एयर इंडिया: चेक-इन गड़बड़ी के बाद थर्ड-पार्टी सिस्टम पूरी तरह बहाल, सभी उड़ानें सामान्य

पिछले महीने इसी तरह की घटना में इंडिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी के कारण 400 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में देरी हुई थी।

Update: 2025-12-03 02:41 GMT
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Airport Operations Normal: मंगलवार देर रात कई हवाईअड्डों पर 'थर्ड-पार्टी सिस्टम' में तकनीकी गड़बड़ी के कारण चेक-इन प्रक्रिया बाधित हुई और कई एयरलाइंस की उड़ानों में देरी हुई। एयर इंडिया ने बुधवार को कहा कि समस्या पूरी तरह हल हो गई है और संचालन अब सामान्य रूप से चल रहा है।

एयरलाइन ने X पर कहा कि थर्ड-पार्टी सिस्टम पूरी तरह बहाल कर दिया गया है और सभी हवाईअड्डों पर चेक-इन सामान्य रूप से हो रहा है। हमारी सभी उड़ानें निर्धारित समयानुसार संचालित हो रही हैं। हम अपने यात्रियों के समझदारी के लिए धन्यवाद देते हैं। एयर इंडिया ने पहले भी बताया था कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण कई एयरलाइंस की उड़ानों में देरी हुई थी, जिसमें एयर इंडिया भी शामिल थी। एयरलाइन ने कहा कि हमारी एयरपोर्ट टीम सभी यात्रियों के लिए चेक-इन प्रक्रिया को सुचारू बनाने में मेहनत कर रही है।

एयरलाइन ने यह भी कहा कि सिस्टम क्रमिक रूप से बहाल हो रहा था और कुछ उड़ानों में देरी तब तक बनी रहेगी, जब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती। यात्रियों से अनुरोध किया गया कि वे उड़ान की स्थिति की जांच कर लें और अपने यात्रा के लिए सामान्य समय से पहले हवाईअड्डे पहुंचें।

पिछले महीने दिल्ली एयरपोर्ट पर भी तकनीकी गड़बड़ी

पिछले महीने इसी तरह की घटना में इंडिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (दिल्ली) पर ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में तकनीकी गड़बड़ी के कारण 400 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में देरी हुई थी। इस गड़बड़ी से प्रमुख एयरलाइंस जैसे एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट प्रभावित हुईं। लंबी कतारें और धीमी संचालन प्रक्रिया ने यात्रियों को परेशानी में डाल दिया। तकनीकी समस्या IP आधारित AMSS सिस्टम में पाई गई, जिसके बाद मंत्रालय सचिव ने AAI के अध्यक्ष, ANS सदस्य और अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और आवश्यक निर्देश दिए। इस गड़बड़ी के कारण एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को उपलब्ध डेटा का उपयोग करके मैन्युअली फ्लाइट प्लान तैयार करना पड़ा, जो समय-साध्य प्रक्रिया थी और इसका परिणाम उड़ानों में देरी के रूप में सामने आया।

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