झारखंड में ऐसे ही नहीं बढ़ी धुकधुकी, वोट के बढ़ने-घटने से हुआ है खेला
झारखंड विधानसभा की शेष 38 सीटों के लिए 20 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान होगा। बता दें कि 23 नवंबर को मतों की गणना की जाएगी।
Jharkhand Assembly Elections 2024: झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटे हैं। सरकार बनाने के लिए 41 सीट पर जीत जरूरी है। यानी कि जो गठबंधन 41 के आंकड़े को छू लेगा उसे सरकार बनाने का मौका मिलेगा। अब सरकार उसी दल या गठबंधन की बनेगी जिसे मतदाता पसंद करेंगे। पहले चरण में कुल 43 सीटों पर जो मतदान हुआ है उसके आंकड़े बढ़े हैं। कहने का अर्थ ये कि वोटिंi प्रतिशत में इजाफा हुआ है और यह इजाफा राजनीतिक दलों को परेशान कर रहा है। चाहे जेएमए हो चाहे बीजेपी या कांग्रेस बढ़ हुए मत प्रतिशत को अपने पक्ष में देख रहे हैं। झारखंड की सियासत की खासियत भी रही है।
- पहले चरण में 43 में से 40 सीट पर पिछले चुनाव के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत बढ़ा
- मात्र तीन सीटों पर ही कम वोटिंग हुई
- 2014 के मुकाबले 2019 में इन 43 सीटों में से 17 सीटों पर मतदान प्रतिशत में इजाफा।
- पिछले चुनाव में 22 सीटों पर वोटिंग का प्रतिशत कम था
- जबकि चार सीटों पर मतदान का प्रतिशत लगभग बराबर था।
क्या कहते हैं आंकड़े
चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक 2019 में वर्ष 2014 की तुलना में जिन 17 सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा था उनमें से 12 सीटों पर उन दलों को हार का सामना करना पड़ा था जिनकी 2014 में जीत हुई थी। करीब 70 फीसद सीटों पर संबंधित पार्टियां हार गई थीं। पांच सीट के नतीजों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ था। 2019 में 2014 की तुलना में 22 सीटों पर मतदान के प्रतिशत में कमी आई थी। करीब 59 फीसद सीटें संबंधित पार्टियां हार गई थीं। नौ सीटों के रिजल्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ था। चार विधानसभा सीटों के नतीजे भी 2019 में 2014 की तरह से थे यानी किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ था। इन सीटों पर वर्ष 2014- 2019 का वोटिंग प्रतिशत लगभग बराबर था।
झारखंड की राजनीति पर नजर रखने वाले बताते हैं कि चुनाव के टेंपो के आधार पर अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। ऐसा देखा गया कि किसी एक दल के समर्थन में लोगों की भीड़ उमड़ तो रही है। लेकिन मतदान केंद्र तक वो भीड़ नहीं जा सकी और नतीजा दूसरे के पक्ष में चला गया। पहले फेज के चुनावी प्रतिशत को देखें तो किसी के लिए भी अंदाजा लगाना आसान नहीं है। कयासों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि आप वोटिंग प्रतिशत के आधार पर कह सकते हैं कि जीत या हार के बीच का अंतर अधिक रह सकता है। इस चुनाव में अगर झारखंड मुक्ति मोर्ट मइंया सम्मान योजना के जरिए कुर्सी बचाने की कोशिश कर रही है तो बीजेपी ने भी गोगो दीदी योजना के तहत चाल चलने में पीछे नहीं रही है।