'आपकी हिम्मत कैसे हुई? मैं अभी भी प्रभारी हूं', CJI चंद्रचूड की वकील को फटकार

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील को फटकार लगाई.

Update: 2024-10-03 10:26 GMT

CJI DY Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील को फटकार लगाई. सीजेआई ने कहा कि 'आपने कोर्ट मास्टर से यह पूछने की हिम्मत कैसे की कि मैंने कोर्ट में क्या लिखा?' बता दे कि वकील ने बेंच से कहा था कि उसने कोर्ट मास्टर से कोर्ट में लिखे गए आदेश के बारे में क्रॉस-चेक किया है.

चीफ जस्टिस ने कहा कि कल आप मेरे घर आएंगे और निजी सचिव से पूछेंगे कि मैं क्या कर रहा हूं. वकील अपना सारा विवेक खो चुके हैं या क्या? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे अभी भी प्रभारी हैं. हालांकि थोड़े समय के लिए. उन्होंने कहा कि ये अजीबोगरीब तरकीबें फिर से न आजमाएं, ये कोर्ट में मेरे आखिरी दिन हैं. मध्यस्थता आदेश पर हुई बहस के दौरान चीफ जस्टिस की तरफ से यह सख्त टिप्पणी की गई.

बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. वहीं, शीर्ष कानूनी पद के लिए जस्टिस संजीव खन्ना अगले उम्मीदवार हैं. अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कोर्ट में शिष्टाचार बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया है और अक्सर वकीलों को प्रक्रियाओं को दरकिनार करने और न्यायालय में कठोर आचरण के लिए फटकार लगाई.

इसका ताजा उदाहरण इस हफ़्ते की शुरुआत में कोर्ट में देखने को मिला, जब मुख्य न्यायाधीश ने बेंच को संबोधित करते हुए एक वकील द्वारा अनौपचारिक 'हां' के इस्तेमाल की आलोचना की. मुख्य न्यायाधीश ने सख़्त लहज़े में कहा कि यह कोई कॉफ़ी शॉप नहीं है! यह हां- हां क्या है. मुझे इससे बहुत एलर्जी है. इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.

बता दें कि इस साल की शुरुआत में महत्वपूर्ण चुनावी बॉन्ड मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने एक वकील को फटकार लगाई थी, जब उसने बेंच को संबोधित करते हुए अपनी आवाज़ ऊंची की थी. उन्होंने कहा था कि मुझ पर चिल्लाओ मत. यह हाइड पार्क कॉर्नर मीटिंग नहीं है, तुम कोर्ट में हो. तुम कोई अर्जी देना चाहते हो, अर्जी दाखिल करो. तुम्हें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर मेरा फ़ैसला मिल गया है, हम तुम्हारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. अगर तुम अर्जी देना चाहते हो तो उसे ईमेल पर भेजो. इस कोर्ट में यही नियम है.

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