वोटर लिस्ट विवाद: SIR प्रक्रिया पर सवाल, बड़े पैमाने पर नाम हटाने और भेदभाव का आरोप

उत्तर प्रदेश और गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश और बिहार तक पब्लिक जूरी के सामने गवाहियों में EC की प्रक्रिया में डिलीशन, उत्पीड़न और प्रक्रियागत खामियों के आरोप लगाए गए हैं।

Update: 2025-12-21 08:55 GMT
एक्टिविस्ट योगेन्द्र यादव ने शनिवार को नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में 'NO-SIR: नेशनल कन्वेंशन ऑन डिफेंडिंग यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज़' नाम के एक कार्यक्रम को संबोधित किया।
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उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में चलाए गए स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। राष्ट्रीय सार्वजनिक सुनवाई में दर्ज सैकड़ों गवाहियों में आरोप लगे कि चुनाव आयोग द्वारा देश की वोटर लिस्ट साफ-सुथरी करने के नाम पर अल्पसंख्यक, विशेषकर मुस्लिम वोटर्स को लक्षित किया जा रहा है।

बहिष्करण की शिकायत

उत्तर प्रदेश से गवाही देने वाली अरुंधती ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुले तौर पर कहा था कि वे अपने लोगों के वोट सुरक्षित करेंगे। उन्होंने बताया कि यूपी में विशेष शिविर चलाकर लगभग 15,000 मुस्लिम वोटर्स को हटाया गया, जबकि सादू बिना दस्तावेज़ के वोटर लिस्ट में शामिल किए जा रहे हैं। गुजरात के अ़कबरनगर में इकराम बेइघ मिर्ज़ा ने बताया कि 1,206 मुस्लिम वोटर्स को मृत घोषित कर वोटर लिस्ट से हटा दिया गया, जबकि BLO उनके फॉर्म भरने से इनकार कर रहे हैं। वहीं, द्वारका के मछुआरों ने भी बताया कि उनके मुस्लिम गांवों को वोटर लिस्ट से बाहर रखा गया, जबकि हिंदू मछुआरों के गांवों को जोड़ा गया।

घुमंतू मुस्लिम समुदाय की समस्या

जबलपुर के मुस्लिम घुमंतू समुदाय ने बताया कि उन्हें वोटर फॉर्म नहीं दिए गए और बजरंग दल व VHP के लोग उन्हें धमकाते रहे, उन्हें रोहिंग्या और बांग्लादेशी कहकर परेशान किया गया।

राजस्थान और बिहार में भी बहिष्कार

जयपुर की मदारी कॉलोनी के लोग और बिहार के अररिया जिले की महिलाएं भी वोटर लिस्ट में शामिल नहीं की गईं। अररिया में नेपाल से आई और शादी करने वाली महिलाएं वोटर लिस्ट से बाहर थीं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ से गवाहियों में बताया गया कि कटाई, फसल और रोजगार के कारण लोग काम से बाहर रहते थे, जिससे नाम हटाने की संभावना बढ़ गई। छत्तीसगढ़ में सालवा जुड़म के डर से लोग आंध्र प्रदेश और तेलंगाना चले गए थे, जिससे लगभग 1.5 लाख लोगों के वोटर लिस्ट से हटने का खतरा है।

दबाव और गंभीर परिणाम

राजनीतिक एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने बताया कि देश भर में लगभग 40 BLOs ने तनाव के कारण आत्महत्या की, जिनमें गुजरात, राजस्थान, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के कर्मचारी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि SIR एक नई रणनीति है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम वोटरों को बहिष्कृत करना है। उन्होंने SIR प्रक्रिया में जल्दबाजी और नियमों की अवहेलना की भी आलोचना की।

जूरी की राय

जूरी के न्यायाधीशों ने कहा कि SIR की प्रक्रिया संदिग्ध और जल्दीबाज़ी में की जा रही है और राज्यों के अनुसार इसे अलग ढंग से करना चाहिए। नाम हटने से न केवल वोटिंग अधिकार प्रभावित होंगे, बल्कि पेंशन और राशन जैसी सरकारी सुविधाओं का हक भी खतरे में पड़ सकता है।

अल्पसंख्यक अधिकारों पर खतरा

सदस्य प्रोफेसर निवेदिता मेनन और एक्टिविस्ट पामेला फिलिपोज़ ने कहा कि यह प्रक्रिया अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों को उनके अधिकारों से वंचित करने की कोशिश है। अर्थशास्त्री जीन ड्रेज़ ने इसे स्पष्ट इस्लामोफोबिया बताया और गवाहियों में सामने आई अल्पसंख्यक उत्पीड़न की ओर ध्यान दिलाया।

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