जेल से चुनाव जीते ये दोनों आरोपी, सांसद के तौर पर क्या हैं इनके लिए नियम; जानें

आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद दो उम्मीदवार के लिए आने वाले दिनों में बनने वाली 18वीं लोकसभा में एक असामान्य स्थिति पैदा हो गई है.

Update: 2024-06-05 16:47 GMT

Lok Sabha Rule Book: आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद दो उम्मीदवार हाल ही में संपन्न संसदीय चुनाव में विजयी हुए हैं, जिससे आने वाले दिनों में बनने वाली 18वीं लोकसभा के लिए एक असामान्य स्थिति पैदा हो गई है. हालांकि, कानून उन्हें नए सदन की कार्यवाही में भाग लेने से रोकेगा. लेकिन उन्हें संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का संवैधानिक अधिकार है.

चुनाव आयोग ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए. जहां कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट जीती. वहीं, आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपी शेख अब्दुल राशिद, जिन्हें इंजीनियर राशिद के नाम से जाना जाता है, ने जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से जीत हासिल की. इंजीनियर राशिद 9 अगस्त 2019 से आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं. वहीं, अमृतपाल सिंह को अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था.

अब सवाल यह उठता है कि क्या जेल में बंद इन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ लेने की अनुमति दी जाएगी और यदि हां तो कैसे? संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि संसद सदस्य के रूप में शपथ लेना एक संवैधानिक अधिकार है. लेकिन चूंकि वे वर्तमान में जेल में हैं, इसलिए इंजीनियर राशिद और सिंह को शपथ समारोह के लिए संसद में ले जाने के लिए अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी. वहीं, शपथ लेने के बाद फिर से वापस जेल लौटना होगा.

उनका कहना है कि शपथ लेने के बाद वे अध्यक्ष को पत्र लिखकर सदन में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता के बारे में सूचित करेंगे. इसके बाद अध्यक्ष उनके अनुरोधों को सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी सदन समिति को भेजेंगे. समिति यह सिफारिश करेगी कि सदस्य को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं. इसके बाद अध्यक्ष द्वारा सदन में सिफारिश पर मतदान कराया जाएगा.

यदि इंजीनियर राशिद या सिंह को दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की जेल होती है तो वे साल 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार तुरंत लोकसभा में अपनी सीट खो देंगे, जिसमें कहा गया है कि ऐसे मामलों में सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाएगा.

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