कोटा में कोटा पर Congress-SP को जमकर कोसा,क्या मायावती को मिल गया हथियार?

एससी-एसटी में कोटे में कोटा और क्रीमीलेयर के मुद्दे पर बीएसपी प्रमुख कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर निशाना साध रही है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-11 08:59 GMT

Mayawati News: कहते हैं सब दिन होत ना एक समाना। सियासत में तो यह लाइन 100 फीसद फिट बैठती है। चार जून को जब आम चुनाव 2024 के नतीजे जब घोषित हुए तो सबकी नजर यूपी पर थी। यूपी के नतीजे कुछ ऐसे रहे कि आज भी चर्चा परिचर्चा होती है। बीजेपी 2019 के मुकाबले आधी हो गई. समाजवादी पार्टी 37 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी, कांग्रेस एक से 6 सीट पर पहुंच गई और बीएसपी के खाते में एक भी सीट नहीं आई। बड़ी बात यह थी कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती जिस एससी वोटबैंक के जरिए सत्ता तक पहुंचने की सपना देखती रही हैं उसमें भी सेंध लग चुकी थी. गैर जाटव का एक हिस्सा समाजवादी पार्टी तो दूसरी तरफ जाटव वोटबैंक का कुछ हिस्सा कांग्रेस की तरफ खिसक गया। इस तरह से मायावती की सियासी जमीन डगमगाने लगी। लेकिन एससी-एसटी में कोटे में कोटा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उन्हें अपनी जमीन दोबारा मिलती हुई दिखाई दे रही है। सबसे पहले यह बताएंगे कि मायावती ने क्या कहा।

मायावती ने तीन बड़ी बातें कहीं

  • कांग्रेस द्वारा क्रीमीलेयर के बारे में भी गोलमोल बातें की गई है। कांग्रेस के 99 सांसद होने के बाद भी सत्रावसान होने तक संसद में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई जबकि इस पार्टी ने संविधान व आरक्षण को बचाने के नाम पर ये सीटें जीती हैं।
  • कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह कहा कि देश में SC व ST वर्गों के उपवर्गीकरण के सम्बन्ध में पार्टी के स्टैण्ड का खुलासा करने के पहले इनकी पार्टी NGOs व वकीलों आदि से विचार-विमर्श करेगी, जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस उपवर्गीकरण (sub-classification) के पक्ष में है।
  •  वास्तव में आरक्षण का पूरा श्रेय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को ही जाता है जिनको किस तरह से कांग्रेस के लोगों ने संविधान सभा में जाने से रोकने का षड़यन्त्र रचा तथा उनको चुनाव में भी हराने का काम किया। कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा देने को विवश किया। 

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि  की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिये बयान की जानकारी मिली, जिससे ST-ST के समक्ष कांग्रेस पार्टी के बयान में बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को नहीं बल्कि पं नेहरू व गाँधीजी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं।

नतीजा छोटा संदेश बड़ा
अब हम मूल विषय तरफ लौटते हैं कि आखिर बीएसपी को खुद के लिए उम्मीद क्यों नजर आ रही है। इसे समझने के लिए यूपी के अंबेडकरनगर जिला पंचायत चुनाव के नतीजे से समझना होगा। कटेहरी प्रथम वार्ड में बीएसपी प्रत्याशी ने कांग्रेस और सपा दोनों को मात दी। इस नतीजे का असर तो स्थानीय है लेकिन संदेश बहुत दूर तक जाने वाला है। आम चुनाव २०२४ के नतीजों के बाद सियासी पंडित कहा करते थे कि अब बीएसपी फिनिश। लेकिन एससी-एसटी में कोटे में कोटा और क्रिमीलेयर के मुद्दे पर जिस तरह से बीएसपी ने प्रतिवाद किया उसका असर नजर आ रहा है। 

कांग्रेस-एसपी को है यह डर
मायावती बार बार पूछ रही हैं कि आखिर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए मानसूत्र सत्र के आखिरी दिन तक साफ नजरिया क्यों ना रखे। सवाल है ये दोनों दल जिस संविधान और आरक्षण को बचाने का राग अभी कुछ दिन पहले तक अलाप रहे थे वही राग अब क्यों नहीं अलाप रहे। दरअसल इन दोनों दलों को सिर्फ वोटों से मतलब है। अब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की चुप्पी की वजह क्या है। कोटे में कोटा का मसला समाजवादी पार्टी के लिए मुूश्किल भरा है। जाहिर सी बात है कि ओबीसी वर्ग में भी सब कोटे की बात उठेगी, क्रीमीलेयर का मसला उठेगा लिहाजा समाजवादी पार्टी के सामने मुश्किल है। कुछ ऐसी ही स्थिति कांग्रेस की भी है। अगर कांग्रेस कोटे में कोटे के मुद्दे पर कोई आक्रामक रूख अपनाती है तो अपने शासित राज्यों में लागू करना होगा जो व्यवहारिक तौर पर परेशानी की वजह बन सकता है। 

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