कनाडा के साथ नए सिरे से संबंध मजबूत होने की उम्मीद जगी, भारत का बयान
कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत के दुश्मनों को संरक्षण देने के मामले में दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आ गई थी। अब शायद रिश्ते सुधर जाएं।;
कनाडा में मार्क कार्नी के नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद भारत का एक बेहद महत्वपूर्ण बयान आया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अब नई उम्मीद जगी है।
जायसवाल ने कहा,"भारत-कनाडा संबंधों में जो गिरावट आई थी, उसकी वजह यह थी कि कनाडा में चरमपंथियों और अलगाववादी तत्वों को छूट दी गई थी।" जायसवाल ने कहा, "हमें उम्मीद है कि हम आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को फिर से स्थापित कर सकेंगे।"
कनाडा में नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने 14 मार्च को शपथ ली थी। उन्हें कनाडा की सत्ताधारी लिबरल पार्टी ने प्रचंड बहुमत से अपना नया नेता चुना था। जिसके बाद उनके लिए प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था।
जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत और कनाडा के रिश्ते बहुत ही खराब दौर से गुजर रहे थे। खासकर खालिस्तानी आतंकियों को संरक्षण दिए जाने के मामले में रिश्तों में बेहद तल्खी आ गई थी।
लेकिन मार्क कार्नी ने भारत से संबंध सुधारने के संकेत तभी दे दिए थे, जब वो प्रधानमंत्री नहीं बने थे। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से पहले कहा था, "कनाडा के पास समान सोच वाले मित्र देशों के साथ अपने व्यापार संबंध डावर्सिफ़ाई करने का अवसर है।"
उन्होंने कहा था कि हमारे पास भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर हैं. उस वाणिज्यिक संबंध के इर्द-गिर्द मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए और अगर मैं प्रधानमंत्री हूं तो मैं इस अवसर का बेसब्री से इंतज़ार करूंगा।" कार्नी के पास वो मौका आ गया है।
क्यों बिगड़े थे रिश्ते?
प्रधानमंत्री बनने के बाद मार्की का भारत के प्रति रुख क्या रहता है, इसका पता चलना बाकी है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर दोनों देशों के संबंधों में इतना तनाव आया ही क्यों था?
इसके लिए सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उस बयान को समझना जरूरी है जिसमें उन्होने खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगाया था।
हालांकि भारत ने इन आरोपों को बेतुका बताते हुए उन्हें पूरी तरह ख़रिज किया था। लेकिन रिश्तों में तनाव बढ़ चुका था। इस बयान ऐसा राजनयिक संकट पैदा हो गया कि दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को अपने यहां से निष्कासित कर दिया।
सिर्फ यही नहीं हुआ, दोनों देशों ने अपने नागरिकों के लिए प्रतिकूल ट्रैवल एडवाइज़री जारी की और भारत ने कनाडा में वीजा सेवाओं को भी बंद कर दिया। भारत ने कहा था कि भारत में वॉन्टेड लोगों को कनाडा में पनाह दी जा रही है।
भारत का ये भी कहना था कि इन अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने या उनके प्रत्यर्पण के लिए कनाडा की तरफ़ से कोई मदद नहीं मिली है। इन तल्ख़ियों के बीच भारत और कनाडा के संबंध अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच गए थे।
लेकिन जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से हटने और भारत के सकारात्मक रुख को देखते हुए अब चर्चायें तेज़ है कि क्या कनाडा भारत के साथ अपने रिश्ते सुधार पाएगा?