यहीं सवाल उठ खड़ा होता कि आखिर ऐसा क्यों है कि एक ही नारा हर जगह काम नहीं कर पाता है। महाराष्ट्र में जहां देवेंद्र फणनवीस जीत के हीरो रहे वहीं झारखंड में हेमंत सोरेन ने तो कमाल ही कर दिया। सोरेन कहते भी हैं कि यह उनकी जिंदगी का सबसे कठिन चुनाव था। यदि वो ऐसा कहते हैं कि इशारों में खुद के जेल जाने का जिक्र करते हैं।
हर राज्य में अलग मिजाज
पूरब से लेकर पश्चिम उत्तर से लेकर दक्षिण यानी देश के चारों दिशाओं असम, बंगाल, झारखंड, बिहार, यूपी, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल से आए जनादेश ने राजनीति की एक नई जमीन और पटकथा तैयार कर दी है। नए नारों ने कई राज्यों में जमी जमाई और दिग्गज पार्टियों की चूलें हिला दी हैं। सत्ता विरोधी लहर के होते हुए भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात की तरह महाराष्ट्र में प्रचंड जीत दर्ज की है...उसे खुद ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी मतदाताओं के मन में क्या चल रहा था इसका अंदाजा बड़े-बड़े सूरमा नहीं लगा पाए इसीलिए राजनीति को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है।
उपचुनाव में जहां जिसका जोर वहां मिली कामयाबी
चुनाव और उपचुनाव दोनों में भाजपा ने परचम लहराया है। 15 राज्यों के 46 सीटों पर हुए उपचुनाव में बंगाल, पंजाब, केरल को छोड़कर भगवा पार्टी का प्रदर्शन असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में प्रदर्शन जोरदार है..इन राज्यों में उसने विपक्ष का सूपड़ा करीब-करीब साफ कर दिया है। लोकसभा चुनाव में यूपी और राजस्थान में नुकसान उठाने वाली राष्ट्रीय पार्टी करीब पांच महीने बाद इस तरह से कम बैक करेगी..इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। इस प्रदर्शन के बाद भाजपा के नेता गदगद हैं और फूले नहीं समां रहे हैं। जीत की इस खुशी का आलम किस कदर है। इसे आप दिल्ली भाजपा मुख्यालय पर उमड़े भाजपा के सभी बड़े नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को देखकर समझ सकते हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत को एक हैं तो सेफ हैं के साथ एक हैं तो नेक हैं का भी जिक्र किया।
एक हैं तो सेफ हैं अब एक हैं तो नेक हैं
नए नारों पर मिली इस जीत का स्वाद भाजपा के लिए अलग और अद्भुत है...ऐसा इसलिए क्योंकि बटेंगे तो कटेंगे और एक हैं तो सेफ हैं। उसके नारों पर लोगों ने एक तरह से मुहर लगा दी है। लोगों के दिलो-दिमाग में इन नारों ने एक करंट और हलचल पैदा की है। हिंदुओं को एकजुट करने के लिए मानों भाजपा को सूत्र वाक्य मिल गया है। इन नारों की धमक इन चुनाव नतीजों में सुनाई दी है...दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी इसी बात को कह रहे हैं।
देश के सबसे बड़े सूबे में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन जोरदार तो रहा ही है...इस जीत ने यूपी लोकसभा चुनाव में झटके खाने वाली भाजपा अपने पुराने फॉर्म में लौट आई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने वापसी करा दी है। इस जीत के बाद पूरा यूपी बीजेपी खेमा एक हो गया है कहीं कोई दिक्कत नहीं है। सब एक दूसरे की पीठ थपथपा रहे हैं। यूपी की नौ सीटों पर उपचुनाव हुए थे और इनमें से करहल और सीसामऊ को छोड़कर एनडीए ने सात सीटों पर कब्जा जमाया छह सीटों पर भाजपा उम्मीदवार और मीरापुर पर राष्ट्रीय लोकदल का उम्मीदवार विजयी हुआ। यूपी में खासकर कुंदरकी सीट पर मिली विजय ने मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की भाजपा के भरोसे को पुख्ता किया है। 64 फीसद आबादी वाले कुंदरकी में 31 साल बाद कमल खिला है। यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार और असम में भाजपा की इस जीत के राजनीतिक और सामाजिक संदेश हैं।