पहलगाम के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड पुनर्गठन, आलोक जोशी को कमान

पहलगाम आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया है। इसकी अगुवाई खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व मुखिया आलोक जोशी करेंगे।;

Update: 2025-04-30 08:28 GMT
आलोक जोशी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। जोशी, खुफिया एजेंसी रिसर्ट एंड एनालिसिस विंग की कमान संभाल चुके हैं।

Alok Joshi NSAB Chief:  केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन कर दिया है। इस रणनीतिक कदम के तहत रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को NSAB का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस सात सदस्यीय बोर्ड में छह अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। यह फैसला हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था, की जान चली गई थी। बता दें कि पुनर्गठित बोर्ड की बैठक गुरुवार सुबह होगी। 

बोर्ड में शामिल अन्य सदस्य

नए सदस्यों में रक्षा, सैन्य और कूटनीति के अनुभवी अधिकारी शामिल हैं

एयर मार्शल पी.एम. सिन्हा (पश्चिमी वायु कमान के पूर्व प्रमुख)

लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. सिंह (दक्षिणी सेना के पूर्व कमांडर)

रियर एडमिरल मोंटी खन्ना (सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी)

राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह (दोनों भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी)

बी. वेंकटेश वर्मा (सेवानिवृत्त IFS अधिकारी)

बोर्ड का यह पुनर्गठन आतंकवाद और सीमापार गतिविधियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए किया गया है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार का कड़ा रुख

इस हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई थी। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे। इसके साथ ही राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) और आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की बैठकें भी प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित की गईं।

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों पर पूरा विश्वास जताते हुए उन्हें ‘पूर्ण संचालनिक स्वतंत्रता’ प्रदान की है। इसका मतलब है कि सेना को अब यह अधिकार है कि वह प्रतिक्रिया का तरीका, लक्ष्य और समय स्वयं तय करे।

पाकिस्तान को कड़ा संदेश

CCS को दी गई ब्रीफिंग में इस हमले के सीमापार संबंधों पर प्रकाश डाला गया। बताया गया कि यह हमला उस समय हुआ जब केंद्र शासित प्रदेश में सफलतापूर्वक चुनाव कराए गए और वहां विकास और आर्थिक प्रगति की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे थे।सरकार ने इस घटना के बाद भारत-पाक सिंधु जल संधि को स्थगित करने का भी फैसला किया है। यह पाकिस्तान को एक कड़ा कूटनीतिक संदेश है कि भारत अब सीमापार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।

पाकिस्तानी प्रतिक्रिया और युद्ध की आशंका

इस बीच पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भड़काऊ बयान दिए हैं। पाकिस्तानी मंत्रियों ने दावा किया है कि भारत 24 से 36 घंटे के भीतर सैन्य कार्रवाई कर सकता है। यह बयान भारत की सैन्य तैयारियों के जवाब में आया है, जो अब अत्यधिक सक्रिय दिखाई दे रही हैं।

मोदी सरकार द्वारा NSAB का पुनर्गठन, सशस्त्र बलों को दी गई पूर्ण स्वतंत्रता, और पाकिस्तान को दिया गया कूटनीतिक और सामरिक संदेश, यह दर्शाता है कि भारत अब राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर आगे बढ़ रहा है। पहलगाम हमले के बाद पूरे देश में सख्ती और सतर्कता का माहौल है, और आने वाले दिनों में भारत की रणनीति और भी निर्णायक रूप ले सकती है।

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