आग है आरक्षण, 99 सीट पाने वाले राहुल क्या खुद 'हाथ' जला बैठे ?
आरक्षण का मसला बेहद संवेदनशील है। 2015 बिहार विधानसभा चुनाव-आम चुनाव 2024 में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है। क्या राहुल गांधी बोलते बोलते इस मुद्दे पर फिसल गए।
Rahul Gandhi on Caste Reservation: भारत के आग की तरह है आरक्षण, जिसने हाथ रखा वो जला। आम चुनाव 2024 के नतीजे जीते जागते उदाहरण हैं। बीजेपी के एक उम्मीदवार ने जब 400 पार के नारे का मतलब समझाया तो विपक्ष को खुद के लिए उम्मीद जग गई। चरण दर चरण पीएम मोदी सफाई देते रह गए कि उनके जीते जी कोई हाथ नहीं लगा सकता। नतीजों ने पुष्टि कर दी कि आरक्षण के विषय पर आप कुछ बोले तो मतलब कि सेल्फ गोल कर लिए। अब इस विषय पर बातचीत करने की जरूरत क्यों पड़ गई। दरअसल नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तीन दिन के दौरे पर अमेरिका में थे। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सॉस से लेकर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी तक बात रखी। उसी दौरान किसी ने सवाल जाति आधारित आरक्षण पर पूछ लिया।
निष्पक्षता होने पर खत्म होगा आरक्षण
राहुल गांधी ने कहा कि जब तक भारत में निष्पक्षता नहीं आ जाती तब तक यह खत्म नहीं होगा। इस जवाब से वो बीजेपी, आरएसएस पर निशाना साध रहे थे। लेकिन लगे हाथ यह कहा कि जब निष्पक्षता आएगी तो खत्म हो जाएगा। अब वो सीधे तौर पर आरक्षण खत्म करने की बात तो नहीं कर रहे थे लेकिन जिस तरह से खुद को कांग्रेस को निष्पक्षता का प्रतीक बताते हैं उससे साफ था कि इशारा वो खुद और कांग्रेस के बारे में कर रहे थे। आपने देखा होगा कि उनके इस जवाब पर सबसे पहली प्रतिक्रिया किसी और की नहीं मायावती की तरफ से आई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नाटक करती है. इसके नाटक से सतर्क रहिए। उन्होंने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के साथ कांग्रेस के सौतेलेपन की भी चर्चा की। इसके साथ ही बीजेपी ने भी कहा कि अब सच छिपता कहां है, आप कब तक ढोंग करते रहेंगे। सही मायनों में कांग्रेस ने दलित, ओबीसी सबके हक को मारा है। राहुल गांधी को जब समझ में आया कि राजनीतिक नुकसान का सामना कर पड़ सकता है तो उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है.
क्या गलत समय पर दिया बयान
अब राहुल गांधी इस विषय पर सफाई तो दे चुके हैं लेकिन शायद गलत समय पर बयान दे दिया। इस समय हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में किसी भी दल की तरफ एक दांव भी ऊपर नीचे हो सकता है। इन दोनों राज्यों के बाद महाराष्ट्र और झारखंड का अहम चुनाव हैआम चुनाव 2024 के समय पीएम मोदी को सभी चरणों में बाकायदा यह कहना पड़ता था कि आरक्षण को हाथ लगाने के बारे में कोई सोच नहीं सकता। लेकिन इंडिया गठबंधन का नारा आरक्षण और संविधान खतरे का नारा काम कर गया और बीजेपी को 272 के आंकड़े को नहीं छू सकी।
2015 का बिहार नतीजा भी उदाहरण
इससे पहले 2015 में आरएसएस ने आरक्षण पर बयान दिया तो उसका असर बिहार के विधानसभा चुनाव पर पड़ा। बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। सियासत के जानकार कहते हैं कि आरक्षण के विषय को अगर आपने हल्के में लेने की कोशिश की तो नतीजा क्या आएगा सबके सामने है। ऐसे में राहुल गांधी को जैसे ही आभास हुआ उन्होंने कहा कि बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है, क्योंकि वो बीजेपी को वही मौका नहीं देना चाहेंगे जो बीजेपी के एक उम्मीदवार ने दे दिया था और उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा।