'मनरेगा' का नाम बदलने का मामला तूल पकड़ा, कांग्रेस सरकार पर हमलावर, बीजेपी ने दिया जवाब
कांग्रेस ने कहा कि पीएम मोदी ने मनरेगा को विफलता का स्मारक कहा था लेकिनअब इस क्रांतिकारी योजना का श्रेय लेने के लिए इसका नाम बदल रहे हैं।
महात्मा गांधी के नाम पर चल रही मनरेगा योजना (MGNREGA) का नाम बदलने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले के बाद भारत के राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि योजना का नाम बदलने के लिए “महात्मा गांधी” नाम में आखिर क्या गलत था।
नाम बदलने के सरकार के फैसले को लेकर विपक्ष के तीखे हमलों के बीच, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार (13 दिसंबर) को कहा कि सरकार का उद्देश्य योजना का “नाम” नहीं, बल्कि उसकी “भावना” बदलना है।
योजनाओं का नाम बदलने में मोदी ‘मास्टर’
कैबिनेट द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद, कांग्रेस ने शनिवार (13 दिसंबर) को कहा कि मोदी सरकार योजनाओं के नाम बदलने में “मास्टर” है और सवाल किया कि ऐसा कदम उठाने के लिए “महात्मा गांधी” नाम में आखिर क्या गलत था।
कांग्रेस के कम्यूनिकेशन विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार योजनाओं और कानूनों के नाम बदलने में “मास्टर” है। उन्होंने पीटीआई से कहा, “उन्होंने निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत अभियान कर दिया और ग्रामीण एलपीजी वितरण कार्यक्रम को उज्ज्वला कर दिया। वे री-पैकेजिंग और ब्रांडिंग के विशेषज्ञ हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “वे पंडित नेहरू से नफरत करते हैं, लेकिन लगता है कि वे महात्मा गांधी से भी नफरत करते हैं। महात्मा गांधी नाम में क्या गलत है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू रोजगार गारंटी योजना’ कर दिया गया?”
कांग्रेस के संगठन प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री, जिन्होंने कभी मनरेगा को “विफलता का स्मारक” बताया था, अब इस क्रांतिकारी योजना का श्रेय लेने के लिए इसका नाम बदल रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, “यह हमारे राष्ट्रीय मानस से, खासकर गांवों से—जहां, उनके अनुसार, भारत की आत्मा बसती है—महात्मा गांधी को मिटाने का एक और तरीका है।”
वेणुगोपाल ने X पर कहा, “यह कदम इस योजना के साथ की जा रही जानबूझकर उपेक्षा पर पर्दा डालने के लिए महज एक दिखावटी बदलाव है।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
दो दशक पहले ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जिस सरकार के कार्यकाल में यह योजना शुरू हुई थी, उसी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि विपक्षी पार्टी और उसके नेता ऐसे फैसलों को समझने में असफल रहते हैं, क्योंकि वे अधिकार की भावना के साथ काम करते हैं।
बीजेपी नेता ने महात्मा गांधी के नाम की ओर इशारा करते हुए कहा, “जिस नाम को कांग्रेस अपनी विशेष बपौती समझती है, वह पूरे देश का है।”
मनरेगा का नाम बदलने के लिए विधेयक
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को मनरेगा का नाम बदलने और कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी। उनके मुताबिक, अब इस योजना का नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ होगा और इसके तहत काम के दिनों की संख्या मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिसे आमतौर पर मनरेगा या नरेगा कहा जाता है, सरकार की एक प्रमुख योजना है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को मजबूत करना है, जिसके तहत हर ऐसे परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का सुनिश्चित मजदूरी रोजगार प्रदान किया जाता है। यह अधिनियम वर्ष 2005 में लागू किया गया था।