कैसे 2015 बना पाकिस्तान पर भरोसे का अंत, शशि थरूर ने उठाया परदा

न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में शशि थरूर ने कहा, भारत युद्ध नहीं चाहता पर आतंक पर सख्त जवाब देगा। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत के इरादे को स्पष्ट कर दिया है।;

Update: 2025-05-25 01:38 GMT

न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान, आतंकवाद और भारत की नीति को लेकर कई अहम टिप्पणियां कीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का उद्देश्य युद्ध नहीं, बल्कि शांति और विकास है, लेकिन जब बात आतंकवाद की हो, तो देश पीछे नहीं हटेगा।

पहलगाम आतंकी हमले पर तीखी टिप्पणी

हालिया पहलगाम आतंकी हमले पर थरूर ने कहा, हमले के एक घंटे के भीतर ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ नामक संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ले ली थी। यह संगठन पिछले कुछ वर्षों से प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा रहा है, जिसे अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने आतंकी संगठन घोषित किया है। भारत ने 2023 और 2024 में इस संगठन की जानकारी संयुक्त राष्ट्र को सौंपी थी। लेकिन 2025 में भी जब हमला हुआ, पाकिस्तान ने एक बार फिर इनकार की अपनी पुरानी रणनीति अपनाई।

'पाकिस्तान को मिला सटीक जवाब'

थरूर ने हालिया सैन्य कार्रवाई की चर्चा करते हुए कहा, अब हमने ठान लिया है कि एक नई लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी। हमने हर तरीका आज़माया। अंतरराष्ट्रीय डोजियर, शिकायतें सब कुछ किया, लेकिन पाकिस्तान लगातार इनकार करता रहा। वहां कोई अभियोजन नहीं हुआ, कोई आतंक ढांचा नहीं तोड़ा गया, और सुरक्षित पनाहगाह अब भी मौजूद हैं। इस बार हमने यह स्पष्ट संदेश दिया है: अगर आप (पाकिस्तान) ऐसा करते हैं, तो जवाब मिलेगा। ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए हमने यह दिखाया कि हम बेहद सटीक और योजनाबद्ध कार्रवाई करने में सक्षम हैं।

'स्मार्ट स्ट्राइक का समय आ गया था'

थरूर ने बताया कि उन्होंने खुद एक लेख लिखा था जिसमें कहा था, अब समय आ गया है कि हम सख्ती से लेकिन चतुराई से वार करें। मुझे यह कहते हुए संतोष है कि भारत ने ठीक वही किया 9 विशिष्ट और पहचाने गए आतंकी ठिकानों, मुख्यालयों और लॉन्चपैड्स पर सटीक हमले किए गए।

पाकिस्तान के प्रति भारत की मंशा स्पष्ट

थरूर ने कहा, "हम पाकिस्तान के साथ युद्ध में रुचि नहीं रखते। हम तो बस यह चाहते हैं कि हमें अकेला छोड़ दिया जाए ताकि हम अपनी अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकें और अपने नागरिकों को 21वीं सदी की दुनिया के लिए तैयार कर सकें। लेकिन दुर्भाग्य से पाकिस्तान ऐसा नहीं सोचता। हम एक यथास्थिति को बनाए रखने वाला देश हैं, पर वे नहीं हैं। उन्हें भारतीय भूमि चाहिए और वे किसी भी कीमत पर उसे पाना चाहते हैं। अगर पारंपरिक तरीकों से नहीं मिला, तो वे आतंकवाद का सहारा लेते हैं  और यह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।


पठानकोट हमले पर भी दिया उदाहरण

जनवरी 2015 में हुए पठानकोट एयरबेस हमले का ज़िक्र करते हुए थरूर ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री उस हमले से ठीक एक महीने पहले पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे। जब हमला हुआ, तो वे इतने हैरान थे कि उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को फोन कर सुझाव दिया कि चलिए हम मिलकर जांच करते हैं। ज़रा सोचिए, भारत की सैन्य संस्थाओं के लिए कितना चौंकाने वाला था कि पाकिस्तानी जांचकर्ता भारतीय एयरबेस पर आएं! मगर वे आए और जांच के बाद यही कहकर चले गए कि भारतीयों ने खुद ही हमला किया। मेरे ख्याल से 2015 उनके लिए आखिरी मौका था कि वे आतंक के खिलाफ ईमानदारी से कदम उठाते, लेकिन उन्होंने फिर वही इनकार की नीति अपनाई।"

वैश्विक जनमत को संबोधित करने की रणनीति

थरूर ने बताया कि वे और उनकी टीम जिन देशों का दौरा कर रहे हैं, वहां वे न सिर्फ कार्यपालिका और संसद सदस्यों से मिल रहे हैं, बल्कि मीडिया और आम जनमानस से भी संवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य हालिया घटनाओं को लेकर दुनिया भर में फैली चिंता को सामने लाना है। आज भले भारत-पाक सीमा पर कुछ हद तक शांति हो, लेकिन मूल समस्या जस की तस बनी हुई है।

9/11 स्मारक पर श्रद्धांजलि के साथ साझा पीड़ा

9/11 मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए थरूर ने कहा, "यह हमारे लिए भावनात्मक क्षण था, लेकिन हम एक और मकसद से भी वहां थे — यह दिखाने के लिए कि आतंकवाद एक साझा वैश्विक समस्या है। हाल ही में हमारे देश में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में हम यह बताना चाहते थे कि यह सिर्फ एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की लड़ाई है। इस हमले में भारतीय नागरिक भी मारे गए थे, और हम पीड़ितों के साथ एकजुटता की भावना लेकर आए थे।"

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