54,000 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा: DAC की टैंक, टॉरपीडो और AEW&C सिस्टम को मंजूरी
Indian defence deals: भारत ने हाल ही में रक्षा क्षेत्र में जो बदलाव किए हैं, वे न केवल देश की रक्षा तैयारियों को बढ़ावा देंगे, बल्कि सैन्य उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाएंगे.;

Indian defense: भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इनमें T-90 टैंकों के लिए उन्नत इंजन, वरुणास्त्र टॉरपीडो और एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग और कंट्रोल (AEW&C) एयरक्राफ्ट सिस्टम्स जैसे प्रमुख रक्षा उपकरण शामिल हैं. इस पहल का उद्देश्य भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की युद्धक क्षमता को मजबूत करना है. इसके साथ ही मंत्रालय ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में सुधार के लिए 96 सप्ताह से घटाकर 24 सप्ताह तक की समयसीमा तय करने का भी निर्णय लिया है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके और देरी में कमी लाई जा सके.
सैन्य ताकत में वृद्धि
भारत अब अपनी सैन्य ताकत को एक नई दिशा देने की ओर बढ़ रहा है. DAC ने आठ महत्वपूर्ण रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी है, जिनका कुल मूल्य 54,000 करोड़ रुपये से अधिक है. इन प्रस्तावों से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की सैन्य क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
टैंकों के इंजन में उन्नति
DAC ने भारतीय सेना के T-90 टैंकों के लिए 1,350 हॉर्सपावर (HP) इंजन की खरीद की स्वीकृति दी है. वर्तमान में, इन टैंकों में 1,000 HP इंजन लगे हुए हैं. नए इंजन के साथ टैंक की शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इनकी गतिशीलता में सुधार होगा और पावर-टू-वेग अनुपात बेहतर होगा.
वरुणास्त्र टॉरपीडो
भारतीय नौसेना को वरुणास्त्र टॉरपीडो की अतिरिक्त खेप मिलेगी. जो एक उन्नत शिप-लॉन्च एंटी-सबमरीन हथियार है. यह स्वदेशी प्रणाली भारतीय नौसेना की पानी के नीचे युद्ध क्षमता को बढ़ाएगी और दुश्मन पनडुब्बियों से निपटने में सहायक होगी. इसे नेवल साइंस और टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी द्वारा डिज़ाइन किया गया है.
भारतीय वायुसेना की नई क्षमता
भारतीय वायुसेना को नए एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग और कंट्रोल (AEW&C) एयरक्राफ्ट सिस्टम्स प्राप्त होंगे, जो युद्धक्षेत्र में बेहतर जागरूकता और समन्वय सुनिश्चित करेंगे. ये विमान वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार लाएंगे, जिससे जटिल लड़ाई परिस्थितियों में बेहतर निर्णय लिया जा सकेगा.
अधिग्रहण प्रक्रिया में सुधार और समयसीमा
रक्षा मंत्रालय भारतीय रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को और तेज करने के लिए सुधार लागू कर रहा है. भारतीय रक्षा अधिग्रहणों में लंबी प्रक्रियाओं और ब्यूरोक्रेटिक देरी की समस्या रही है, जिससे कई प्रमुख सौदों में समयसीमा बढ़ी है. इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए मंत्रालय ने नई दिशानिर्देशों के तहत औसत अधिग्रहण समयसीमा को 96 सप्ताह (दो साल) से घटाकर 24 सप्ताह (छह महीने) करने का निर्णय लिया है.
प्रमुख चरणों में बदलाव
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में समयसीमा में कमी लाने के लिए कई बदलाव किए जा रहे हैं. अब सशस्त्र बलों को अधिग्रहण के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) प्राप्त करते समय ही प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) तैयार करना होगा. जबकि पहले यह प्रक्रिया AoN स्वीकृति के बाद शुरू होती थी, जिससे अनावश्यक देरी होती थी. फील्ड इवैल्यूएशन ट्रायल्स, जो कि एक समय-साध्य प्रक्रिया थी, अब सिमुलेटेड परिस्थितियों में की जाएगी, जिससे इस कदम में लगने वाला समय कम हो जाएगा. इसके अलावा अनुबंध वार्ता को भी समयसीमा के भीतर पूरा करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं. अनुबंध वार्ता समिति (CNC) को अब छह महीने के भीतर आपूर्तिकर्ताओं के साथ मूल्य निर्धारण प्रक्रिया को अंतिम रूप देना होगा.
जवाबदेही का स्तर बढ़ाना
इस पहल का उद्देश्य सिर्फ रक्षा उपकरणों का तेज अधिग्रहण नहीं है, बल्कि इसके साथ-साथ जवाबदेही भी बढ़ाई जा रही है. पूर्व में, लंबी वार्ताओं के कारण कई प्रमुख रक्षा सौदों में कीमतों में वृद्धि हुई थी और कई बार रसद संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई थीं. अब सरकार ने सख्त समयसीमा और प्रक्रिया के समानांतर प्रसंस्करण के द्वारा यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि महत्वपूर्ण प्लेटफार्मों की प्राप्ति में कोई अतिरिक्त रुकावट न आए. इसके अतिरिक्त, यह सुधार सशस्त्र बलों और मंत्रालय दोनों को जवाबदेह बनाए रखेगा. यदि किसी कारणवश प्लेटफार्म की कीमत में वृद्धि होती है तो इसके लिए दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.