हैरान कर रहा है ये वैज्ञानिक शोध, पानी हो सकता है आपके तनाव की दवा!
पानी पीना कोई आदत नहीं बल्कि दैनिक स्वास्थ्य निवेश है। जो लोग ये बात समझ लेते हैं, उन्हें तनाव, कमजोरी, पाचन, किडनी की समस्याएं होने की आशंका बहुत कम होती है।
तनाव हमारी जिंदगी का स्थायी मेहमान बन चुका है, आप इसे माने या ना मानें। काम का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां, नींद की कमी, मोबाइल की लगातार स्क्रीन देखना… और हम सोचते हैं कि तनाव कम करने के लिए ध्यान, दवा या छुट्टियां ही उपाय हैं। लेकिन वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि तनाव को संभालने की क्षमता काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करती है कि शरीर में पानी कितना है। यानी पानी तनाव को जादू की तरह मिटाता नहीं है लेकिन शरीर और मस्तिष्क दोनों को स्थिर बनाकर तनाव से लड़ने की शक्ति बढ़ाता है...
डिहाइड्रेशन और बढ़ा तनाव: जब कॉर्टिसोल शरीर को अलर्ट मोड में डाल देता है
जब शरीर में पानी की कमी होती है तब यह केवल प्यास तक सीमित नहीं रहती। बल्कि मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पानी की कमी के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। साल 2022 में Journal of Biological Psychology में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, हल्का डिहाइड्रेशन भी कॉर्टिसोल (Cortisol) के स्तर को बढ़ा सकता है। यही वह “स्ट्रेस हार्मोन” है, जो शरीर को अलर्ट मोड में डाल देता है। इस स्थिति में शरीर थकान, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, ध्यान की कमी, दिल की धड़कन बढ़ने और मानसिक दबाव जैसे संकेत देने लगता है। इसलिए कई बार तनाव की असली वजह बड़ी नहीं होती। बस पानी की कमी होती है।
पर्याप्त पानी क्यों बनाता है दिमाग को अधिक शांत, स्पष्ट और स्थिर
जब शरीर में पानी सही मात्रा में हो तब खून में ऑक्सीजन, ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट्स का संचार बेहतर रहता है। इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। साल 2023 में Hydration Neuroscience Study, University of Connecticut ने पाया कि सही हाइड्रेशन से ब्रेन की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी (Electrical Activity) स्थिर होती है। इस कारण निर्रणय लेने की क्षमता, मूड अस्थिर, भावनात्मक नियंत्रण (Decision-Making, Mood Balance और Emotional Regulation) क्षमता बेहतर होती है। दिमाग जब अपनी पूरी क्षमता से काम करता है और उसे ऑक्सीजन व ऊर्जा पर्याप्त मिलती है तो तनाव और चिंता को संभालना कहीं अधिक आसान हो जाता है। यानी पानी पीना सिर्फ प्यास बुझाना नहीं, दिमाग को संतुलन देना भी है।
सर्दी, गर्मी या बिज़ी दिन: हल्का डिहाइड्रेशन धीरे-धीरे तनाव को बढ़ाता है
हम अक्सर मानते हैं कि पानी तभी पीना है, जब प्यास लगे। लेकिन यह सोच शरीर को नुकसान पहुंचाती है। ठंड में प्यास कम लगती है, गर्मी में पसीना पानी चुरा लेता है और व्यस्त दिनों में हम पानी पीना भूल जाते हैं। ऐसे में रोज-रोज हल्का डिहाइड्रेशन होता रहता है। साल 2024 की यूरोपियन स्ट्रेस ऐंड हाइड्रेशन रिव्यू के अनुसार, जो लोग लगातार कम पानी पीते हैं, वे लंबे समय में एंग्जाइटी (Anxiety), थकान (Fatigue) और चिड़चिड़ापन (Irritability) की स्थिति अधिक खतरनाक होती जाती है, जबकि पर्याप्त पानी पीने वाले लोग इतने ही तनाव की परिस्थितियों में अधिक शांत और स्थिर पाए गए।
पानी पीना: तनाव कम होने की शुरुआत
तनाव मिटाने के लिए योग, मेडिटेशन, नींद, प्रकृति में समय और भावनात्मक संतुलन बहुत जरूरी हैं। लेकिन हाइड्रेशन वह बुनियाद है, जिस पर बाकी सब काम करता है। जब दिमाग तनाव को संभालने की स्थिति में हो तब ही नींद गहरी आती है, भावनाएं नियंत्रित रहती हैं और सोचने या निर्णय लेने की स्थिति अच्छी बनी रहती है। पानी इस संतुलन की शुरुआत है। इसलिए मौसम, काम या दिनचर्या कोई भी हो, पानी का स्तर बनाए रखना तनाव से लड़ने की सबसे सरल और असरदार रणनीति है।
पानी की कमी से हो सकती हैं ये बीमारियां
पानी की कमी को हम अक्सर हल्के में ले लेते हैं। लेकिन शरीर इसे कभी हल्के में नहीं लेता। जब पानी घटता है तो सबसे पहले दिमाग और नर्वस सिस्टम प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि हल्का-सा डिहाइड्रेशन भी चिड़चिड़ापन, मूड खराब होना, ध्यान न लगना और सिरदर्द पैदा कर देता है। यह सिर्फ अनुभव नहीं बल्कि विज्ञान है।
नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन-2012 (National Library of Medicine के 2012) के अध्ययन ने साबित किया कि केवल 1–2% पानी की कमी होने पर भी मूड और cognitive performance खराब होने लगती है। इसके साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी-2025 की हाइड्रेशन ऐंड कॉग्निटिव हेल्थ रिव्यू (hydration and cognitive health review) बताती है कि पर्याप्त पानी न मिलने से दिमाग के काम करने की क्षमता धीमी होती है और मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।
पाचन तंत्र पर पानी का असर
पाचन तंत्र पर इसका असर और स्पष्ट दिखता है। जब शरीर में पानी कम होता है तो आंतें मल में से पानी खींच लेती हैं, जिससे मल सख्त हो जाता है और कब्ज का खतरा बढ़ जाता है। यह चिकित्सा सिद्धांत दशकों से मान्य है और न्यूट्रिशन रिव्यू जर्नल-2023 (Nutrition Reviews Journal की 2023) के चिकित्सकीय मूल्यांकन रिपोर्ट में यह लिखा गया कि डिहाइड्रेशन पाचन प्रक्रिया को धीमा करके सीने की जलन, खट्टी डकारें,पेट फूलना और पेट संबंधी अन्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
बढ़ता है किडनी स्टोन का खतरा
किडनी पर पानी की कमी का प्रभाव सबसे गंभीर हो सकता है। पानी कम होगा तो यूरिन गाढ़ा होगा और जब यूरिन में कैल्शियम और अन्य खनिजों का घनत्व बढ़ता है तो किडनी स्टोन बनते हैं। इस तथ्य को नेशनल किडनी स्टोन फाउंडेशन (National Kidney Foundation-2024) की मेटाबॉलिक नेफ्रॉलॉजी रिपोर्ट में बहुत स्पष्ट रूप से बताया कि डिहाइड्रेशन किडनी स्टोन बनने को तीव्रता से बढ़ाता है। यही नहीं, इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक बार-बार होने वाला डिहाइड्रेशन किडनी को कमजोर करके किडनी की गंभीर बीमारी की ओर भी ले जा सकता है। इसके साथ ही बीएमसी पब्लिक हेल्थ-2018 के अध्ययन के अनुसार, कम पानी पीना यूटीआई और मूत्र संक्रमण का एक प्रमुख कारण है, विशेषकर महिलाओं में।
कमजोरी बनी रहती है
शरीर की ऊर्जा और ताकत पर भी पानी गहरा असर डालता है। मांसपेशियों के संकुचन, ऑक्सीजन की आपूर्ति और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन जैसी तीनों आवश्यक प्रक्रियाओं के लिए पानी अनिवार्य है। इसलिए हल्का-सा डिहाइड्रेशन भी थकान बढ़ाता है और शरीर की काम करने की क्षमता गिरने लगती है। MDPI Journal of Nutrition की 2023 की सिस्टमेटिक रिव्यू में पाया गया कि डिहाइड्रेशन थकान के सबसे बड़े जैविक कारणों में शामिल है और यह मूड की अस्थिरता तथा शारीरिक गिरावट दोनों को एक साथ बढ़ाता है।
बुज़ुर्गों में स्थिति और चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि उम्र के साथ प्यास लगने के संकेत कम हो जाते हैं। इसलिए उन्हें पानी कम पीने का एहसास भी नहीं होता और शरीर बिना आवाज़ किए डिहाइड्रेशन झेलता रहता है। इस विषय में Hydration Status in Older Adults model analysis 2023 (MDPI Nutrition Journal) ने बताया कि हल्का डिहाइड्रेशन भी बुज़ुर्गों में उलझन, अचानक शारीरिक संतुलन बिगड़ने से गिरने का खतरा, मांसपेशियों की कमजोरी की संभावना बढ़ा देता है। इससे हॉस्पिटल में भर्ती होने की स्थिति बन जाती है।
कुल मिलाकर पानी मात्र प्यास बुझाने का पदार्थ नहीं है। यह शरीर की हर क्रिया, मस्तिष्क, पाचन, किडनी, ऊर्जा और मानसिक संतुलन इत्यादि सबका मूल है। विज्ञान यह बार-बार साबित कर चुका है कि पानी की थोड़ी-सी कमी भी स्वास्थ्य पर व्यापक, तेज और खतरनाक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए पानी पीना कोई आदत नहीं बल्कि एक दैनिक स्वास्थ्य निवेश है। जो लोग इस बात को समझ लेते हैं, उन्हें तनाव, कमजोरी, पाचन संबंधी गड़बड़ या किडनी संबंधी समस्याएं होने की आशंका बहुत कम हो जाती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।