शीतकालीन सत्र का पहला दिन: नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसदों ने उठाया जम्मू-कश्मीर को राज्य बनाने का मुद्दा
राज्यसभा में राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाने का NC का निर्णय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर बढ़ते दबाव और बडगाम विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद आया।
जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा के मुद्दे पर आलोचनाओं के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन (1 दिसंबर) अपने सीमित संसदीय बल का चालाकी से इस्तेमाल किया। पिछले लगभग पांच सालों के के बाद, जब जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में बहाल हुआ तो NC के नए सांसद चौधरी मोहम्मद रमज़ान और सज्जाद अहमद किचलू ने राज्य का दर्जा की मांग को अपने संबोधन में प्रमुखता दी। उन्होंने राज्यसभा अध्यक्ष सीपी राधाकृष्णन को बधाई देने के बहाने राज्य के बहाली का मुद्दा उठाया।
सटीक निशाना
राधाकृष्णन ने लगातार सांसदों से कहा कि वे संबोधन के विषय पर ही रहें और राज्य का दर्जा का मुद्दा किसी अन्य अवसर पर उठाएं, लेकिन रमज़ान और किचलू ने अपनी अपील जारी रखी। रमज़ान ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि सभी शक्ति लीफ्टिनेंट गवर्नर (मनोज सिन्हा) के पास है।
रमज़ान ने कहा कि अगर सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है तो उसकी उपयोगिता क्या है? हमारी सरकार के हाथ में कुछ नहीं; सभी अधिकार लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास हैं। जम्मू-कश्मीर एक सीमा राज्य है। पिछले दशकों में वहां क्या हुआ, आप जानते हैं। इसे मजबूत करना जरूरी है। जनता ने सरकार को भारी जनादेश दिया है, लेकिन अगर सरकार के पास शक्ति नहीं है, तो इसका क्या फायदा? किचलू ने भी वही रुख दोहराया और सदन को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने संसद को आश्वासन दिया था कि 2019 में अनुच्छेद 370 रद्द होने के बाद छीनी गई राज्यहूड को समय रहते बहाल किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने संसद में NC के सांसदों के इस कदम को बेहद सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने सोमवार सुबह संसद का दौरा किया और रमज़ान और किचलू के भाषण के अंश X पर साझा किए, इसे NC की राज्यहूड बहाली के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया। अब्दुल्ला ने पोस्ट किया कि पहले दिन, पहला मौका। राज्यसभा में हमारे नेता चौधरी मोहम्मद रमज़ान को बधाई, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाया। सज्जाद किचलू की पेशकशों की भी सराहना।
बडगाम प्रभाव
राज्यसभा में राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाने का NC का निर्णय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर बढ़ते दबाव और बडगाम विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद आया। बडगाम, जहां अब्दुल्ला का आलोचक रहुल्लाह मेहदी मजबूत हैं, वहां पार्टी की हार ने NC की सक्रियता को और बढ़ाया। कांग्रेस ने भी “घर-घर दस्तक, हर घर दस्तक” अभियान के तहत सीधे राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाना शुरू किया।
कांग्रेस की उदासीनता और आगे की राह
पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष तारीक हामिद कर्रा, विधान परिषद नेता गुलाम अहमद मीर और पूर्व PCC अध्यक्ष विकार रसूल वानी ने पार्टी नेतृत्व से राज्यहूड मुद्दे को संसद के शीतकालीन सत्र में जोरदार तरीके से उठाने का आग्रह किया। मानसून सत्र के पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा की मांग की थी। NC ने उस समय कांग्रेस की पहल का स्वागत किया, लेकिन हल्के व्यंग्य के साथ कहा कि आखिरकार उनके सहयोगी ने J&K का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। राज्यसभा के पहले दिन रमज़ान और किचलू ने कांग्रेस नेताओं से पहले राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाकर बढ़त बनाई, अब देखना होगा कि कांग्रेस, जो फिलहाल SIR पर चर्चा में बिजी है, इस मुद्दे पर अपनी सक्रियता बढ़ाती है या नहीं।