‘धुरंधर’ का तीसरे हफ्ते जादू बरकरार, रणवीर सिंह की फिल्म को दर्शक क्यों कर रहे हैं इतना पसंद

रणवीर सिंह की फिल्म धुरंधर तीसरे हफ्ते में भी सिनेमाघरों में मजबूत पकड़ बनाए हुए है. जानिए 5 बड़े कारण, क्यों दर्शकों को ये जासूसी फिल्म इतनी पसंद आ रही है.

Update: 2025-12-23 11:28 GMT

निर्देशक आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ रिलीज के तीसरे हफ्ते में भी सिनेमाघरों में मजबूती से टिकी हुई है. आमतौर पर जासूसी और एक्शन फिल्मों का क्रेज पहले हफ्ते के बाद कम होने लगता है, लेकिन ‘धुरंधर’ ने इस ट्रेंड को तोड़ दिया है. रणवीर सिंह स्टारर ये फिल्म न तो किसी बड़े फ्रेंचाइजी का हिस्सा है और न ही जरूरत से ज्यादा दिखावे पर टिकी है. इसके बावजूद दर्शक इसे लगातार पसंद कर रहे हैं. इस फिल्म की सफलता का सबसे बड़ा कारण है इसका रियलिस्टिक ट्रीटमेंट, सटीक भावनाएं और मजबूत कहानी. आइए जानते हैं वो 5 बड़े कारण, जिनकी वजह से दर्शक ‘धुरंधर’ की जमकर तारीफ कर रहे हैं.

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1. रणवीर सिंह का जासूस जैसा अभिनय

‘धुरंधर’ की सबसे बड़ी ताकत हैं रणवीर सिंह. उन्होंने फिल्म में एक जासूस का किरदार निभाया है, लेकिन वो जासूस फिल्मों वाले ओवरड्रामेटिक हीरो की तरह नहीं दिखते. न कोई लंबा भाषण, न हवा में उड़ती कारें और न ही स्टाइलिश एंट्री. रणवीर का किरदार चुपचाप, सोच-समझकर और बेहद सावधानी से काम करता है. एक असली स्पेशल एजेंट जैसा व्यवहार, जहां हर कदम जोखिम भरा है. यही बात दर्शकों को सबसे ज्यादा पसंद आई. फिल्म ये दिखाती है कि जासूसी कोई मंचीय परफॉर्मेंस नहीं, बल्कि एक गंभीर और खतरनाक प्रोफेशन है.

2. दुश्मन का महिमामंडन नहीं

आजकल कई स्पाई फिल्मों में दुश्मनों को भी हीरो की तरह दिखाया जाता है या उनके इरादों को सही ठहराने की कोशिश की जाती है, लेकिन ‘धुरंधर’ इस रास्ते पर नहीं चलती. फिल्म में ISI एजेंट्स के लिए न कोई सहानुभूति दिखाई गई है और न ही उनके कामों को जायज़ ठहराया गया है. रणवीर सिंह का किरदार सिर्फ अपने मिशन और देश के प्रति वफादार है. यहां तक कि रोमांटिक एंगल भी उसकी रणनीति का हिस्सा लगता है, न कि कहानी को हल्का करने का जरिया. दर्शकों ने इस साफ सोच को काफी सराहा है और इसे जॉनर के लिए एक फ्रेश अप्रोच बताया है.

3. फैंटेसी नहीं, ज़मीनी एक्शन

‘धुरंधर’ के एक्शन सीन सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, क्योंकि वे असली लगते हैं. फिल्म में न तो हवा में उड़ते स्टंट हैं, न चलती प्लेन पर लड़ाई और न ही जेम्स बॉन्ड जैसे अविश्वसनीय गैजेट्स. हर फाइट, हर चेज और हर टकराव का एक मकसद है. ये सीन कहानी को आगे बढ़ाते हैं, सिर्फ आंखों को चकाचौंध करने के लिए नहीं बनाए गए. यही वजह है कि दर्शक फिल्म से जुड़े रहते हैं और बोर नहीं होते.

4. बनावटी नहीं, सच्ची भावनाएं

फिल्म का एक सीन, जहां मुंबई पर हमले के बाद दुश्मन जश्न मना रहे होते हैं और रणवीर सिंह का किरदार मजबूरी में उनके साथ खुश होने का नाटक करता है, पूरी फिल्म का सबसे ताकतवर पल माना जा रहा है. उस सीन में डर, गुस्सा, थकान और बेबसी सब कुछ बिना किसी ओवरएक्टिंग के महसूस होता है. किरदारों की भावनाएं थिएटर जैसी नहीं, बल्कि असल जिंदगी जैसी लगती हैं. यही इमोशनल सच्चाई दर्शकों को छू जाती है.

5. म्यूजिक और डायलॉग्स अपनी सीमा में

‘धुरंधर’ का म्यूजिक फिल्म का हिस्सा बनकर आता है, उस पर हावी नहीं होता. पंजाबी, हिंदी और रैप का मिक्स बैकग्राउंड को मजबूत बनाता है, लेकिन सीन का फोकस नहीं छीनता. डायलॉग्स भी बेहद सटीक हैं. न तो बेवजह के पंचलाइन डाले गए हैं और न ही सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए भारी-भरकम डायलॉग्स. हर लाइन कहानी को आगे बढ़ाने का काम करती है.

‘धुरंधर’ इस बात का सबूत है कि अगर इरादे साफ हों, स्क्रिप्ट मजबूत हो और यथार्थ को प्राथमिकता दी जाए, तो फिल्म दर्शकों का दिल जीत सकती है. ये फिल्म बड़े बजट या शोर-शराबे से नहीं, बल्कि अपनी सच्चाई और ईमानदारी से कामयाब हुई है. यही वजह है कि रिलीज के तीसरे हफ्ते में भी रणवीर सिंह की ‘धुरंधर’ सिनेमाघरों में दर्शकों को खींच रही है और आने वाले समय में इसे एक यादगार जासूसी फिल्म के तौर पर याद किया जाएगा.

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