महाराष्ट्र में साथ रह कर भी अलग अलग 'मत' वाले, सीएम के नाम पर एमवीए में बंटी राय

शिवसेना (यूबीटी) मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की इच्छुक है, लेकिन अन्य गठबंधन सहयोगियों का मानना है कि राज्य में सत्ता में वापसी पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

Update: 2024-08-25 12:24 GMT

Maharashtra Assembly Elections : महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस, एनसीपी-एसपी और शिवसेना (यूबीटी) वाले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने को लेकर एकमत नहीं बन पा रहा है.

ये मतभेद तब शुरू हुआ जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल ही में एमवीए बैठक के दौरान घोषणा की कि उनकी पार्टी कांग्रेस या शरद पवार की एनसीपी-एसपी द्वारा घोषित किसी भी उम्मीदवार का बिना शर्त समर्थन करेगी. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता हमेशा 'गद्दारों' को सत्ता से बाहर करना रही है. उनका इशारा स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर था, जो शिवसेना में विभाजन का कारण बने.

चुनाव से पहले सीएम का चेहरा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन सिर्फ़ प्रत्येक पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या के आधार पर नहीं होना चाहिए. इसके बजाय उन्होंने प्रस्ताव दिया कि एमवीए के वरिष्ठ नेताओं को मिलकर एक उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए, जिसका वे बिना किसी शर्त के समर्थन करेंगे.
ठाकरे ने कहा, "एमवीए के सीएम चेहरे को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. मैं गठबंधन के सभी नेताओं से अपील करता हूं, चाहे वो पृथ्वीराज चव्हाण हों या शरद पवार, सीएम के लिए अपनी पसंद की घोषणा करें और मैं बिना शर्त उनका समर्थन करूंगा." उन्होंने एमवीए सहयोगियों से चुनाव प्रचार शुरू करने से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने का आग्रह किया.
हालांकि, उनकी टिप्पणी अन्य गठबंधन सहयोगियों को पसंद नहीं आई, जिनका मानना है कि राज्य में सत्ता में वापसी पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए और मुख्यमंत्री पद के चेहरे के मुद्दे पर बाद में विचार किया जा सकता है.

कांग्रेस ने नहीं दी ठाकरे के कदम को तवज्जो
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि एमवीए को विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ना चाहिए, साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इस तरह के फैसले पार्टी हाईकमान के हाथ में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि प्राथमिकता सत्ता में वापसी होनी चाहिए. उन्हें लगता है कि एमवीए का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बाद में तय किया जा सकता है.

चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों द्वारा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की कोई परंपरा नहीं रही है. उन्होंने कहा, "विपक्षी दलों ने पहले कभी विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और इस बार भी ऐसा ही होगा. यहां तक कि सत्तारूढ़ दल के पास भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं है. अगर मुख्यमंत्री खुद चुनाव प्रचार का नेतृत्व करते हैं, तो यह अलग बात है."

'सत्ता परिवर्तन पर ध्यान'
एनसीपी-एसपी अध्यक्ष शरद पवार ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी से कोई भी शीर्ष पद के लिए प्रस्तावित होने में रुचि नहीं रखता है और इसके बजाय वे चुनावी राज्य में सरकार बदलने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि वे कम से कम सीएम का चेहरा तो नहीं होंगे और कहा कि उनकी प्राथमिकता राज्य में सरकार का बदलाव है. उन्होंने कहा, "हम यहां सरकार में बदलाव चाहते हैं, क्योंकि हम राज्य को अच्छा शासन देना चाहते हैं. इसलिए, सीएम कौन होगा या नहीं होगा, ये मेरे लिए कोई सवाल नहीं है. कम से कम मैं तो नहीं ही होऊंगा."
वरिष्ठ नेता ने कहा, "हम (एमवीए के अन्य सहयोगियों के साथ) एक ही पृष्ठ पर रहकर राज्य के लोगों को बेहतर प्रशासन देना चाहते हैं." उन्होंने महसूस किया कि एमवीए को जल्द से जल्द सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा, "मेरी उनसे अपेक्षा है कि वे जल्द से जल्द सीटों पर फैसला लें और राज्य के लोगों को एक स्पष्ट तस्वीर दें."
2019 के चुनावों में कांग्रेस ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 सीटें जीतीं, जबकि अविभाजित एनसीपी ने 121 में से 54 सीटें जीतीं. 2019 में कांग्रेस और अविभाजित एनसीपी सहयोगी थे. उस समय भाजपा के साथ गठबंधन करने वाले उद्धव ठाकरे ने 124 सीटों पर चुनाव लड़ा और 56 सीटें हासिल कीं, जबकि भाजपा ने 164 में से 105 सीटें जीतीं.

सेना (यूबीटी) उद्धव के लिए वकालत कर रही है
ऐसी खबरें हैं कि शिवसेना (यूबीटी) ने पहले ही कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को एमवीए के सीएम उम्मीदवार के रूप में उद्धव ठाकरे के नाम की अपनी बात बता दी है.
हालांकि, इससे कांग्रेस में नाराजगी पैदा हो गई है और कुछ लोगों का कहना है कि पार्टी ने लोकसभा चुनावों में अन्य एमवीए सहयोगियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, तथा 17 सीटों पर चुनाव लड़कर 13 सीटें जीती हैं, जबकि शिवसेना (यूबीटी) को 21 में से 9 और एनसीपी-एसपी को 10 में से 8 सीटें मिली हैं.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ठाकरे खुद को एमवीए के सीएम चेहरे के लिए स्वाभाविक पसंद के रूप में पेश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें न केवल मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया, बल्कि उनकी पूरी पार्टी को “चुराने” के भी प्रयास किए गए, जो अभूतपूर्व है.
हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने ठाकरे द्वारा एमवीए के सीएम चेहरे की घोषणा के लिए दबाव बनाने के कदम के पीछे दबाव की राजनीति के दावों का खंडन किया. राउत ने अपने पार्टी प्रमुख का बचाव करते हुए कहा, "उद्धव ठाकरे की मांग में क्या गलत है? ठाकरे पूर्व मुख्यमंत्री हैं. उनका चेहरा सभी को स्वीकार्य है. उन्होंने अपने बारे में कुछ नहीं कहा. अगर किसी में हिम्मत है, तो उन्हें अपना सीएम चेहरा घोषित करना चाहिए."
वहीँ ये स्पष्ट है कि शिवसेना (यूबीटी) चाहेगी कि एमवीए ठाकरे को अपना सीएम चेहरा घोषित करे, लेकिन अन्य दो गठबंधन सहयोगी इस विचार के प्रति बहुत उत्सुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि नेता को पेश नहीं करने से विपक्षी गुट को विधानसभा चुनावों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है.


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