बिहार में वोटर लिस्ट के रिवीजन पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट ने व्यावहारिक और कानूनी आधारों का हवाला देते हुए मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई लेकिन चुनाव आयोग के इस कदम की टाइमिंग पर सवाल उठाए।;
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा चलाए जा रहे विशेष व्यापक पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर गुरुवार को तीखे सवाल उठाए। अदालत ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया कि वह मतदाता गणना की वर्तमान प्रक्रिया के तहत आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को मान्य दस्तावेजों के रूप में शामिल करने पर विचार करे।
कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि इन तीनों को भी मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए पहचान पत्र के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए।लेकिन EC के पास अधिकार है कि वो इन्हें स्वीकार करें या नहीं करें पर इसे स्वीकार न करने का उसके पास पुख्ता कारण होना चाहिए।
कोर्ट ने चुनाव आन्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने चुनाव आयोग के चुनावों से कुछ ही महीने पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण शुरू करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कदम "लोकतंत्र की जड़ और मतदान के अधिकार से जुड़ा हुआ है।"
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, “यदि आप बिहार में मतदाता सूची के विशेष व्यापक पुनरीक्षण (SIR) के तहत नागरिकता की जांच करना चाहते हैं, तो आपको यह काम पहले करना चाहिए था; अब यह थोड़ी देर हो चुकी है।” उन्होंने चुनावों के इतने करीब मतदाता सूची में संशोधन करने के संभावित प्रभावों की ओर इशारा किया।
अदालत ने विशेष व्यापक पुनरीक्षण (SIR) की समय-सीमा और प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है। चुनाव आयोग को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 21 जुलाई तक का समय दिया गया है।