कांग्रेस पीछे हट रही या आप का बेजा दबाव, हरियाणा में कौन किसके साथ कर रहा खेला

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अभी भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच पेंच फंसी हुई है। इस बीच एक दूसरे पर दबाव की राजनीति तेज हो गई है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-09 08:14 GMT

AAP Congress Alliance News:  हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों के लिए पांच अक्तूबर को मतदान होना है। 12 सितंबर को नामांकक की आखिरी तारीख है। अगर राजनीतिक दलों की बात करें तो बीजेपी को 23 सीटों पर नाम का ऐलान करना है। कांग्रेस को 49 सीटों पर और आम आदमी पार्टी के सामने सवाल है कि वो 90 सीटों के लिए नाम का ऐलान करे या कांग्रेस के गठबंधन का इंतजार करे। आप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुशील गुप्ता ने कहा कि वो सभी 90 सीटों पर नाम के साथ तैयार हैं सिर्फ इंतजार है आलाकमान के निर्देश का। अगर पार्टी से गठबंधन के निर्देश नहीं आते हैं तो शाम तक उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर देंगे। इन सबके बीच कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा कह रहे हैं कि अभी तीन दिन का समय बचा है।


अगर आप लोकसभा चुनाव को देखें तो कांग्रेस और आप मिलकर चुनाव लड़े थे। कांग्रेस 9 सीट और आप को एक सीट मिली थी। कांग्रेस को पांच सीट पर जीत मिली थी। लेकिन आप का उम्मीदवार चुनाव हार गया था। उस समय एक फॉर्मूला यह था कि प्रत्येक 9 सीट पर एक लोकसभा उम्मीदर तय किया जाएगा। उस लिहाज से कांग्रेस के खाते में 9 और आप के खाते में एक सीट आई। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी उसी फॉर्मूले के तहत चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन कांग्रेस तैयार नहीं है। पहले खबर थी कि कांग्रेस सात सीट देना चाहती है बाद में यह खबर आई कि अधिकतम पांच सीट देना चाहती है। लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि हरियाणा आप के प्रदेश अध्यक्ष को अल्टीमेटम तक देना पड़ गया। अल्टीमेटम वो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे रहे थे। लेकिन सियासत के जानकार कहते हैं कि इशारा साफ है कि निशाना कहां लगाया जा रहा है। 

आप के दो राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा क्या कहते हैं पहले उसे समझिए। संजय सिंह कहते हैं कि समय कम बचा है लिहाजा इस विषय पर जल्द से जल्द फैसला होना चाहिए। वहीं राघव चड्डा कहते हैं कि आरजू, हसरत अभी बची है। अगर कोई विजय वाली स्थिति नहीं बनी तो हम उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर देंगे। वैसे हमारी पार्टी अनुशासित है कोई भी फैसला उसके दायरे में ही लिया जाएग। लेकिन सवाल यह है कि कांग्रेस आम चुनाव वाले फॉर्मूला को क्यों नहीं स्वीकार कर रही है।

इसके बारे में सियासी जानकार कहते हैं कि कोई भी ताकतवर दल क्यों यह चाहेगा कि वो अपने खिलाफ किसी और को भविष्य में खड़ा करे। आम चुनाव के नतीजों के बाद और हरियाणा में जो माहौल बना हुआ है उसमें कांग्रेस को लगता है कि वो बेहतर कर सकती है लिहाजा आप को वो सांकेतिक हिस्सा देना चाहती है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश दिया जा सके कि इंडिया गठबंधन सिर्फ फायदे के लिए अपने घटक दलों के साथ नहीं खड़ी रहती है बल्कि विचारों के स्तर पर भी साथ चलने की कोशिश करते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच एक होने की सिर्फ और सिर्फ वजह बीजेपी है। कांग्रेस के स्थानीय नेता जो पिछले १० वर्षों से अपनी जमीन बनाने में मेहनत की है वो यह नहीं चाहते कि गठबंधन की वजह से उनका संघर्ष गौड़ हो जाए। 

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