Jharkhand polls: BJP के संकल्प पत्र पर JMM का पलटवार, इन मुद्दों पर वाकयुद्ध शुरू

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है. इसको झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगी दलों ने झूठ, लूट और ठग पत्र करार दिया है.;

Update: 2024-11-03 17:42 GMT

Jharkhand assembly elections: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है. भाजपा का घोषणापत्र जारी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि अगर झारखंड में भाजपा सत्ता में आती है तो वह राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करेगी, जिसमें आदिवासी समुदायों को छूट दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में उद्योगों और खदानों से विस्थापित लोगों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए विस्थापन आयोग का गठन किया जाएगा. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और उसके सहयोगी दलों ने भाजपा के संकल्प पत्र को झूठ, लूट और ठग पत्र करार दिया और दावा किया कि भगवा पार्टी ने चुनाव नतीजों से 20 दिन पहले अपनी हार स्वीकार कर ली है.

समान नागरिक संहिता

चुनावों से पहले समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाते हुए अमित शाह ने कहा कि हमारी सरकार झारखंड में समान नागरिक संहिता लागू करेगी. लेकिन आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा. जेएमएम सरकार झूठा प्रचार कर रही है कि समान नागरिक संहिता से आदिवासियों के अधिकार और संस्कृति पर असर पड़ेगा, जो पूरी तरह से निराधार है. क्योंकि उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा. इसके कुछ घंटों बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य में न तो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और न ही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अनुमति दी जाएगी.

सोरेन ने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी संस्कृति, भूमि और अधिकारों की रक्षा के लिए झारखंड केवल छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियमों का पालन करेगा. गढ़वा में एक रैली में सोरेन ने कहा कि यहां न तो यूसीसी और न ही एनआरसी लागू किया जाएगा. झारखंड पूरी तरह छोटानागपुर काश्तकारी और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियमों पर निर्भर रहेगा. ये लोग (भाजपा) जहर उगल रहे हैं और उन्हें आदिवासियों, मूल निवासियों, दलितों या पिछड़े समुदायों की कोई परवाह नहीं है.

नक्सलवाद को बढ़ावा?

हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले झामुमो गठबंधन पर “नक्सलवाद को बढ़ावा देने” का आरोप लगाते हुए शाह ने सिमरिया में एक अन्य रैली में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मार्च 2026 तक देश से इस खतरे को खत्म कर देगी. उन्होंने चतरा जिले के सिमरिया में कहा कि यह झारखंड से दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी, गरीब विरोधी और युवा विरोधी हेमंत सरकार को हटाने का समय है, जो तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए नक्सलवाद को बढ़ावा दे रही है. दूसरी ओर, सोरेन ने इस मुद्दे पर शाह पर तीखा हमला करते हुए कहा कि दो चरणों में चुनाव होना इस बात का प्रमाण है कि झारखंड में नक्सलवाद पर अंकुश लगा है, जबकि पहले चुनाव पांच चरणों में होते थे.

अवैध अप्रवासी

शाह ने झामुमो नीत सरकार पर भी निशाना साधा और उस पर वोट बैंक की राजनीति के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा राज्य में सत्ता में आई तो वह अवैध प्रवासियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाएगी. वहीं, बांग्लादेशी घुसपैठ पर केंद्र के रुख पर सवाल उठाते हुए सोरेन ने पूछा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में उतरने की अनुमति क्यों दी गई. जबकि सरकार ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. कौन से आंतरिक समझौते इसकी अनुमति देते हैं? सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार की है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) ने घुसपैठ के बारे में बात की और इसके लिए झारखंड के सीएम (हेमंत सोरेन) को दोषी ठहराया. मुझे लगता है कि वह संविधान को ठीक से नहीं समझते हैं. सीमा सुरक्षा केंद्रीय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है और ये घुसपैठ उनकी वजह से हो रही है. उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

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