ऑस्ट्रेलिया ने भारत के 5 राज्यों के छात्रों पर लगाया प्रतिबंध, वीजा दुरुपयोग और जालसाजी है कारण
ऑस्ट्रेलिया ने भारत के पांच राज्यों गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के छात्रों पर प्रतिबंध लगा दिया है।;
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा के बाद ऑस्ट्रेलिया उच्च शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों की पसंदीदा डेस्टीनेशन में शामिल है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने भारत के पांच राज्यों गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के छात्रों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध पिछले कुछ वर्षों में वीज़ा दुरुपयोग और दस्तावेज़ों में धोखाधड़ी के आरोपों के चलते लगाया गया है।
क्या है मामला?
न्यूज़बैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने इन राज्यों के छात्रों के आवेदन स्वीकार करना बंद कर दिया है। विश्वविद्यालयों का कहना है कि बड़ी संख्या में छात्र स्टूडेंट वीज़ा का उपयोग केवल ऑस्ट्रेलिया में नौकरी पाने के लिए कर रहे हैं और पढ़ाई छोड़ रहे हैं। 2023 में भी इसी प्रकार की खबरें सामने आई थीं, जहां वीज़ा देने में सख्ती और कुछ राज्यों के छात्रों के उच्च ड्रॉपआउट रेट को लेकर प्रतिबंध लगाए गए थे।
इमीग्रेशन नीति में बड़ा बदलाव
यह कदम प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज की सरकार द्वारा प्रवासियों की संख्या घटाने और “ग़ैर-प्रामाणिक” अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर लगाम कसने की व्यापक नीति का हिस्सा माना जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की योजना है कि वह 2025 तक अपने नेट माइग्रेशन को आधा कर दे। दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 के बीच भारतीय छात्रों के लिए वीज़ा मंजूरी में लगभग 48% की गिरावट देखी गई। फिलहाल लगभग 20% भारतीय छात्र वीज़ा आवेदन खारिज किए जा रहे हैं। नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों के छात्रों का रिजेक्शन रेट इससे भी अधिक बताया गया है।
विशेष शर्तें और प्रतिबंध
सेंट्रल क्वीनसलैंड यूनिवर्सिटी ने अपने पार्टनर एजेंटों को बताया है कि वह भारत और नेपाल से अंग्रेज़ी भाषा कार्यक्रमों के लिए आवेदन स्वीकार नहीं करेगी। इसके अलावा, 25 वर्ष से अधिक उम्र के और विवाहित छात्रों को भी रिसर्च कार्यक्रमों को छोड़कर प्रवेश नहीं मिलेगा। यह कदम यूनिवर्सिटी की “लो-रिस्क” श्रेणी बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
2023 में वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ने अपने एजेंटों से कहा था कि वे पंजाब, हरियाणा और गुजरात से छात्रों को नामांकित न करें क्योंकि 2022 में इन राज्यों से आए अधिकांश छात्र कोर्स अधूरा छोड़ चुके थे।
भारतीय छात्रों के लिए मुश्किल वक्त
कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे अन्य देश भी वीज़ा और कार्य अधिकारों को लेकर नियम सख्त कर रहे हैं। कनाडा विदेशी छात्र परमिट पर सीमा लगा रहा है। यूनाइटेड किंगडम में पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों के काम करने के अधिकारों पर अंकुश लगाया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि भारत की शिक्षा प्रणाली विदेशी शिक्षा के मानकों के अनुसार छात्रों को पर्याप्त रूप से तैयार नहीं करती। इसके अलावा, शिक्षित युवाओं में बेरोज़गारी की दर अधिक होने के कारण छात्र न केवल पढ़ाई बल्कि बेहतर आर्थिक अवसरों के लिए भी विदेश जा रहे हैं। हाल ही में अमेरिका द्वारा सैकड़ों अवैध प्रवासियों की जबरन वापसी भी इस प्रवृत्ति का संकेत देती है।