डेंटल क्लिनिक की लापरवाही से 9 लोगों की मौत, 21 डेडली बीमारी का शिकार!

सब कुछ अचानक नहीं था। वेल्लोर के Christian Medical College (CMC) के डॉक्टरों को पहला शक तब हुआ, जब एक जैसे लक्षणों वाले कई मरीज़ एक साथ आने लगे...;

Update: 2025-05-31 13:14 GMT
डेंटल क्लिनिक की लापरवाही से 10 लोग हुए जानलेवा बीमारी का शिकार!

Dental clinic outbreak: कल्पना कीजिए कि कोई व्यक्ति एक मामूली दांत दर्द के लिए क्लिनिक जाएं और लौटें ब्रेन इन्फेक्शन के साथ। वो भी इतना गंभीर ब्रेन इंफेक्शन कि कुछ ही हफ्तों में कोमा, लकवा और मृत्यु तक की स्थिति बन जाए। जानें, तमिलनाडु डेंटल क्लिनिक में आखिर ऐसा क्या हुआ, जो मामूली दांत दर्द के मरीज न्यूरो मेलियोइडोसिस जैसी जानलेवा बीमारी के शिकार हो गए?

The Lancet Regional Health जर्नल में प्रकाशित एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 21 मरीज़ एक दुर्लभ लेकिन घातक न्यूरोलॉजिकल संक्रमण न्यूरो मेलियोइडोसिस की चपेट में आ गए।

इन सभी मरीजों में इस वायरस का स्रोत एक ही बना और वो है तमिलनाडू के वानीयंबाडी का एक डेंटल क्लिनिक और उसमें इस्तेमाल हुई आधी बची सलाइन की एक बोतल।

क्या है न्यूरो मेलियोइडोसिस?

यह कोई आम संक्रमण नहीं है। बल्कि जानलेवा न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो बर्कहोल्डेरिया स्यूडोमैलेई (Burkholderia Pseudomallei) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है।

यह बैक्टीरिया आमतौर पर उष्णकटिबंधीय इलाकों (Tropical Areas) की मिट्टी और पानी में पाया जाता है।

यह त्वचा की दरारों, श्वसन मार्ग या दूषित पदार्थों के सेवन से शरीर में प्रवेश करता है।

न्यूरो मेलियोइडोसिस इसका सबसे ख़तरनाक रूप है, जहाँ यह सीधे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित करता है।

क्या हैं बीमारी के लक्षण?

तेज बुखार

चेहरे का लकवा (Facial Paralysis)

अस्पष्ट बोली (Unclear Language)

अंगों में कमजोरी

और कई मामलों में कोमा।

कैसे हुई इस 21 लोगों पर इसके प्रकोप की शुरुआत?

सब कुछ अचानक नहीं था। वेल्लोर के Christian Medical College (CMC) के डॉक्टरों को पहला शक तब हुआ, जब एक जैसे लक्षणों वाले कई मरीज़ एक साथ आने लगे। इनमें से अधिकतर तिरुपत्तूर, रानीपेट, कृष्णगिरी और तिरुवन्नामलाई जिलों से थे।

जांच में सामने आया कि 21 में से 10 मरीज़ों ने हाल ही में वानीयंबाडी के एक ही डेंटल क्लिनिक में इलाज कराया था, जैसे रूट कैनाल, दांत निकालना या सर्जिकल क्लीनिंग। यहीं से पहली चेतावनी मिली कि क्या यह संक्रमण किसी चिकित्सा-जनित लापरवाही का परिणाम है?

इसके बाद ICMR और CMC की एक संयुक्त टीम ने WHO के 10-स्टेप आउटब्रेक रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल के तहत जांच शुरू की। और जो नतीजे सामने आए वे स्तब्ध करने वाले थे। जैसे...


मरीजों को जानलेवा इंफेक्शन देने वाले इस क्लिनिक में कोई infection control training नहीं थी।

सलाइन की बोतलें अनस्टराइल उपकरणों से खोली जा रही थीं।

एक ही सलाइन बोतल का उपयोग कई मरीज़ों पर किया जा रहा था।

जांच के दौरान एक आधी इस्तेमाल की गई सलाइन बोतल में बर्कहोल्डेरिया स्यूडोमैलेई बैक्टीरिया पाया गया, जिसका जीन वेरिएंट bimABm इसे और ज़्यादा आक्रामक बना देता है।

यही स्ट्रेन एक मृतक मरीज़ के ब्रेन टिशू में भी पाया गया। इसका अर्थ यह है कि संक्रमण का सोर्स वही सलाइन था।

कैसे अटैक करता है ये बैक्टीरिया?

डॉक्टरों का मानना है कि यह बैक्टीरिया चेहरे की ट्राइजेमिनल और फेशियल नसों से होते हुए सीधे ब्रेनस्टेम तक पहुँचा। यही वजह है कि लक्षण बेहद तेज़ और घातक थे।

MRI स्कैन में “टनल साइन” जैसे दुर्लभ संकेत मिले, जो दर्शाते हैं कि बैक्टीरिया गहराई तक फैल चुका था। बैक्टीरिया से संक्रमित हुए 21 मरीजों में से 9 मरीज़ों की मृत्यु हो गई, जिनमें से 8 वानीयंबाडी क्लिनिक से संबंधित थे। और 12 में से 8 को स्थायी न्यूरोलॉजिकल नुकसान हुआ, जैसे आंशिक लकवा, बोलने में समस्या और ब्रेन डैमेज। केवल 4 मरीज़ ही पूरी तरह ठीक हो सके।

ऐसे हुए खुलासे की शुरुआत

मई 2023 में वेल्लोर के CMC में एक विवाहित जोड़ा भर्ती हुआ दोनों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण थे और दोनों ने एक ही क्लिनिक से डेंटल ट्रीटमेंट कराया था। इसी के बाद CMC ने जिला प्रशासन को चेताया और फिर यह बड़ा प्रकोप सामने आया। मरीजो में इस संक्रमण का डायग्नोसिस भी आसान नहीं था। क्योंकि पारंपरिक टेस्ट जैसे CSF कल्चर में संक्रमण पकड़ में नहीं आया। बैक्टीरिया केवल ब्रेन टिशू और ब्लड कल्चर में मिला, जो कई छोटे क्लिनिक्स में कराना संभव नहीं होता। इलाज में केवल इंट्रावेनस मेरोपेनेम एंटीबायोटिक असरदार रही। लेकिन तब तक कई मरीज़ों की मौत हो चुकी थी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबक

यह मामला केवल एक डेंटल क्लिनिक की लापरवाही का नहीं है। यह पूरे देश के लिए चेतावनी है। साफ-सफाई और स्टरलाइजेशन में छोटी चूक जानलेवा बन सकती है। एक खुली सलाइन बोतल ने कितनों की ज़िंदगी छीन ली और यह पूरी तरह रोका जा सकने वाला संक्रमण था।भारत जैसे देश में जहाँ लाखों लोग प्राइवेट क्लिनिक पर निर्भर हैं, वहां इन्फेक्शन कंट्रोल की ट्रेनिंग और बेसिक हाइजीन प्रोटोकॉल को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।

कभी-कभी चिकित्सा में लापरवाही सिर्फ एक गलती नहीं होती वह हत्या के बराबर होती है। हमें इस घटना को चेतावनी की तरह देखना होगा। वरना, कल कोई और 'सामान्य दांत दर्द' लेकर क्लिनिक जाएगा और वापस आएगा जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी के साथ।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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