भारत ने 400 सैन्य ड्रोन के सौदे किए रद्द, साइबर सुरक्षा के साथ चीन को दिया कड़ा संदेश
Drones with Chinese parts: चीनी पुर्जों वाले ड्रोन साइबर सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं और इससे डेटा सुरक्षा और संचालन में खतरे का जोखिम है.;
India cancelled drones contracts: भारत सरकार ने सेना के लिए 400 लॉजिस्टिक्स ड्रोन (drone) की आपूर्ति के लिए तीन कांट्रेक्ट्स को रद्द कर दिया है. यह फैसला चीन के पुर्जों वाले ड्रोन (drone) के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हैक होने की घटनाओं के बाद लिया गया. इस कार्रवाई का टारगेट सेना को ड्रोन (drone) आपूर्ति करने में चीनी पुर्जों का इस्तेमाल करने वाली घरेलू प्राइवेट कंपनियों थीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार इस बात को सुनिश्चित कर रही है कि जो ड्रोन (drone) सेना में शामिल किए जा रहे हैं, उनमें कोई भी चीनी पुर्जा या इलेक्ट्रॉनिक कोड न हो.
रद्द किए गए कांट्रेक्ट
रद्द किए गए कांट्रेक्ट्स में 200 मध्य-ऊंचाई वाले, 100 भारी-भरकम और 100 हल्के-भरकम लॉजिस्टिक्स ड्रोन शामिल थे. इनकी कुल कीमत 230 करोड़ रुपये थी. इन ड्रोन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात किया जाना था. ड्रोन खरीदने का यह निर्णय 2020 में गैलवान संघर्ष के बाद लिया गया. जब चीनी सेना ने तिब्बत सीमा पर कई घुसपैठ करने की कोशिश की थी.
चीन के पुर्जों से खतरे में सुरक्षा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी पुर्जों वाले ड्रोन साइबर सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं और इससे डेटा सुरक्षा और संचालन में खतरे का जोखिम है. क्योंकि, ड्रोन की हैकिंग घटनाओं के बारे में कई रिपोर्टें आ चुकी हैं. जिनमें भारतीय सेना द्वारा खरीदी गई ड्रोन, जो 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत मंगाई गई थीं, बॉर्डर एरिया में हैक हो गई थीं.
ड्रोन हैकिंग की घटनाएं
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना के ड्रोन को पिछले वर्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और नियंत्रण रेखा (LoC) पर दो बार हैक किया गया था. ड्रोन को चीनी पुर्जों का फायदा उठाकर हैक किया गया था. एक मामले में ड्रोन ने उड़ान भरने से मना कर दिया था. जबकि दूसरे मामले में ड्रोन रास्ता भटककर पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे.
चीन का ड्रोन बाजार
चीन वैश्विक ड्रोन बाजार में सबसे आगे है. CSIS अनुसंधान के अनुसार, चीनी कंपनियां कमर्शियल ड्रोन का 90% तक आपूर्ति करती हैं. एक चीनी कंपनी DJI अकेले 70% बाजार हिस्सेदारी रखती है.