1965,1971 नहीं अब पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला, क्या है सिंधु जल समझौता
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े फैसले किये हैं। उनमें से एक सिंधु जल समझौता है, इसे निलंबित रखा गया है।;
What Is Indus Water Treaty: चार युद्धों, पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ दशकों से जारी सीमा-पार आतंकवाद और द्विपक्षीय कटुता की लंबी विरासत के बावजूद अब तक अडिग रही सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty - IWT) को भारत सरकार ने बुधवार को पहली बार निलंबित कर दिया।भारत ने यह निर्णय पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद लिया, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की जान ले ली थी।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार शाम को घोषणा करते हुए कहा:"1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के समर्थन को ठोस और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं छोड़ देता।"
पाकिस्तान पर भारत के अन्य कूटनीतिक कदम
भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कई अन्य सख्त कूटनीतिक फैसले भी घोषित किए गए, जिनमें शामिल हैं:
अटारी बॉर्डर चौकी को बंद करना
पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना
कई पाकिस्तानी अधिकारियों को निष्कासित करना
इन सभी में IWT का निलंबन सबसे प्रभावशाली और दूरगामी असर वाला निर्णय माना जा रहा है।
क्या है सिंधु जल संधि?
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को कराची में हस्ताक्षरित हुई थी। यह संधि नौ वर्षों की वार्ता के बाद अस्तित्व में आई थी। इसमें 12 अनुच्छेद (Articles) और 8 परिशिष्ट (Annexures A से H तक) शामिल हैं। इस संधि के अनुसार पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रावी का सारा जल भारत के "निर्बाध उपयोग" के लिए उपलब्ध रहेगा। वहीं पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का जल पाकिस्तान को उपलब्ध कराया जाएगा।
सिंधु जल संधि (IWT) के निलंबन के निर्णय से भारत को सिंधु नदी प्रणाली के जल का उपयोग करने के अधिक विकल्प तुरंत मिल जाएंगे। भारत अब पाकिस्तान के साथ जल प्रवाह डेटा साझा करना तत्काल प्रभाव से बंद कर सकता है। सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल के उपयोग पर अब भारत के ऊपर कोई डिज़ाइन या संचालन संबंधी प्रतिबंध नहीं रहेगा। साथ ही, भारत अब पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब पर जल संग्रहण संरचनाएं बना सकता है।”
भारत जम्मू-कश्मीर में निर्माणाधीन दो जलविद्युत परियोजनाओं किशनगंगा परियोजना (झेलम की सहायक नदी पर) और रटले परियोजना (चिनाब पर) की साइट पर पाकिस्तानी अधिकारियों की निरीक्षण यात्राएं रोक सकता है।“भारत अब किशनगंगा परियोजना पर reservoir flushing (जलाशयों में जमा गाद हटाने की तकनीक) भी कर सकता है, जिससे बांध की उम्र बढ़ेगी।
पानी के प्रवाह पर तुरंत असर नहीं
IWT का निलंबन फिलहाल कुछ वर्षों तक पाकिस्तान को जाने वाले जल प्रवाह पर तत्काल प्रभाव नहीं डालेगा। इसका कारण यह है कि भारत के पास अभी वह अधोसंरचना नहीं है जिससे वह नदियों के जल को रोक सके या अपने उपयोग के लिए मोड़ सके।
क्या पाकिस्तान IWT के तहत मध्यस्थता की मांग कर सकता है?
IWT में "निकास (exit)" का कोई प्रावधान नहीं है, यानी भारत या पाकिस्तान इसे एकतरफा रूप से कानूनी रूप से समाप्त नहीं कर सकते। इस संधि की कोई समाप्ति तिथि नहीं है और इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन दोनों देशों की सहमति से ही किया जा सकता है।
हालाँकि, संधि में विवाद इससे निपटने का उपाय भी है। अनुच्छेद IX और परिशिष्ट F और G में यह प्रावधान है:पहले विवाद को स्थायी सिंधु आयोग के सामने उठाया जाता है।फिर तटस्थ विशेषज्ञ (Neutral Expert) के पास मामला जाता है और अंततः मध्यस्थों के एक मंच के सामने विवाद प्रस्तुत किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने IWT के निलंबन पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।लेकिन डॉन अखबार को 2016 में दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के पूर्व विधि मंत्री अहमर बिलाल सूफ़ी ने कहा था “अगर भारत संधि को 'रद्द' करता है, तो इसका अर्थ यही है कि उसने इसे त्याग दिया है। ऐसे में अनुच्छेद IX और परिशिष्ट F और G के अंतर्गत विवाद समाधान प्रणाली पाकिस्तान के किसी काम की नहीं रहेगी, क्योंकि यह सिर्फ संधि के अंदर के विवादों के लिए है, संधि को लागू करवाने के लिए नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा था कि “IWT में उसकी अवधि या निलंबन के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए पाकिस्तान के पास इसे ‘पुनर्जीवित’ करने का कोई कानूनी मार्ग नहीं है। न ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में जाकर भारत पर केस कर सकता है, क्योंकि भारत ने ICJ के तहत यह स्पष्ट आरक्षण दर्ज किया हुआ है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ कोई मामला दाखिल नहीं कर सकता।”
क्या हाल में भारत-पाकिस्तान के बीच कोई कार्रवाई हुई?
जम्मू-कश्मीर में दो जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच कई वर्षों से विवाद चल रहा है, जिसके चलते भारत ने जनवरी 2023 में पाकिस्तान को IWT में संशोधन के लिए नोटिस भेजा।यह IWT के 60 वर्षों के इतिहास में पहला ऐसा नोटिस था। इसके बाद भारत ने सितंबर 2024 में भी एक और नोटिस भेजा।
पाकिस्तान इन दोनों परियोजनाओं की डिज़ाइन को लेकर आपत्ति जताता रहा है। हालांकि ये परियोजनाएं "रन-ऑफ-द-रिवर" हैं यानी ये नदी के प्राकृतिक प्रवाह को रोके बिना बिजली उत्पादन करती हैं फिर भी पाकिस्तान का आरोप है कि ये IWT का उल्लंघन करती हैं।जनवरी 2023 के नोटिस में भारत ने पाकिस्तान पर संधि के क्रियान्वयन में अड़ियल रुख अपनाने का आरोप लगाया था। सितंबर 2024 के नोटिस में भारत ने संधि की “समीक्षा और संशोधन” की मांग की।
विशेषज्ञों का मानना है कि “समीक्षा” शब्द भारत की संधि को समाप्त कर पुनः वार्ता के लिए तत्परता दर्शाता है।दोनों नोटिस अनुच्छेद XII (3) के अंतर्गत भेजे गए थे, जो कहता है "इस संधि के प्रावधान समय-समय पर दोनों सरकारों द्वारा पारित किसी नई संधि के माध्यम से संशोधित किए जा सकते हैं।"
विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ की भूमिका
जनवरी 2024 में विश्व बैंक द्वारा 2022 में नियुक्त किए गए तटस्थ विशेषज्ञ मिशेल लिनो ने तय किया कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच जल परियोजनाओं के डिज़ाइन को लेकर उत्पन्न अंतर को सुलझाने के पात्र (competent) हैं। तीन बैठकों के बाद लिनो ने यह निर्णय लिया। पाकिस्तान का कहना था कि भारत द्वारा उठाए गए “विवाद के बिंदु” संधि के परिशिष्ट F के भाग I के दायरे में नहीं आते।जबकि भारत ने कहा कि यह मामला पूरी तरह उसी दायरे में आता है, और तटस्थ विशेषज्ञ को इसके गुण-दोष पर निर्णय देना ही होगा।