'दो बार गलती की लेकिन अब नहीं', नीतीश कुमार बार बार क्यों देते हैं सफाई
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि अब एनडीए से अलग होंगे। इतिहास में दो बार गलती की थी लेकिन अब उसे नहीं दोहराएंगे।
Nitish Kumar News: इतिहास बेरहम होता है वो किसी भी शख्स का मुल्यांकन बहुत ही निर्मम तरीके से करता है। वर्तमान में जो अच्छाइयां या बुराइयां आप करते हैं उसके बारे में इतिहास अपने तरीके से गुणा गणित करता है। दरअसल बिहार के सीएम नीतीश कुमार को बार बार सफाई देनी पड़ जाती है कि वो एनडीए(NDA Government in Bihar) का हिस्सा हैं और बने भी रहेंगे। कुछ बात पहले हुई थी। लेकिन भविष्य में वो काम नहीं करेंगे। यहां सवाल यह है कि नीतीश कुमार इस तरह की बात के जरिए किसी और राजनीतिक संभावना की तलाश तो नहीं कर रहे हैं। या उन्हें यह बात समझ में आ रही है कि अब आरजेडी(RJD) के साथ हाथ मिलाते हैं तो राजनीतिक वनवास का सामना करना पड़ जाएगा। लेकिन उससे पहसले समझेंगे कि दोबारा गलती नहीं होगी वाली बात उन्होंने कहां की।
एक बार फिर कह रहा हूं..
तरारी विधानसभा उपचुनाव(Bihar Assembly By poll 2024) के लिए एनडीए उम्मीदवार भाजपा के विशाल प्रशांत के पक्ष में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा, "मैंने पहले भी कहा है...मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि हम (भाजपा-जदयू) पहले भी साथ थे। मैंने राजद के साथ हाथ मिलाकर दो बार गलती की...मैं पहले भी दो बार इधर-उधर गया...लेकिन अब मैं फिर से एनडीए में आ गया हूं। मैं एनडीए के साथ स्थायी रूप से जुड़ा रहूंगा।" उन्होंने कहा, "हम 2005 से बिहार के विकास के लिए काम कर रहे हैं।
आरजेडी का डीएनए सांप्रदायिक
2005 के बाद बिहार में कई बुनियादी ढांचे और विकास कार्य किए गए हैं और एनडीए शासन में यह आगे भी जारी रहेगा।" कुमार ने राजद पर राज्य में आगामी उपचुनावों में सांप्रदायिक आधार पर वोटों का "ध्रुवीकरण" करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "वे (राजद) हमेशा सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने की कोशिश करते हैं। जब बिहार में राजद सत्ता में थी, तो राज्य में कई सांप्रदायिक झड़पें हुईं। लेकिन, अब जब एनडीए सत्ता में है तो स्थिति बिल्कुल अलग है। मुझे यकीन है कि लोग राज्य में आने वाले उपचुनावों में इंडिया ब्लॉक को करारा जवाब देंगे।बिहार की चार विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे, जिसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। चारों विधानसभा सीटें विधायकों के लोकसभा में चुने जाने के बाद खाली हुई थीं। जिन चार सीटों पर उपचुनाव होंगे, वे हैं रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज।
बिहार की सियासत को करीब से समझने वाले कहते हैं कि नीतीश कुमार अब अपने दम पर सरकार भले ही ना बना सकें। वो बीजेपी आ आरजेडी की मदद कर सकते हैं। अब आप 2020 के नतीजे को देखें तो तीसरे नंबर की पार्टी यानी जेडीयू सरकार बनाने में कामयाब रही होती। एक बार बीजेपी के साथ दूसरी दफा आरजेडी के साथ और तीसरी दफा फिर बीजेपी के साथ। यानी कि इस पांच साल में नीतीश कुमार के सहयोगी बदलते रहे। यहां आप सोच रहे होंगे कि जेडीयू की संख्या यानी नीतीश कुमार की संख्या कम होने के बाद भी उन्हें ये दल इतनी तरजीह क्यों देते हैें। इस सवाल का जवाब गणित में छिपी है। जैसे संख्या 10 हासिल करने के लिए आपके पास 9 का आंकड़ा है लेकिन एक की कमी है. ऐसी सूरत में संख्या एक की वैल्यू कम होने के बाद भी उसकी भूमिका अहम हो जाती है, ठीक वैसे ही बिहार की सियासत में नीतीश कुमार की भूमिका है।