नाबालिग की जमानत रद्द या संशोधित, पुणे पोर्श केस में पुलिस- आरोपी आमने-सामने
पोर्श केस में पुणे पुलिस का दावा है कि आरोपी की जमानत रद्द कर दी गई है.वहीं किशोर के वकील का कहना है कि जमानत को संशोधित कर उसे पुनर्वास गृह में भेज दिया गया है.
पुणे पोर्श कार केस में आरोपी को सिर्फ 14 घंटे के अंदर ही जमानत मिल गई थी. हालांकि ना सिर्फ आम लोगों में बल्कि कानून के जानकारों में गुस्सा है. लोगों को इस बात पर ऐतराज है कि इतने संगीन जुर्म के बाद आरोपी को जमानत कैसे मिल गई. जमानत पर भारी विरोध के बाद, किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने बुधवार को कल्याणी नगर क्षेत्र में एक कार दुर्घटना में कथित रूप से शामिल 17 वर्षीय किशोर को 5 जून तक सुधार गृह में भेज दिया है. इस दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी.सत्र न्यायालय ने उसके पिता, जो रियल एस्टेट डेवलपर हैं, को पुलिस हिरासत में भेज दिया. पुलिस ने कहा कि बुधवार शाम को जेजेबी ने नाबालिग को तीन दिन पहले दी गई जमानत रद्द कर दी. जबकि उसके वकील ने दावा किया कि जमानत रद्द नहीं की गई है. पुलिस की उस अर्जी पर अभी तक कोई आदेश नहीं आया है जिसमें नाबालिग को वयस्क आरोपी के रूप में मानने की अनुमति मांगी गई थी.
बाइक सवार हुए थे हादसे का शिकार
जेजेबी ने रविवार को किशोर को जमानत दे दी थी, जब कथित तौर पर उसके द्वारा चलाई जा रही पोर्श कार ने मोटरसाइकिल सवार 20 साल के दो आईटी पेशेवरों को टक्कर मार दी थी और उनकी मौत हो गई थी। बोर्ड ने इस आदेश की व्यापक आलोचना की और किशोर को सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के लिए भी कहा था. इसके बाद पुलिस ने पुनः जेजेबी से संपर्क कर अपने आदेश की समीक्षा की मांग की. किशोर के वकील का कहना है कि जमानत रद्द नहीं की गई है. आदेश संशोधित किया गया है. जबकि पुलिस का दावा है कि आरोपी की जमानत रद्द कर दी गई है, किशोर के वकील का कहना है कि जमानत को संशोधित कर उसे पुनर्वास गृह में भेज दिया गया है.
पुलिस- आरोपी के वकील आमने सामने
पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा कि जेजे बोर्ड द्वारा जारी आदेश के अनुसार, नाबालिग को 5 जून तक पर्यवेक्षण गृह में भेज दिया गया है। पुलिस को उसे एक वयस्क (आरोपी) के रूप में मानने की अनुमति देने की हमारी याचिका पर आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. किशोर न्याय बोर्ड की सुनवाई में किशोर का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत पाटिल ने कहा कि रविवार को दी गई जमानत रद्द नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि यह पहले के आदेश में संशोधन है....जमानत रद्द करने का मतलब है पहले के आदेश को दरकिनार करना और व्यक्ति को हिरासत में लेना था, यह हिरासत नहीं है एक पुनर्वास गृह है.