल जून से नवंबर के बीच सक्रिय रहता है, जब औसतन 14 नामित तूफान बनते हैं। इनमें से लगभग 7 हरिकेन और 3 ‘मुख्य’ हरिकेन बनते हैं। परंतु, सुपर हरिकेन जैसी घटनाएँ बहुत दुर्लभ होती हैं — मेलिसा उनमें से एक थी। मेलिसा की उत्पत्ति अक्टूबर के मध्य में पश्चिम अफ्रीका के तट के पास एक निम्न-दाब तंत्र के रूप में हुई। 21 अक्टूबर तक यह एक उष्णकटिबंधीय तूफान में बदल चुका था, लेकिन शुरुआती दिनों में इसकी संरचना अव्यवस्थित थी।
फिर अचानक स्थितियां बदल गईं — तूफान कैरिबियन के उस क्षेत्र में पहुंच गया जहाँ समुद्र का तापमान सामान्य से 1.5°C अधिक था। यही गर्म समुद्री जल हरिकेन के लिए ईंधन का काम करता है। गर्म और नम हवा ऊपर उठती है, बादल बनते हैं और वर्षा के साथ ऊष्मा निकलती है यही ऊष्मा तूफान के इंजन को ताकत देती है।
48 घंटे में दैत्य में बदल गया तूफान
25 अक्टूबर को मेलिसा ने तेजी से तीव्रता बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की। सिर्फ 18 घंटे में इसकी हवाएं 115 किमी/घंटा से बढ़कर 225 किमी/घंटा हो गईं।अगले 48 घंटे में यह 295 किमी/घंटा तक पहुंच गया — और तब यह कैटेगरी-5 हरिकेन में तब्दील हो गया।28 अक्टूबर को यह जमैका के न्यू होप के पास टकराया।
कैरिबियन में तबाही की तस्वीर
कैरिबियन क्षेत्र हरिकेनों का आदी है, परंतु इस तीव्रता के तूफान बहुत कम देखे जाते हैं। संचार व्यवस्था ठप हो गई, सड़कें और पुल बह गए, अस्पताल और जल प्रणालियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं। बुनियादी ढांचे को हुआ यह व्यापक नुकसान राहत कार्यों और पुनर्निर्माण दोनों में बड़ी बाधा बना।जमैका को तबाह करने के बाद, मेलिसा ने क्यूबा के चिविरीको तट पर दोबारा दस्तक दी, जहाँ तक पहुँचते-पहुँचते यह कैटेगरी-3 हरिकेन रह गया।इसके बाद यह उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ते हुए बरमूडा के पास कैटेगरी-2 में कमजोर पड़ा और 4 नवंबर को आइसलैंड के दक्षिण-पूर्व में जाकर समाप्त हो गया।
जलवायु परिवर्तन की भूमिका
वैज्ञानिकों का मानना है कि मेलिसा जैसे सुपर हरिकेन ग्लोबल वार्मिंग की प्रत्यक्ष चेतावनी हैं।आज उपलब्ध उन्नत कंप्यूटर मॉडलिंग तकनीकें, जैसे इंपीरियल कॉलेज स्टॉर्म मॉडल (IRIS), यह दिखाती हैं कि जलवायु परिवर्तन ने मेलिसा जैसे तूफानों की संभावना पांच गुना बढ़ा दी है।
अध्ययन में पाया गया कि यदि पृथ्वी का औसत तापमान 1.3°C ठंडा होता (औद्योगिक युग से पहले जैसा था), तो मेलिसा जैसी घटना 8,100 वर्षों में केवल एक बार होती।जबकि आज की गर्म होती दुनिया में ऐसा तूफान हर 1,700 वर्षों में हो सकता है।
मॉडल यह भी दिखाता है कि अब ऐसे तूफानों की हवा की तीव्रता 7% अधिक हो गई है। यह वृद्धि सुनने में भले छोटी लगे, लेकिन इसका मतलब है कि संभावित नुकसान कई गुना अधिक हो सकता है।
बारिश और जलवायु का नया समीकरण
मेलिसा से हुई बारिश विशेष रूप से जमैका में लगातार पाँच दिनों तक हुई मूसलाधार वर्षा — सामान्य से लगभग 30% अधिक तीव्र पाई गई।अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड वेदर अट्रिब्यूशन (WWA) की रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन ने मेलिसा की अधिकतम हवा की गति 7% और अत्यधिक वर्षा 16% तक बढ़ा दी।
गर्म होती धरती, खतरनाक तूफान
हरिकेन मेलिसा यह स्पष्ट संदेश देता है कि बढ़ता समुद्री तापमान और मानवजनित कार्बन उत्सर्जन पृथ्वी को और असुरक्षित बना रहे हैं।विज्ञान अब यह पुख्ता रूप से दिखा चुका है कि जलवायु परिवर्तन न केवल तूफानों की संख्या बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें और शक्तिशाली और बरसाती भी बना रहा है।
अब ज़रूरत है कि विश्व समुदाय एकजुट होकर कार्बन उत्सर्जन घटाने और ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार थामने की दिशा में ठोस कदम उठाए वरना मेलिसा जैसे तूफान आने वाले समय का सामान्य दृश्य बन सकते हैं।