नेताजी के पोते ने पीएम मोदी से की अपील, 18 अगस्त तक देश वापस लायें अवशेष
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-07-28 10:15 GMT
Netaji Subhash Chandra Bose: आजाद हिन्द फ़ौज के संस्थापक नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की बेटी उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीती रिवाज से करना चाहती हैं, जिसके लिए नेताजी की अस्थियों की आवश्यकता है. यही वजह है कि नेता जी के पोते चन्द्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री मोदी से ये अपील की है कि उनके अवशेषों को 18 अगस्त तक भारत लाया जाए, जो जापान में रखी हुई हैं.
चन्द्र कुमार बोस ने ये भी कहा कि इस मामले पर केंद्र सरकार की ओर से अंतिम बयान आना चाहिए ताकि नेताजी के बारे में “झूठे आख्यानों” पर विराम लग सके.
बोस ने कहा कि एनडीए नीत सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने की पहल की थी. उन्होंने कहा कि सभी "10 जांच - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय" के जारी होने के बाद ये स्पष्ट है कि "नेताजी 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में मारे गए थे.''
बोस ने रविवार को मोदी को लिखे पत्र में कहा, "इसलिए ये जरूरी है कि भारत सरकार की ओर से अंतिम बयान दिया जाए ताकि भारत के मुक्तिदाता के बारे में झूठी कहानियों पर विराम लग सके." उन्होंने कहा, "मेरी आपसे विनम्र अपील है कि नेताजी के पार्थिव अवशेषों को 18 अगस्त, 2024 तक रेंकोजी से भारत वापस लाया जाए."
रेंको जी मंदिर में रखे हैं अवशेष
पीटीआई वीडियोज को दिए एक साक्षात्कार में, पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष बोस ने कहा कि गोपनीयता हटाने की प्रक्रिया ने गुप्त फाइलों और दस्तावेजों को उजागर कर दिया है, "जो निर्णायक रूप से स्थापित करते हैं कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को इस हवाई दुर्घटना में हुई थी." उन्होंने कहा कि नेताजी स्वतंत्रता के बाद भारत लौटना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. बोस ने कहा, "ये बेहद अपमानजनक है कि नेताजी के अवशेष रेंकोजी मंदिर में रखे गए हैं."
बेटी करना चाहती हैं हिन्दू रीती रिवाज से अंतिम संस्कार
उन्होंने कहा, "हम पिछले साढ़े तीन वर्षों से प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं कि भारत के मुक्तिदाता के सम्मान में उनके अवशेष भारतीय धरती पर लाए जाएं." बोस ने कहा कि नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करना चाहती हैं.
उन्होंने साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगता है कि भारत सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए. अगर उन्हें लगता है कि ये अवशेष नेताजी के नहीं हैं, तो उन्हें रेंकोजी में रखने के लिए रखरखाव प्रदान नहीं किया जाना चाहिए. इस बारे में प्रधानमंत्री से एक बयान की उम्मीद है."
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)