बेहतर परसेंटाइल फिर भी मनपसंद स्कूल नहीं, UPSC से NTA को सीखना चाहिए ?

जेईई मेन्स एग्जाम 2024 में 56 छात्रों को 100 परसेंटाइल मिले हैं, वैसे छात्र जो 99.432167 तक परसेंटाइल मिले हैं उनके सामने मनपसंद स्कूल चुन पाने की चुनौती है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-04 08:58 GMT

NTA Vs UPSC: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने साल 2024 के दो महीनों जनवरी और अप्रैल में जेईई मेन्स का एग्जाम आयोजित कराया था. परीक्षा के दोनों सेशन में कुल 14 लाख स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया था.यह संख्या पिछले साल से तीन लाख अधिक थी. अगर परसेंटाइल टर्म्स की बात करें तो जेईई 2024 मेन्स कटऑफ जनरल कैटिगरी के लिए 93.23 ईडब्लयूएस के लिए 81.32 फीसद ओबीसी के लिए 79.67 और एसएसी के लिए 60.09 फीसद था. देश के मशहूर इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए यह न्यूनतम परसेंटाइल मार्क्स थे. जबकि पिछले साल जनरल कैटिगरी के लिए 90.77 ईडब्लयूएस के लिए 75.62 फीसद ओबीसी के लिए 73.61 और एसएसी के लिए 51.97 फीसद था. अगर कटऑफ को देखें तो इसमें इजाफा होता जा रहा है. इस एग्जाम में छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दशमलव के सातवें स्थान तक कटऑफ नंबर दिए गए हैं. मसलन जनरल कैटिगरी के लिए 93.2362181, ओबीसी के लिए 79.6757881.

परसेंटाइल अच्छा,  फिर भी अच्छे कॉलेज की दिक्कत

खास बात यह है कि 31 एनआईटी, 25 आईआईटी, 28 सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज में एडमिशन के लिये यह न्यूनतम परसेंटाइल है. 2024 के एग्जाम रिजल्ट में 56 छात्र 100 परसेंटाइल पाने में कामयाब हुए हैं जो पिछले साल से 13 अधिक हैं. अब इसे ऐसे समझिए, मान लीजिए कि आप को 99.68 परसेंटाइल आए तो आपकी रैंक 5 हजार होगी. 99 फीसद होने पर रैंत 15,890, 98.432 होने परह 25 हजार रैंक होगी. अगर आप 94 परसेंटाइल पाते हैं तो 84 हजार रैंक होगी.इन रैंक के आधार पर ही छात्र को कॉलेज और स्ट्रीम चुनने का मौका मिलता है. इसका अर्थ यह है कि अगर आप की परसेंटाइल 99 भी है तो जरूरी नहीं कि आप मनपसंद कॉलेज में दाखिला पाएंगे.

यूपीएससी क्यों है अलग

अब एनटीए एग्जाम की तुलना यूपीएससी एग्जाम से करते हैं. यूपीएससी , भारत की सबसे कठिन परीक्षा है, इसके जरिए आईएएस, आईपीएस,आईएफएस और केंद्रीय सेवाओं के लिए चयन होता है. इसमें चयन की प्रक्रिया में प्रारंभिक स्तक पर एमसीक्यू सवाल, मेन्स स्तर पर लॉग आंसर टाइप सवाल और अंत में इंटरव्यू किया जाता है. अंतिम नतीजे मेन्स और इंटरव्यू में मिले नंबर को जोड़कर जारी किये जाते हैं, जेईई की तरह यूपीएससी एग्जाम में भी हर साल 11 से 13 लाख अभ्यर्थी शामिल होते हैं और करीब एक हजार पदों के लिए चयन होता है.

आदित्य श्रीवास्तव जिन्होंने यूपीएससी एग्जाम 2023 को टॉप किया उन्हें कुल 2025 मार्क्स में 1099 अंक मिले. अगर प्रतिशत की बात करें तो 54 फीसद के करीब है. अगर परसेंटाइल की बात करें तो वो 100 परसेंटाइलर हैं, हालांकि यूपीएसी परसेंटाइल सिस्टम पर काम नहीं करती. पिछले कई वर्षों से इस तरह का ट्रेंड चल रहा है,पिछले 10 वर्षों में कुल 2025 अंक में कोई भी अभ्यर्थी 1126 से अधिक नंबर नहीं हासिल कर पाया है. लेकिन यदि आप जेईई के नतीजों को देखें तो परीक्षार्थी 300 में से 300 अंक हासिल करने में कामयाब हुए हैं.

आखिर कहां है दिक्कत

पहला तर्क तो यह है कि परीक्षार्थियों की बढ़ती संख्या. दूसरी जिस तरह से अब कोचिंग इंस्टीट्यूट छात्रों के स्किल और सवालों की प्रकृति को लेकर तैयारी करा रहे हैं उसकी वजह से परीक्षा में सवालों को सॉल्व करने की दर में इजाफा हुआ है. पुणे स्थित आईआईएसईआर के प्रोफेसर कहते हैं कि अतीत में जेईई एग्जाम के सवाल ओपन एंडेड होते थे. यानी कि होशियार छात्र अगर नतीजों तक नहीं पहुंच सका है तो भी मार्किंग सिस्टम के दायरे में आता था. अब ऐसी सूरत में एक सुझाव यह दिया जाता है कि परीक्षार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुये एमसीक्यू सिस्टम को एडॉप्ट किया जाए. उस तरह की सूरत में छात्र स्पीड पर ध्यान देगा लेकिन सोचने समझने की क्षमता में कमी आएगी

सबसे पहले तो सरकारी एजेंसी एनटीए को भी यूपीएससी से सीखने की जरूरत है. एलिमिनेशन टेस्ट की तरह एनटीए को भी लॉग फॉर्मेट और इंटरव्यू के बारे में सोचना चाहिए, इससे अच्छी गुणवत्ता वाले छात्र मिलेंगे, अगर यूपीएससी इतने बड़े स्तर पर इसे कामयाबी के साथ जमीन पर उतार सकती है तो एनटीए क्यों नहीं कर सकती. यही नहीं आईआईएसईआर के प्रोफेसर कहते हैं कि एमसीक्यू की जगह एंहांस्ड एमसीक्यू को अमल में लाना चाहिए. अब इसका मतलब क्या है.

एनहांस्ड एमसीक्यू

  • इसके तहत सवालों में 10 से 15 विकल्प होने चाहिए ताकि रिसर्च का दायरा बढ़े. गेस करने का स्कोप खत्म हो जाए.
  • इसमें सभी ऑप्शन को सही मॉर्क करने की जगह 2 से तीन विकल्प भी अगर छात्र सही मार्क करे तो वो मार्किंग सिस्टम का हिस्सा बने
  • अगर छात्र से दो से तीन सही विकल्प पर मॉर्क करे तो उसे पूरा नंबर मिले
  • गलत जवाब पर नेगेटिव मार्किंग की व्यवस्था हो.
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