जर्मनी में 'स्किल्ड इंडियन वर्कफोर्स' की भारी मांग, अब हर साल मिलेंगे इतने हजार वीजा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जर्मनी ने कुशल भारतीय कार्यबल के लिए वीजा की संख्या 90,000 प्रति वर्ष करने का निर्णय लिया है.

Update: 2024-10-25 13:23 GMT

German Business 2024: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार (25 अक्टूबर) को कहा कि जर्मनी ने कुशल भारतीय कार्यबल के लिए वीजा की संख्या 20,000 से बढ़ाकर 90,000 प्रति वर्ष करने का निर्णय लिया है. इससे यूरोपीय देश के आर्थिक विकास को और बढ़ावा मिलेगा. दिल्ली में जर्मन बिजनेस 2024 के 18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कुशल भारतीय कार्यबल के लिए वीजा में वृद्धि आश्चर्यजनक है और यह जर्मनी द्वारा भारत की कुशल जनशक्ति में व्यक्त किए गए विश्वास को दर्शाता है.

प्रतिभा स्वागत: जर्मन चांसलर

सम्मेलन में बोलते हुए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने कहा कि हाल ही में जर्मन सरकार ने कुशल भारतीय कर्मचारियों को जर्मनी में आकर्षित करने की रणनीति पर सहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि आज हमारे विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा समूह भारतीय हैं. पिछले साल ही जर्मनी में काम करने वाले भारतीयों की संख्या में 23,000 की वृद्धि हुई. यह प्रतिभा हमारे श्रम बाजार में स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि जर्मनी अपनी वीज़ा प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर रहा है. प्रक्रियाओं में तेजी ला रहा है और उन्हें अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बना रहा है.

उन्होंने कहा कि साथ ही हम अनियमित प्रवास को कम कर रहे हैं और उन लोगों की वापसी की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, जिन्हें हमारे देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है. संदेश यह है कि जर्मनी कुशल श्रमिकों के लिए खुला है. लेकिन फिर हम तय कर सकते हैं कि कौन आएगा. शुक्रवार को भी मोदी ने अपने आवास पर स्कोल्ज़ की मेजबानी की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.

भारत में निवेश करें: मोदी

इस बीच जर्मन कंपनियों को देश में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए मोदी ने कहा कि निवेश के लिए भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है और देश की विकास गाथा में शामिल होने का यह सही समय है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत की विकास गाथा में भाग लेने, 'मेक इन इंडिया' पहल और 'मेक फॉर द वर्ल्ड' में शामिल होने का यह 'सही' समय है. मोदी ने कहा कि भारत की विकास गाथा में शामिल होने का यह सही समय है. भारत वैश्विक व्यापार और विनिर्माण केंद्र बन रहा है. उन्होंने कहा कि आज भारत लोकतंत्र, जनसांख्यिकी, मांग और आंकड़ों के मजबूत स्तंभों पर खड़ा है. उन्होंने कहा कि भारत सड़क, रेलवे, हवाई अड्डों और बंदरगाहों में रिकॉर्ड निवेश कर रहा है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह सम्मेलन 12 वर्षों के अंतराल के बाद शुक्रवार को आयोजित किया गया.

मोदी ने कहा कि सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया है और इस महत्वपूर्ण समय में जर्मन कैबिनेट ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए "भारत पर फोकस" दस्तावेज जारी किया है.

एआई की शक्ति

उन्होंने कहा कि भारत विविधीकरण, जोखिम-मुक्ति, व्यापार और विनिर्माण का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है तथा यह जर्मन कंपनियों के लिए विशाल व्यावसायिक अवसर उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा कि निवेशकों और व्यवसायों के लिए, "भारत से बेहतर जगह और क्या हो सकती है?" उन्होंने कहा कि भारत के विकास के चार प्रमुख स्तंभ प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, नवाचार और बुनियादी ढाँचा हैं और इन सबको आगे बढ़ाने के लिए "हमारे पास आकांक्षी भारत (एआई) की शक्ति है".

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत कौशल और प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, हरित हाइड्रोजन और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों से संबंधित इसके महत्वपूर्ण मिशन भी निवेश और सहयोग के अवसर प्रदान करते हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले प्रतिनिधिमंडल को भारत की संस्कृति, भोजन और खरीदारी का भी आनंद लेना चाहिए. वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. सैकड़ों जर्मन कंपनियां भारत में काम कर रही हैं. जबकि भारतीय कंपनियां भी जर्मनी में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं.

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