अरावली पर संकट ! विकास की आड़ में प्रकृति को कुचलने की तैयारी ?
अरावली में खनन के प्रस्ताव पर सवाल, पर्यावरणविदों की चेतावनी पानी, हवा और इकोसिस्टम पर पड़ेगा दूरगामी असर। केंद्र सरकार को गंभीरता से पुनर्विचार की जरुरत।
अरावली पर्वत श्रृंखला एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गई है। विकास और खनन के नाम पर इस प्राचीन पर्वत प्रणाली से छेड़छाड़ के प्रस्तावों ने पर्यावरणविदों और विपक्ष को चिंता में डाल दिया है।
हिमालय से भी पुराना इतिहास
पर्यावरणविद डॉ. मनु सिंह बताते हैं कि अरावली का इतिहास हिमालय से भी पुराना है। यह कोई एक-दो पहाड़ियों का इलाका नहीं, बल्कि 12 हजार से ज्यादा पहाड़ियों की श्रृंखला है। इनमें 1020 पहाड़ियां 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची हैं।
कई राज्यों का जल संतुलन अरावली पर
अरावली दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात के साथ-साथ मध्य प्रदेश के भूजल स्तर को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अरावली को नुकसान पहुंचा तो इन राज्यों में भूमिगत जल का गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व
अरावली का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है। मान्यता है कि भगवान शिव के अर्बुद्ध नाग के नाम पर ही इसका नाम अरावली पड़ा। यह पर्वत श्रृंखला धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती है।
देश के इकोसिस्टम की ढाल
अरावली उत्तर और मध्य भारत के इकोसिस्टम को संतुलन में रखती है। यही पर्वत साइबेरिया की ठंडी हवाओं को दक्षिण भारत की ओर जाने से रोकता है, जिससे तापमान संतुलित रहता है। इसके बिना देश में रेगिस्तान का दायरा और बढ़ सकता है।
प्रदूषण और AQI पर बड़ा खतरा
अरावली अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रेगिस्तानों से आने वाली धूल और रेत को रोकने का काम भी करती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर यह ढाल कमजोर हुई तो दिल्ली-एनसीआर में AQI मौजूदा स्तर से 40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
अवैध खनन सबसे बड़ी चुनौती
डॉ. मनु सिंह के अनुसार, अरावली में वैध से ज्यादा अवैध खनन होता है। कई बार राज्य सरकारें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खनन माफिया को रोक पाने में असमर्थता जता चुकी हैं। हरियाणा में खनन माफिया द्वारा एक पुलिस अधिकारी की हत्या तक हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश पर सवाल
सवाल यह भी उठ रहा है कि जब सुप्रीम कोर्ट पहले खनन पर रोक लगा चुका है, तो अब केंद्र सरकार के प्रस्ताव के बाद खनन के लिए दिशानिर्देश कैसे बनाए गए। 100 मीटर ऊंचाई की परिभाषा भी अब तक स्पष्ट नहीं है।
कांग्रेस का केंद्र पर आरोप
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि नीतियां चंद बड़े व्यवसायियों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। उनका कहना है कि अरावली के साथ छेड़छाड़ मतलब देश के पर्यावरण से खिलवाड़ है।
आंदोलन के संकेत
देवेन्द्र यादव ने कहा कि अरावली दिल्ली-एनसीआर के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच है। अगर सरकार ने कदम पीछे नहीं खींचे, तो कांग्रेस पार्टी आने वाले समय में इस मुद्दे पर दिल्ली में आंदोलन कर सकती है।