जम्मू-कश्मीर चुनाव में प्रचंड बहुमत, इन रणनीतियों ने कांग्रेस-एनसी को बनाया सिरमौर

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही है. उमर अबदुल्ला को मुख्यमंत्री भी घोषित कर दिया गया है.

Update: 2024-10-08 13:05 GMT

Jammu and Kashmir assembly elections results: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में वोटों की गिनती के बाद अब नतीजे आने शुरू हो गए हैं. अधिकतर सीटों पर चुनाव आयोग ने रिजल्ट घोषित कर दिया है. ऐसे में इस केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही है. इतना ही नहीं फारूक अब्दुल्ला ने तो उमर अबदुल्ला को मुख्यमंत्री भी घोषित कर दिया है. ऐसे में आखिर ऐसे क्या कारण रहे, जिनको इन दोनों पार्टियों ने भुनाया और राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई.

गठबंधन

दोनों पार्टियों ने वोट कटने की आशंका को देखते हुए चुनाव से पहले ही गठबंधन कर लिया था. इसका काफी फायदा दोनों पार्टियों को मिला. गठबंधन के तहत NC 51 सीट तो कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ी. वहीं, 5 सीटों पर फ्रेंडली मुकाबले के लिए छोड़ी गई.

बीजेपी के खिलाफ गुस्सा

इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करने से लोगों को मन में बीजेपी के खिलाफ गुस्सा था. दोनों पार्टियों ने बीजेपी के खिलाफ इस गुस्से का फायदा उठाया और पूर्ण राज्य का चुनावी वादा भी किया. मतदाताओं को भी राज्य को केंद्रशासित करना पसंद नहीं आया. इससे गठबंधन को फायदा मिला.

प्रभावी अभियान

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को पुरानी पार्टी होने का भी काफी हद तक फायदा मिला. क्योंकि दोनों पार्टियों को यहां के वोटरों का मिजाज पता था. दलों ने अनुच्छेद 370 की बहाली और भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए पीडीपी के विश्वासघात पर जोर दिया. इसके साथ ही दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी अभियान में जोर-शोर से भाग लिया.

ये मुद्दे भी रहे अहम

चुनाव अभियान की रणनीति में पिछले पांच वर्षों में जम्मू और कश्मीर में भाजपा के शासन की कड़ी आलोचना शामिल थी. उमर अब्दुल्ला समेत अन्य सीनियर लीडर्स ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने जो वादे किए थे, उनको पूरा करने में विफल रही है. बेरोजगारी और रोजगार का मुद्दे को भी लोगों के बीच उठाया गया.

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