प्लेट से पेट तक चर्बी का सफर, जानें आखिर क्यों मुश्किल लगती है फिटनेस

वैज्ञानिकों ने 100 से अधिक शोधों का तुलनात्मक अध्ययन करके, फिटनेस बढ़ाने के ऐसा आसान उपाय सुझाया है कि आपकी खुशी सातवें आसमान पर होगी...

Update: 2025-11-22 05:37 GMT
खाने के रूप में खिलाई जा रही है चर्बी, इसमें भोजन कम भूसा ज्यादा है!
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वेटलॉस करना, फिटनेस पर ध्यान देना और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए हर सेलेब्स से प्रभावित होकर तुरंत जिम जॉइन करना और फिर जल्दी ही इससे बोर हो जाना। यह सब सिलसिला काफी लंबे समय तक चलता और फिर एक समय ऐसा आता है, जब ज्यादातर लोग सेहत को अनदेखा कर इस बात को निराशा के साथ स्वीकारने लगते हैं कि फिट रहना बहुत मुश्किल काम है। जबकि वास्तविकता इससे एकदम अलग है। सच जानने के लिए आपको हाल ही हुई इस स्टडी पर जरूर ध्यान देना चाहिए...


प्लेट से पेट तक चुपचाप चढ़ती एक ग्लोबल महामारी


क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी थाली में रखा वो चमकीले पैकेट वाला “स्नैक”, मुलायम ब्रेड, वो इंस्टेंट नूडल्स और कलरफुल बॉटल में हाई शुगर ड्रिंक्स... आखिर किस हद तक असली खाना है? इस सप्ताह, दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों ने कड़ी चेतावनी जारी की है। जिसमें बताया गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) एक ऐसी वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, जिसे अब नज़रअंदाज़ करना सीधे-सीधे आत्मघाती कदम होगा। तीन बड़े शोध-पत्रों ने मिलकर साफ कर दिया कि UPF वही कर रहा है, जो कभी तंबाकू ने दुनिया के साथ किया था। यानी धीरे-धीरे, चुपचाप, आदत बनाकर मारना।


बीमारी की जड़ हमारी थाली में छुपी है

शोधकर्ताओं ने 104 वैज्ञानिक अध्ययनों का मेगा-रिव्यू किया। नतीजे इतने भारी हैं कि किसी भी सरकार का चुप बैठना मुश्किल होना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना सेहत से जुड़ी भयावह समस्याओं का कारण बन सकता है। इन अलग-अलग शोध के रिजल्ट्स को जब एक साथ मिलाकर इनका असर देखा गया तो इस तरह के परिणाम सामने आए...

मोटापा कई गुना बढ़ा

टाइप-2 डायबिटीज़ का रिस्क लगातार ऊपर बढ़ रहा है

हृदय रोग सबसे बड़ा किलर बनकर सामने आया

डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं लगातार लोगों को अपने चपेट में ले रही हैं।

कैंसर से संभावित संबंध सामने आए।

और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि असमय मृत्यु का जोखिम बढ़ा


लैंसेट की नई चेतावनी: भारत में मोटापा और मधुमेह की लहर

इंस्टैंट नूडल्स, चिप्स, बिस्कुट, पैक किए हुए पेय और यहाँ तक कि “हेल्दी” कहकर बेचे जा रहे सीरियल,ये सभी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य (UPFs) धीरे-धीरे भारतीय रसोई का रोज़मर्रा हिस्सा बन गए हैं। ऐसा लग भी नहीं पाता कि हम इन्हें कितनी आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर चुके हैं। पर अब शोध जर्नल लैंसेट की तीन-शोधन वाली श्रृंखला ने साफ़ चेतावनी जारी की है। ये कारखाने में बनाए गए, संरक्षकों और योजकों से भरे उत्पाद न केवल विश्वभर में मोटापा और मधुमेह बढ़ा रहे हैं बल्कि यह बढ़ोतरी भारत में सबसे तेज़ दिख रही है।

श्रृंखला में दुनिया भर से वैज्ञानिक प्रमाणों को एकत्र किया गया है। इसमें 104 अध्ययनों की समीक्षा हुई और इनमें से 92 अध्ययनों ने यह मज़बूती से बताया कि UPF-प्रधान आहार दीर्घकालिक बीमारियों से सीधा संबंध रखता है। यहां तक कि 15 प्रमुख स्वास्थ्य-परिणामों पर किए गए विस्तृत मेटा-विश्लेषण में 12 परिणामों में UPFs का स्पष्ट नकारात्मक प्रभाव दिखा। टाइप-2 मधुमेह, मोटापा, हृदय जोखिम और यहाँ तक कि अवसाद तक इसमें शामिल हैं।


UPF खतरनाक क्यों हैं?

यह कोई सोशल मीडिया अफवाह नहीं,यह पीयर-रिव्यूड, इंटरनेशनल डेटा है। ये UPF बेहद खतरनाक हैं क्योंकि ये सिर्फ कैलोरी नहीं हैं बल्कि ये आपके शरीर की बायोलॉजी को ‘हैक’ करते हैं। इन UPF की सबसे खतरनाक बात यह है कि ये सिर्फ “जंक” नहीं हैं बल्कि ये आपके शरीर के हार्मोन, भूख प्रणाली, मस्तिष्क की रिवार्ड सर्किट और मेटाबॉलिज़म को बदल देते हैं।

वैज्ञानिक चार मुख्य वजहें बताते हैं

कैलोरी-डेंस & न्युट्रिएंट-लाइट

यानी पेट भरता है, पोषण नहीं मिलता।

परिणाम? आप और खाते जाते हैं।

वसा + चीनी + नमक का ‘लुभावना फार्मूला’

यह कॉम्बो आपकी भूख की प्राकृतिक सीमा को तोड़ देता है।

ब्रेन “स्टॉप” कहना भूल जाता है — यही ओवरईटिंग की जड़ है।

तेजी से खाना निगलना

UPF इतने मुलायम, इतने प्रोसेस्ड होते हैं कि इन्हें खाने में चबाना नहीं पड़ता। इस कारण आप तेजी से खाना निगलते हैं और शरीर को तृप्ति सिग्नल भेजने का समय ही नहीं मिलता।


एडिटिव्स, फ्लेवर, इमल्सीफायर्स

एडिटिव्स, फ्लेवर, इमल्सीफायर्स, जो रसोई में कभी नहीं मिलते ये ऐसे कंपाउंड हैं जो आंतों की परत को प्रभावित कर सकते हैं,

गट माइक्रोबायोम बदल सकते हैं और सूजन (inflammation) बढ़ा सकते हैं। 


नई रिपोर्ट में दिखी हेल्थ लीडर्स की सच्चाई

 

सबसे ज्यादा UPF कौन खा रहा है? वो देश जो खुद को ‘हेल्थ-लीडर’ कहते हैं। नई रिपोर्ट के अनुसार...

अमेरिका - 50%+ कैलोरी UPF से

ऑस्ट्रेलिया - 50%+

यूके - 50%+

इसका अर्थ यह है कि आधी डाइट ऐसे खाने से बनी है, जिसे वैज्ञानिक “फ़ूड” मानने को तैयार ही नहीं।

भारतीयों के लिए खुशी की बात

भारत अभी इन स्तरों तक नहीं पहुंचा है। लेकिन शहरी भारतीय युवाओं की डाइट में UPF का हिस्सा तेजी से बढ़ रहा है। भारत का स्नैक मार्केट, इंस्टेंट फूड मार्केट, रेडी-टू-ईट मार्केट,सब दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं। ये चेतावनी हमारे लिए आने वाले समय का संकेत है। खास बात यह है कि पूरी दुनिया में कुछ चुनिंदा कंपनी ही इस मार्केट को बढ़ावा दे रही हैं। खैर, हमारा फोकस किसी कंपनी की नीतियों पर बात करना नहीं बल्कि आपकी सेहत को संवारने की और आपका ध्यान दिलाना है।


जान लीजिए कि जब तक आप ना चाहें, तब तक कोई आपको कचरा नहीं खिला सकता! मॉर्डन लाइफस्टाइल के नाम पर, फास्ट लाइफ के नाम पर, टाइम की कमी के नाम पर या पीयर प्रेशर के चलते या फिर किसी और भी कारण के चलते, अगर आप उन फूड आइटम्स की तरफ बढ़ रहे हैं, जो परंपरागत रूप से हमारे भोजन का हिस्सा नहीं हैं तो आप अपनी फिटनेस और सेहत दोनों को खराब कर रहे हैं। 


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल रिसर्च और शोध पेपर्स पर आधारित है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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