अगर ऐसा हुआ तो, बी वी नागरत्ना होंगी सुप्रीम कोर्ट पहली महि्ला चीफ जस्टिस

सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्तियों में वरिष्ठता के नियमों के कारण अगले कुछ वर्षों में शीर्ष न्यायालय में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ने की संभावना कम है।;

Update: 2025-05-14 13:39 GMT
न्यायमूर्ति नागरत्ना को 2008 में कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और 31 अगस्त 2021 को वे सर्वोच्च न्यायालय में शामिल हुईं। उन्होंने प्रशासनिक कानून, संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक कानून, पारिवारिक कानून आदि जैसे कई क्षेत्रों में वकालत की। फाइल फोटो

 भारत के सुप्रीम कोर्ट को नया मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिल गया है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को देश के 52वें CJI के रूप में शपथ ली। हालांकि उनका कार्यकाल बेहद संक्षिप्त होगा — सिर्फ छह महीने, जो 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।उनके बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 से लेकर 9 फरवरी 2027 तक करीब 1.2 वर्ष तक मुख्य न्यायाधीश पद पर रहेंगे। इसके बाद, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ 7 फरवरी 2027 से 23 सितंबर 2027 तक लगभग 8 महीने तक यह पद संभालेंगे।

देश की पहली महिला CJI: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

हालांकि इन सभी नियुक्तियों में सबसे उल्लेखनीय और ऐतिहासिक नाम है — न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, जो 2027 में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनेंगी। उनका कार्यकाल केवल 36 दिनों का होगा, लेकिन यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ होगा। आज तक भारत के सभी 51 मुख्य न्यायाधीश पुरुष रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 11 महिला न्यायाधीश ही नियुक्त हुई हैं।

न्यायमूर्ति नागरत्ना, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की दो महिला न्यायाधीशों में से एक हैं, 2027 में जब CJI बनेंगी, तो वह न केवल इस सर्वोच्च पद तक पहुँचने वाली पहली महिला होंगी, बल्कि वह सर्वोच्च न्यायालय की सबसे लंबे समय तक सेवाएं देने वाली महिला न्यायाधीशों में से एक होंगी — छह वर्षों से अधिक का अनुभव।

वरिष्ठता प्रणाली: न्यायपालिका की मजबूरी

भारत की न्यायिक प्रणाली में वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति की परंपरा है। इसका अर्थ है कि सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को ही मुख्य न्यायाधीश पद सौंपा जाता है। यही कारण है कि कई बार CJI का कार्यकाल बेहद छोटा होता है, जिससे न्यायिक नीति में दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी देखने को मिलती है।

हालांकि नागरत्ना की नियुक्ति ऐतिहासिक है, पर संस्थागत बदलाव अभी भी धीमा है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, देश के उच्च न्यायालयों में केवल 14% महिला न्यायाधीश हैं। वरिष्ठता के नियम चलते रहने पर अगले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की संभावना कम ही है।

न्यायमूर्ति नागरत्ना की यात्रा: एक प्रेरणादायक विरासत

न्यायमूर्ति नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को बेंगलुरु में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1987 में वकालत की शुरुआत की। उन्हें 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश बनाया गया और 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया।

वह प्रशासनिक कानून, संवैधानिक कानून, पारिवारिक कानून, वाणिज्यिक कानून सहित अनेक क्षेत्रों में दक्ष हैं। उन्होंने न्यायिक प्रशिक्षण, मध्यस्थता संस्थानों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाशित “Courts of India” पुस्तक में भी अहम योगदान दिया है।

जब वह 24 सितंबर 2027 को CJI पद ग्रहण करेंगी, तो वह न केवल कांच की दीवार तोड़ेंगी, बल्कि पारिवारिक विरासत को भी आगे बढ़ाएंगी — उनके पिता न्यायमूर्ति ई.एस. वेंकटरमैया, भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह और उनके पिता भारत के इतिहास में दूसरे पिता-पुत्री/पुत्र जोड़ी होंगे जिन्होंने CJI का पद संभाला हो — पहले थे वाई.वी. चंद्रचूड़ और डी.वाई. चंद्रचूड़।

निष्कर्ष

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की नियुक्ति भारत की न्यायपालिका में महिला नेतृत्व की ओर एक अहम कदम है। यह केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को प्रोत्साहन देने वाली प्रेरक घटना होगी। अब आवश्यकता है कि न्यायपालिका इस ऐतिहासिक अवसर को संस्थागत सुधारों में बदलने का कार्य करे।

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