हरियाणा में गुटबाजी के बीच कांग्रेस ने हुडा को दिया 'वॉक ओवर'

कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है. ऐसा इसलिए कि गुटबाजी पर नियंत्रण रखा जा सके, लेकिन जिस तरह से पार्टी ने टिकट वितरण में हुडा की बात को एकतरफा तरजीह दी है, उससे साफ़ संकेत यही है कि जीत मिलने पर हुडा ही मुख्यमंत्री होंगे.

Update: 2024-09-14 05:50 GMT

Haryana Assembly Elections 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अन्दर भी असंतोष बढ़ गया है, खासतौर से टिकट वितरण के बाद. पार्टी के अन्दर शुरू हुए इस गतिरोध से चुनाव में कांग्रेस को कितना नुकसान होगा कितना नहीं, ये तो परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा. बहरहाल कांग्रेस द्वारा वितरित की गयी सीट से इस बात के संकेत स्पष्ट हैं कि अगर कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता है, तो मुख्यमंत्री पद के लिए भूपिंदर सिंह हुडा या उनके बेटे दीपेंदर हुडा में से किसी एक का चयन आसानी से हो जायेगा. ये बात इसलिए कही जा सकती है क्यूंकि पार्टी ने हरियाणा की 90 सीटों में से 72 पर हुडा की पसंद के लोगों को उम्मीदवार बनाया है.


पार्टी ने अलग अलग गुटों को दिया था मुख्यमंत्री चुनने का मन्त्र
हरियाणा में कांग्रेस के अन्दर मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरुआत से ही गतिरोध जारी है. प्रदेश की वरिष्ठ व दलित महिला नेता कुमारी सैलजा मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर चुकी हैं. वो यहाँ तक कह चुकी हैं कि प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री बनना चाहिए और वो इसके लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं, क्योंकि वो महिला भी हैं और हरियाणा की राजनीती में कई सालों से सक्रीय हैं. सैलजा अभी सिरसा से कांग्रेस की सांसद हैं.
कुमारी सैलजा के अलावा कांग्रेस के जिस वरिष्ठ नेता ने मुख्यमंत्री पद के लिए ताल ठोकी हुई है, वो हैं रणदीप सुरजेवाला.
रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा की हुडा गुट से नहीं बनती है. इस बात का पता कांग्रेस आलाकमान को भी है.

गतिरोध को रोकने के लिए पार्टी ने सुझाया था जिसके ज्यादा विधायक वो होगा मुख्यमंत्री
हरियाणा विधानसभा चुनाव का आगाज़ होते ही कांग्रेस के अन्दर खेमेबाजी शुरू हो गयी थी. हुडा बनाम कुमारी सैलजा और सुरजेवाला शुरू हो गया था. तभी हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया ने पत्रकारों से कहा कि किसी भी सांसद को विधायक की टिकट नहीं दी जाएगी. इसके पीछे का सन्देश यही था कि हुडा ही मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं.
कांग्रेस पार्टी के ही हरियाणा प्रदेश के नेताओं ने ये भी कहा कि बावरिया हुडा के नजदीकी हैं और उन्हीं की पैरवी करते हैं. इस आरोप के बाद बावरिया ने नया बयान दिया कि मुख्यमंत्री बनने के लिए पहले से विधायक होना जरुरी नहीं.
बावरिया के इस बयान को गुटबाजी शांत करने का कदम बताया गया.
इसी बीच पार्टी ने ये फार्मूला निकाल दिया कि परिणाम के बाद कांग्रेस जीतती है, वो विधायक दल अपना नेता चुनेगा. जिस खेमे के समर्थन में विधायक ज्यादा होंगे वो मुख्यमंत्री बनेगा.

अपने अपने समर्थकों की टिकट दिलाने की लगी थी होड़
पार्टी के इस फार्मूला के बाद से हरियाणा में बने गुटों ने अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने के जी जान लगा दिया. हरियाणा के प्रभारी दीपक बावरिया और टिकट बांटने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अजय माकन पर हुडा के समर्थन के आरोप लगते रहे हैं, इसलिए ये माना जा रहा था कि कुमारी सैलजा और सुरजेवाला की टिकट दिलाने में कोई अहम् भूमिका नहीं रहेगी.
हालाँकि ये कहा गया कि कुमारी सैलजा और सुरजेवाला की पैंठ दिल्ली में हाई कमांड से है, लेकिन जिस तरह से टिकट बांटे गए तो उससे भी ये प्रतीत नहीं होता कि हाई कमांड ने इन दोनों नेताओं की कुछ सुनी हो.

हुडा को मिला वॉक ओवर
पार्टी सूत्रों का कहना है की टिकट वितरण से ये साफ़ है कि पार्टी ने हुडा पर विश्वास जताया है और उन्हीं के चयन पर भरोसा भी. इससे ये भी साफ़ है कि पार्टी ने हुडा को वॉक ओवर दिया है, जिससे चुनाव जीतने की स्थिति में उनके मुख्यमंत्री बनने की राह को सरल बनाता है.

कंग्रेस ने नहीं किया मुख्यमंत्री के नाम का एलान
हरियाणा चुनाव में जहाँ बीजेपी ने मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान कर दिया है तो वहीँ कांग्रेस ने इस बार चुनाव बगैर चेहरे के लड़ने का मन बनाया है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि चेहरा सब को पता है लेकिन पार्टी इसलिए अभी से सार्वजानिक नहीं करना चाहती क्योंकि गतिरोध के साथ साथ दलित फैक्टर पर भी पार्टी को नुक्सान होने की चिंता है.
राहुल गाँधी हर मामले में बीजेपी और केंद्र सरकार पर दलित और ओबीसी को लेकर आरोप लगाते रहते हैं. ऐसे में कुमारी सैलजा ने जिस तरह से अपनी दावेदारी पेश की है, अगर कांग्रेस उसे सिरे से नकार देती है तो न केवल इस चुनाव में बल्कि पूरे देश में राहुल गाँधी द्वारा किये जाने वाले दलित, ओबीसी प्रेम को भी नुक्सान होगा.


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