रहस्यमयी किडनी डिज़ीज़ का दुनिया भर के युवाओं पर मंडरा रहा खतरा

आप अपने काम को नहीं छोड़ सकते और ना ही हर जगह काम की परिस्थितियों को बदलना आपके हाथ में है। इसलिए उन तरीकों को अपनाना होगा, जो इस बीमारी के खतरे को कम करते हैं;

Update: 2025-09-05 19:59 GMT
ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों में भी, तेजी से युवाओं को अपना शिकार बना रही है किडनी की ये बीमारी

Mysterious Chronic Kidney Disease: दुनिया के कई हिस्सों में युवा और कामकाजी उम्र के वयस्कों के बीच एक "साइलेंट एपिडेमिक" (मूक महामारी) तेजी से फैल रही है। इसे मेडिकल भाषा में क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ ऑफ अननोन ओरिजिन (CKDu) कहा जाता है। यह बीमारी खासकर किसानों, मज़दूरों, खदानों में काम करने वालों और उन लोगों में देखी जा रही है, जो बेहद गर्म माहौल, डिहाइड्रेशन, कीटनाशकों और विषैले पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में रहते हैं।

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के मुताबिक, CKDu से प्रभावित ज्यादातर मरीज़ 20 से 60 वर्ष के पुरुष होते हैं, जो ग्रामीण या कृषि-प्रधान इलाकों में रहते हैं और कठिन कार्य परिस्थितियों का सामना करते हैं। इनमें तेजी से किडनी फंक्शन की हानि देखी गई है।

किसी एक कारण से नहीं होती

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये बीमारी सीधी और एकल कारण से नहीं होती। बल्कि बार-बार होने वाले छोटे-छोटे किडनी डैमेज समय के साथ मिलकर गंभीर रूप ले लेते हैं।

किन्हें अधिक खतरा?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि CKDu सबसे अधिक उन युवाओं में देखा जा रहा है, जो शारीरिक रूप से कठिन और बाहरी काम करते हैं। जैसे, गन्ना काटने वाले किसान, खदान मज़दूर, फौजी और ईंट-भट्टों पर काम करने वाले लोग।

भौगोलिक रूप से CKDu के सबसे अधिक मामले सेंट्रल अमेरिका, श्रीलंका, नेपाल, भारत और अफ्रीका में सामने आए हैं। अब अमेरिका में भी खासतौर पर कैलिफ़ोर्निया, फ्लोरिडा और टेक्सास जैसे गर्म राज्यों में इसके केस बढ़ने लगे हैं। यह इस बात का साफ इशारा माना जा रहा है कि CKDu अब केवल पारंपरिक इलाकों तक सीमित नहीं है। बल्कि ग्लोबल हेल्थ इश्यू बन चुका है।

कारण सिर्फ पेशा ही नहीं

हालांकि इस बीमारी के लिए ऊपर बताए गए काम-काज से जुड़े जोखिम सबसे बड़ा फैक्टर हैं। लेकिन जेनेटिक्स, एनवायरनमेंटल टॉक्सिन्स और लाइफस्टाइल भी इसमें भूमिका निभाते हैं। जैसे, अफ्रीका में प्रचलित नेफ्रोटॉक्सिक हर्बल रेमेडीज़, पानी में घुलते कीटनाशक और मज़दूरों द्वारा दर्द कम करने के लिए बार-बार लिया जाने वाला इबुप्रोफेन। ये सभी मिलकर किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।


क्या करना ज़रूरी है?

इस बीमारी से बचाव के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि सबसे पहले इस बीमारी के बारे में जागरूक होना ज़रूरी है। क्योंकि बहुत से लोग और यहां तक कि बड़ी संख्या में डॉक्टर भी फिलहाल इससे अनजान हैं।

इसके बाद दूसरी आवश्यक बात है कि आप अपने काम को तो पूरी तरह नहीं छोड़ सकते और ना ही हर जगह काम की परिस्थितियों को बदलना आपके हाथ में है। इसलिए उन तरीकों को अपनाना लाभकारी होगा, जो इस बीमारी के खतरे को कम करते हैं। जैसे...

काम करते समय पर्याप्त पानी पिया जाए,

मजदूरों को छांव और आराम के ब्रेक मिलें

तेज़ गर्मी के समय काम से बचा जाए

वर्कप्लेस-लेवल पर अगर स्क्रीनिंग और पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग की सुविधा मिले तो शुरुआती चरण में CKDu पकड़ा जा सकता है और किडनी फेल्योर तक पहुंचने से रोका जा सकता है।


अभी और रिसर्च जरूरी है

विशेषज्ञ मानते हैं कि आगे और रिसर्च की आवश्यकता है ताकि CKDu के रिस्क फैक्टर्स और रोग प्रक्रिया को और अच्छे से समझा जा सके। डिजिटल हेल्थ टूल्स (जैसे हाइड्रेशन और बॉडी हीट मॉनिटरिंग ऐप्स) भी मददगार साबित हो सकते हैं। लेकिन डॉक्टर्स यह भी मानते हैं कि सबसे असरदार उपाय तकनीक नहीं बल्कि सबसे सरल कदम है कि आप पानी, छांव और जागरूकता को अपनाएं। यही तीन चीजें लाखों लोगों की किडनी को बचा सकती हैं।



क्या हैं CKD के लक्षण?

किडनी रोग के शुरुआती चरणों (स्टेज 1 से 3) में आपको आमतौर पर कोई भी लक्षण महसूस नहीं होते। लेकिन जैसे-जैसे किडनी की बीमारी बढ़ती है और आप इसके आगे के चरणों (स्टेज 4 और 5) में प्रवेश करते हैं तो ये लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे...

त्वचा में खुजली

मांसपेशियों में ऐंठन

कमजोरी या थकान

मतली या उल्टी

सामान्य से कम भूख लगना

पैरों, टखनों और पंजों में सूजन

सामान्य से अधिक या कम पेशाब आना

पेशाब झागदार, फेनिल या बुलबुलेदार होना (जिसका मतलब है कि पेशाब में प्रोटीन है)

सांस लेने में तकलीफ

नींद में परेशानी

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।


CKD और कौन-कौन सी स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है?

किडनी हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने में मदद करती है। जब किडनी अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं करती तो यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जैसे...

एनीमिया (शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी)

फॉस्फोरस और कैल्शियम का असंतुलन, जिससे हड्डियों की बीमारी हो सकती है

पोटैशियम का अधिक स्तर, जो दिल को नुकसान पहुँचा सकता है

एडिमा (शरीर में सूजन)


डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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