ये गलती बढ़ती है अल्जाइमर का रिस्क, फिर चाहे कितनी भी एक्सर्साइज करो

जो लोग लंबे समय तक बैठे रहते हैं और पर्सनल लाइफ में भी आलसी स्वभाव के होते हैं, उनमें अल्जाइमर का रिस्क बहुत हाई रहता है। फिर चाहे वे हफ्ते में तीन-चार दिन...;

Update: 2025-06-06 10:46 GMT
एक्सर्साइज करने के बाद भी इस कारण हो सकता है अल्जाइमर!

Alzheimer: क्या आप सोचते हैं कि हफ्ते में कुछ दिन एक्सरसाइज़ करना आपको पूरी तरह हेल्दी बनाए रखेगा? तो एक बार फिर सोचिए। University of Southern California और University of Arizona द्वारा प्रकाशित एक हालिया अध्ययन यह इशारा करता है कि सिर्फ कुछ दिन की एक्सरसाइज़ नहीं, बल्कि आपकी पूरी दिनचर्या यानी कि आपका लाइफस्टाइल अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के खतरे को तय करता है।

क्यों जरूरी है एक्टिव रहना?

इस स्टडी के अनुसार, जो लोग दिन का ज़्यादातर समय बैठे हुए बिताते हैं, चाहे वे ऑफिस वर्क में हों या घर पर सोफे पर आराम कर रहे हों, उनके दिमाग के medial temporal lobe जैसे हिस्से में सिकुड़न देखी गई है, जो कि स्मृति (memory) के लिए जिम्मेदार क्षेत्र है। यह बदलाव सीधे तौर पर अल्जाइमर (Alzheimer's disease) से जुड़ा पाया गया। खासकर सीनियर सिटिज़न्स में यह असर और ज्यादा देखने को मिला है।

साल 2022 में JAMA Neurology में प्रकाशित एक अध्ययन में भी बताया गया कि लंबी अवधि तक बैठने की आदत और शारीरिक निष्क्रियता मस्तिष्क की संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और अल्जाइमर की शुरुआती प्रक्रिया को ट्रिगर कर सकती है।

क्या है 'लेजीलाइफस्टाइल' और क्यों है ये खतरनाक?

'लेजीलाइफस्टाइल' का मतलब सिर्फ एक्सरसाइज़ ना करना नहीं है, बल्कि इसमें यह भी शामिल है कि दिनभर आप कितना चलते-फिरते हैं, घर के छोटे-छोटे कामों में खुद को कितना सक्रिय रखते हैं, और अपनी रोजमर्रा की आदतों में कितना मूवमेंट शामिल करते हैं।

British Journal of Sports Medicine में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ एक्सरसाइज़ कर लेना ही पर्याप्त नहीं होता यदि व्यक्ति बाकी दिनभर निष्क्रिय रहता है। ऐसे लाइफस्टाइल में neurodegeneration (तंत्रिका तंत्र के क्षय) का जोखिम कहीं अधिक होता है।

क्या करें ताकि ब्रेन हेल्दी बना रहे?

हर 30-40 मिनट के बैठने के बाद 5 मिनट टहलना या हल्का मूवमेंट करना।

दिनभर में किसी एक एक्टिविटी जैसे सीढ़ियां चढ़ना, घर के कामों में हाथ बंटाना या पैदल वॉक करना जरूर शामिल करें।

अपने बैठने और स्क्रीन टाइम पर नज़र रखें। जितना हो सके, बीच-बीच में ब्रेक लें।

योग या मेडिटेशन जैसी एक्टिविटी से दिमाग को भी रिलैक्स रखें।

यह रिसर्च हमें एक बेहद सीधी लेकिन अहम बात समझाती है कि सिर्फ एक्सरसाइज़ ही काफी नहीं, एक्टिव जीवनशैली जरूरी है। यदि हम दिनभर बैठे रहते हैं और लाइफस्टाइल में आलस है तो अल्जाइमर जैसे रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। फिर चाहे हम एक्सरसाइज़ कर भी लें।

The Lancet Commission on Dementia Prevention की रिपोर्ट में भी यह माना गया है कि एक्टिव और सामाजिक रूप से जुड़ा हुआ रहना डिमेंशिया और अल्जाइमर को रोकने में एक प्रभावी रणनीति हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम हर दिन को ‘सक्रिय’ तरीके से जिएं, जहां शरीर और दिमाग दोनों लगातार काम करते रहें। क्योंकि एक्टिव रहना सिर्फ फिटनेस का ही नहीं बल्कर ब्रेन हेल्थ का भी सवाल है।


डिस्क्लेमर: यह लेख जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


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