विपक्ष के विरोध के आगे झुकी सरकार, DOT ने संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने का आदेश लिया वापस

28 नवंबर 2025 को सरकार ने मोबाइल कंपनियों से कहा था कि वे अपने नए स्मार्टफोन में यह ऐप पहले से इंस्टॉल करें, ताकि लोगों को सायबर क्राइम और सायबर फ्रॉड से बचाया जा सके.

Update: 2025-12-03 11:17 GMT
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विपक्ष के जोरदार हमले और सिविल सोसाइटी के विरोध के बाद केंद्र सरकार ने सभी स्मार्टफोन में संचार साथी साइबर सुरक्षा ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने का आदेश वापस ले लिया है. विपक्ष ने इस फैसले को ‘निजता का उल्लंघन’ और ‘जासूसी’ का आरोप लगाकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे. हालांकि सरकार ने इस फैसले को लेकर की पीछे ये दलील दी कि यह कदम लोगों की राय और उनकी भागीदारी को देखते हुए लिया गया है.

28 नवंबर 2025 को सरकार ने मोबाइल कंपनियों से कहा था कि वे अपने नए स्मार्टफोन में यह ऐप पहले से इंस्टॉल करें, ताकि लोगों को सायबर क्राइम और सायबर फ्रॉड से बचाया जा सके. सरकार ने कहा कि संचार साथी ऐप केवल लोगों को साइबर ठगी से बचाने के लिए है और इसका कोई और इस्तेमाल नहीं है. अधिकारियों ने यह भी साफ़ किया कि उपयोगकर्ता इस ऐप पर पूरा नियंत्रण रखते हैं और चाहें तो इसे हटा सकते हैं. सरकार के मुताबिक, यह ऐप सुरक्षित है और सिर्फ़ लोगों की मदद करने के लिए बनाया गया है.

संचार मंत्रालय ने कहा कि यह ऐप डिजिटल धोखाधड़ी रोकने में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाता है. सरकार के रिलीज के मुताबिक, अब तक 1.4 करोड़ लोगों ने यह ऐप डाउनलोड किया है और रोज़ाना 2,000 साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं की जानकारी दे रहे हैं. सिर्फ़ 24 घंटे में 6 लाख नए लोग ऐप से जुड़े जो पहले के मुकाबले 10 गुना ज़्यादा है. सरकार ने इसे ऐप के प्रति लोगों के भरोसे का संकेत बताया.

इसी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सरकार ने कहा कि अब मोबाइल कंपनियों को ऐप प्री-इंस्टॉल करना ज़रूरी नहीं होगा. इससे पहले लोकसभा में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस ऐप के ज़रिए जासूसी होना “न तो संभव है और न ही होगी”. उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो सरकार ऐप इंस्टॉलेशन के आदेश में बदलाव करने को भी तैयार है.

विपक्ष के आरोप

कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह “जासूसी” कर रही है और पकड़े जाने के बाद “भ्रामक सफाई” दे रही है. पार्टी ने इसे सरकार की “तानाशाही” बताकर विरोध जताया. मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को पहले से इंस्टॉल करने के दूरसंचार विभाग (DoT) के निर्देशों पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "यह एक जासूसी ऐप है. यह बिल्कुल हास्यास्पद है. नागरिकों को निजता का अधिकार है. हर व्यक्ति को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपने परिवार और दोस्तों को संदेश भेज सके, बिना इस डर के कि सरकार उसकी हर चीज़ पर नज़र रख रही है." उन्होंने आगे कहा, "वे देश को हर रूप में तानाशाही की ओर ले जा रहे हैं.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि ऐप को हटाया जा सकता है, लेकिन सरकार के आदेश में साफ़ लिखा है कि प्री-इंस्टॉल्ड ऐप को हटाया या उसकी सुविधाओं को बंद नहीं किया जा सकता है. 

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