केजरीवाल वाराणसी में मोदी के खिलाफ चाहते हैं प्रचार करना, कांग्रेस की हां का इंतजार

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रचार करना चाहते हैं. उनको कांग्रेस की मंजूरी का इंतजार है.

Update: 2024-05-22 14:12 GMT

Loksabha Election 2024: दिल्ली शराब नीति मामले में अपनी गिरफ्तारी से नाराज आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रचार में उतरने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि वह कांग्रेस की हां का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री फिलहाल 1 जून तक चुनाव प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर हैं.

गौरतलब है कि केजरीवाल ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा था और दो लाख से ज्यादा वोट पाकर दूसरे नंबर पर आए थे. इस बार मोदी लगातार तीसरी बार इस प्राचीन शहर से चुनाव लड़ रहे हैं और अब उन्हें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय से चुनौती मिल रही है. हालांकि, वाराणसी में एक जून को होने वाले चुनाव के लिए मोदी और राय के अलावा पांच अन्य उम्मीदवार भी मैदान में हैं.

सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने मोदी के खिलाफ जोरदार प्रचार करने के लिए कांग्रेस से अनुमति मांगी है. लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी ने अभी तक इस पर फैसला नहीं किया है. दिल्ली में "आप" के एक पदाधिकारी ने कहा कि वाराणसी लोकसभा सीट पर कांग्रेस इंडिया गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रही है. इसलिए अब कांग्रेस को यह तय करना है कि निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के लिए किन-किन लोगों की ज़रूरत है. मोदी को उनके निर्वाचन क्षेत्र में चुनौती देने के लिए कांग्रेस जो ज़रूरी समझेगी, "आप" उसी के अनुसार काम करेगी. "आप" इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और इसलिए चुनावों में गठबंधन की सफलता के लिए बहुत कुछ करना चाहती है.

16 मई को केजरीवाल "आप" के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के साथ लखनऊ आए थे और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था. इससे एक दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया कुमार और उदित राज के समर्थन में क्रमश: उत्तर-पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में रोड शो किए थे. वहीं, केजरीवाल ने 21 मई को जमशेदपुर का दौरा किया और झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की रैली को संबोधित किया था. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी मंच पर मौजूद रही थीं. हेमंत सोरेन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी और अंतरिम जमानत पर उनकी रिहाई के बाद की घटनाओं से संकेत मिलता है कि "आप" और भाजपा के बीच लड़ाई और भी बढ़ने वाली है. अब, चुनाव के केवल दो चरण बचे हैं और दोनों के बीच तीखी नोकझोंक के साफ संकेत मिल रहे हैं. दिल्ली में छठे चरण के तहत सात सीटों के लिए 25 मई को मतदान होना है. "आप" सूत्रों के अनुसार, इसके बाद केजरीवाल पंजाब के साथ वाराणसी पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. जहां अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है.

साल 2014 में मोदी ने वाराणसी सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी और केजरीवाल के खिलाफ 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे. लेकिन जनादेश "आप", कांग्रेस और कई अन्य उम्मीदवारों के बीच बंट गया था. इसके बावजूद केजरीवाल दो लाख से अधिक वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.

इस बार मोदी और राय मुख्य दावेदार हैं. हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के उम्मीदवार अतहर जमाल लारी भी इस मुकाबले में शामिल हो गए हैं. अब लड़ाई मुख्य रूप से एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही है. जहां बीएसपी उम्मीदवार के पास मतदाताओं को लुभाने का उतना मौका नहीं है, जितना बीजेपी और कांग्रेस के पास है. 20 मई को लखनऊ में पांचवें चरण में वोट डालने के बाद खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने टिप्पणी की थी कि इस बार लोगों का मूड परिवर्तन जैसा लग रहा है. क्योंकि वह ज्यादा चुप नजर आर रहे हैं.

हालांकि, मोदी चाहते हैं कि यह “चुप्पी” टूटे. उन्होंने 21 मई को वाराणसी में प्रचार किया, जिसमें महिलाओं से मतदान के दिन थालियां बजाने का आह्वान किया गया, ताकि अन्य महिला मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित किया जा सके. ऐसा तब है, जब उनकी जीत को पहले से तय माना जा रहा है. शायद वह चाहते हैं कि उनकी जीत का अंतर बढ़े नहीं तो कम से कम बना रहे. जबकि विपक्ष या इंडिया गठबंधन समर्थित कांग्रेस चाहेगी कि यह अंतर कम हो जाए. साल 2019 के चुनावों में उन्हें वाराणसी में 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे, जो उनके किसी भी प्रतिद्वंद्वी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा.

वहीं, केजरीवाल वाराणसी में प्रचार अभियान में कूदकर निर्वाचन क्षेत्र में माहौल बदलने की कोशिश कर सकते हैं. पिछले कुछ सालों में उन्होंने एक मसीहा की छवि बनाई है, जो दिल्ली के मामले में नागरिक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकते हैं. जहां बिजली नहीं काटी जाती है और बिजली और पानी के दर स्थिर हैं और कम खपत वाले घरों के लिए एक निश्चित स्तर तक मुफ़्त भी है. इसके अलावा दिल्ली में उनके शासनकाल के दौरान सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में सुधार हुआ है.

यही वजह है कि केजरीवाल न केवल दिल्ली में सत्ता में बने हुए हैं. बल्कि केंद्र के साथ उनके बढ़ते टकराव के बावजूद भी उनकी पार्टी पंजाब में भी सरकार बना पाई है. वह हमेशा दावा करते हैं कि दिल्ली की नागरिक व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उनके मॉडल से भाजपा घबरा जाती है. इसलिए चुनाव प्रचार से हटाने के लिए उनको जेल में डाल दिया गया. इसलिए वह भाजपा को जितना संभव हो सके, उतना नुकसान पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि वाराणसी में वह भाजपा के वोटों पर सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, गेंद अब कांग्रेस के पाले में है.

REPORT BY: Abid Shah

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