अंबेडकर ने यूपी-एमपी को छोटे राज्यों में बांटने की पैरवी क्यों की थी?
भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर छोटे राज्यों के निर्माण में विश्वास रखते थे ताकि शासन अधिक कुशल हो और विकास समान रूप से हो सके।;
1955 में प्रकाशित अपनी पुस्तक "थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स" में अंबेडकर ने बड़े राज्यों जैसे बिहार और मध्य प्रदेश के विभाजन की पुरज़ोर वकालत की थी। उन्होंने लिखा था कि "वर्तमान प्रांत बहुत बड़े हैं और इनका प्रशासन असंभव है।"
डॉ. भीमराव अंबेडकर का मानना था कि बड़े राज्यों से प्रशासन और लोकतांत्रिक जवाबदेही में गंभीर चुनौतियाँ पैदा होती हैं। वे भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के समर्थक थे, लेकिन उन्होंने अत्यधिक बड़े राज्यों के निर्माण पर चिंता व्यक्त की थी। उनका कहना था, "बड़े भाषाई राज्यों की अवधारणा बिल्कुल भी लोकतांत्रिक नहीं है। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों से एक स्पष्ट विचलन है। यह लोकतंत्र की भावना के साथ बिल्कुल असंगत है।"
‘कोई क्षेत्र या समूह हाशिए पर न रहे’
अंबेडकर का मानना था कि राज्यों का विभाजन केवल प्रशासनिक कुशलता के लिए ही नहीं, बल्कि इसलिए भी आवश्यक है ताकि कोई भी क्षेत्र या समुदाय उपेक्षित महसूस न करे।
उन्होंने सुझाव दिया था कि बिहार को दो राज्यों में विभाजित किया जाना चाहिए और मध्य प्रदेश को उत्तर और दक्षिण मध्य प्रदेश में बाँटना चाहिए। भले ही उस समय ये सुझाव लागू नहीं हुए, लेकिन दशकों बाद इन पर अमल हुआ, 2000 में बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ।
अंबेडकर ने उत्तर प्रदेश को भी तीन भागों में बाँटने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि हर राज्य की जनसंख्या लगभग दो करोड़ होनी चाहिए, जिसे उन्होंने प्रभावी प्रशासन के लिए आदर्श माना। उन्होंने प्रस्तावित राज्यों की राजधानियों के रूप में मेरठ, कानपुर (तब कैनपुर) और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का उल्लेख किया था।
छोटे राज्य क्यों बेहतर हैं?
2011 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य को चार हिस्सों में बाँटने का प्रस्ताव रखा थाृ, पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध क्षेत्र, लेकिन केंद्र की यूपीए सरकार ने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।
अंबेडकर का तर्क था कि छोटे राज्यों में जनता को शासन और खर्च पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होता है: "राज्य जितना बड़ा होता है, खर्च की माँग उतनी ही अधिक होती है और उस पर जनता का नियंत्रण उतना ही कम। छोटे राज्य में जिम्मेदारी और जवाबदेही का लाभ होता है।"
भाषा के मुद्दे पर चेतावनी
अंबेडकर ने राज्यों के पुनर्गठन में भावनात्मक भाषा आधारित तर्कों के प्रभाव से सावधान रहने को कहा था। उन्होंने लिखा था कि "भाषा का प्रेम एक विघटनकारी शक्ति बनता जा रहा है।"
उनका मानना था कि राज्यों की सीमाएँ राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक व्यावहारिकता को ध्यान में रखकर तय होनी चाहिए। राजनीतिक वैज्ञानिकों का कहना है कि अंबेडकर के विचार आज भी संघीयता और विकेंद्रीकरण पर हो रही बहसों में प्रासंगिक हैं।
जयंती पर याद किए गए बाबा साहेब
अंबेडकर जयंती पर उन्हें देश भर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विपक्ष ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि अंबेडकर की प्रेरणा से ही देश आज सामाजिक न्याय के स्वप्न को साकार करने में जुटा है। उन्होंने लिखा, "समस्त देशवासियों की ओर से भारत रत्न पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर सादर नमन। उनकी प्रेरणा से ही देश आज सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने में जुटा है। उनके सिद्धांत और आदर्श आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण को शक्ति और गति देंगे।"
बाद में संसद भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य नेताओं ने संसद में अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश
अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अंबेडकर का बहुआयामी योगदान आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र निर्माण में समर्पण से काम करने की प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी अंबेडकर ने अपनी अलग पहचान बनाई और अपनी असाधारण उपलब्धियों के कारण वैश्विक सम्मान अर्जित किया।
अंबेडकर शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और दलितों के सशक्तिकरण का सबसे अहम माध्यम मानते थे।
कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपालों समेत प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस ने संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
X पर पोस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा: "बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने देश को न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित भारतीय संविधान दिया। यह सामाजिक न्याय और समावेशी विकास का सबसे शक्तिशाली साधन है।" उन्होंने कहा कि अंबेडकर समावेशिता को देश की प्रगति और एकता के लिए अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी मानते थे।
"हम आज उनकी 135वीं जयंती पर सामाजिक बदलाव और सामाजिक न्याय के उनके विचारों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हैं। कांग्रेस पार्टी संविधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहेगी।"
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि अंबेडकर का संघर्ष और योगदान हमेशा देश के लोकतंत्र को मजबूत करने और हर भारतीय को समान अधिकार दिलाने की लड़ाई में मार्गदर्शन करेगा।
मुंबई में अंतिम विश्राम स्थल पर श्रद्धांजलि
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के चैत्यभूमि पर अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार, विधान परिषद अध्यक्ष राम शिंदे, मंत्री आशिष शेलार और संजय शिरसाट भी उपस्थित थे।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) द्वारा अंबेडकर के जीवन की दुर्लभ तस्वीरों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। सीएम फडणवीस ने X पर लिखा: "समाजिक न्याय के वैश्विक प्रतीक, महान अर्थशास्त्री और भारतीय संविधान के निर्माता भारत रत्न बाबासाहेब अंबेडकर को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन।"
NCP (SP) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि अंबेडकर ने देश के प्रशासन की नींव रखी। "उनका दृष्टिकोण आज भी शिक्षा, सामाजिक न्याय और विकास के मामलों में देश को मार्ग दिखाता है।"
मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों की श्रद्धांजलि
ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने भी अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की और उनके आधिकारिक हैंडल से संदेश साझा किए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा: "संविधान के जनक डॉ. बी.आर. अंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धापूर्वक याद करते हैं।"
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने टैंक बंड पर अंबेडकर की प्रतिमा को माल्यार्पण किया और कहा कि अंबेडकर ने गरीबों, पिछड़ों और महिलाओं के लिए निरंतर कार्य किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंबेडकर को "सच्चे भारत रत्न" और "जीवंत लोकतांत्रिक पाठशाला" बताते हुए श्रद्धांजलि दी। "भारतीय संविधान के निर्माता, सर्वसमावेशी, सर्वहितकारी, उत्कृष्ट लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण, 'एक भारत - श्रेष्ठ भारत' की भावना को समृद्ध करने वाले बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि।" "उनका संघर्ष एक न्यायप्रिय, समतामूलक समाज की स्थापना के लिए प्रेरणा देता रहेगा।"
अंबेडकर का जीवन परिचय
अंबेडकर को अनुसूचित जातियों के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष और भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। 1891 में एक दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर एक मेधावी छात्र थे जिन्होंने विदेशों में भी शिक्षा प्राप्त की। भारतीय समाज में भेदभाव का सामना करने के कारण वे एक समर्पित समाज सुधारक बने।
वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी रहे। उनका निधन 1956 में हुआ था।