बीजेपी के लिए हरियाणा कुरुक्षेत्र की तरह, करो या मरो का साफ संदेश

हरियाणा विधानसभा चुनाव वैसे तो सभी राजनीतिक दलों के लिए खास है। लेकिन यहां हम बताएंगे कि बीजेपी की जीत या हार का मायने क्या होगा।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-20 01:45 GMT

Haryana Elections 2024: आम चुनाव 2024 के बाद दो राज्यों झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। वैसे तो दोनों राज्यों के नतीजे राजनीतिक दलों की दशा और दिशा को निर्धारित करेंगे। लेकिन बीजेपी के लिए हरियाणा खास है। बीजेपी के लिए कुरुक्षेत्र की तरह हरियाणा है, यह राज्य करो या मरो का साफ संदेश दे रहा है, हैट्रिक बनाने का मौका है, आम चुनाव में कम हुई सीटों का बदला लेने का अवसर है। अगर भगवा दल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करता है तो संदेश साफ होगा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा पांच सीटों पर कब्जा महज संयोग था। यदि हार होती है तो देश भर में संदेश जाएगा कि पार्टी का ग्राफ गिर रहा है। पार्टी कमजोर हो रही है और यह आने वाले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ठीक नहीं होगा।

हरियाणा की लड़ाई में बीजेपी की लड़ाई दूसरे दलों के साथ साथ अपनों से भी है। अपनों का मतलब बागियों से। हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि बागियों की समस्या किसी एक दल तक सीमित नहीं है। लेकिन जब किसी राजनीतिक दल के सामने लक्ष्य बड़ा होता है, तो छोटी छोटी बाधाएं भी बड़ी मुश्किल बन कर आती है। बीजेपी के सामने 10 साल का एंटी इंकंबेंसी तो है इसके साथ ही टिकट बंटवारे के बाद उपजी नाराजगी भी है। मसलन राम बिलास शर्मा का जब टिकट कटा तो उसका बड़े पैमाने पर विरोध दिखाई दिया।

बीजेपी के साथ साथ दूसरे दलों के नेताओं ने कहना शुरू किया दरअसल बीजेपी किसी कि अपनी नहीं है। एक ऐसे शख्स का टिकट काट दिया जो उस समय पर बीजेपी का डंडा-झंडा उठाता था जब हरियाणा में कोई पार्टी का नाम लेने वाला नहीं था। लेकिन बीजेपी के बारे में कहा जाता है कि वो बड़े लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करती है और यह अपेक्षा करती है कि कार्यकर्ताओं को अपने हितों का बलिदान देना ही होगा। आप को याद होगा कि कैसे लोकसभा चुनाव से महज 56 दिन पहले मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को कमान दी गई। हालांकि चेहरे में बदलावन का कोई खास फायदा आम चुनाव 2024 में नहीं मिला। 2019 के प्रदर्शन को बीजेपी बरकरार नहीं रख सकी। हाल ही में कुरुक्षेत्र की रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि इस राज्य का पिछले 50 साल का इतिहास रहा है जिसकी सरकार यहां रही है उसकी सत्ता केंद्र में भी रही है। उन्हें  इस दफा करिश्मा होने की उम्मीद है।  

हरियाणा में हैट्रिक की उम्मीद में बीजेपी ने गुरुवार को  20 बिंदुओं वाला संकल्प पत्र जारी किया। इस संकल्प पत्र में कांग्रेस की काट नजर आई तो उन मुद्दों पर भी ध्यान देने की कोशिश की गई है जो आम चुनाव में हार की वजह बनी। मसलन अग्निवीरों को स्थाई नौकरी का वादा किया गया है। किसानों के लिए 24 फसलों को एमएसपी के दायरे में लाए जाने की बात कही गई है। बुजर्गों को फ्री इलाज का वादा, 2 लाख नौकरियां बिना पर्ची खर्ची, खिलाड़ियों के लिए खास सुविधाओं का ऐलान। यहां एक सवाल है कि क्या बीजेपी ने पिछले 10 सालों में कुछ भी नहीं किया। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि बात यह नहीं है। सियासत में कभी कभी और दूसरे वजहों से चुनाव हार जाते हैं जिसका आपसे सीधा नाता नहीं होता है। मसलन नायब सिंह सैनी को जब कमान दी गई तो उन्हें सिर्फ 56 दिन काम के लिए मिले। लिहाजा आप सीधे तौर पर उन्हें जिम्मेदार नहीं मान सकते हैं। लेकिन चुनावी लड़ाई में मतलब सिर्फ जीत का है। बीजेपी के लिए हरियाणा में जीत इस लिहाज से जरूरी है कि वो जनता को बता सकेगी कि अभी भी उसका ग्राफ कायम है।

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