लियोनेल मेसी का भारत आगमन: घरेलू फुटबॉल की हकीकत
भारतीय फुटबॉल का हाल पिछले एक साल में सबसे खराब रहा। इंडियन सुपर लीग (ISL) ठहरी हुई है। कोई खरीदार नहीं है, सीजन शुरू नहीं हो पा रहा और लगभग 300 भारतीय फुटबॉलर्स बेरोजगार हैं।
इस हफ्ते लियोनेल मेसी का भारत आना बड़ी खबर बन गया। हर जगह उनकी चर्चा रही—भीड़, कैमरे, वीआईपी पास और ‘इतिहास रचने’ के दावे। लेकिन सवाल यह है कि जब देश में फुटबॉल खुद ICU में पड़ा हो, तब किसी फुटबॉलर का जश्न कैसे मनाया जाए? अनुमान है कि मेसी को भारत लाने के लिए आयोजकों ने करीब 120 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें उनकी फीस, प्राइवेट जेट, सुरक्षा, मेहमाननवाजी और ऑपरेशनल खर्च शामिल हैं। इस निवेश की भरपाई के लिए कॉरपोरेट स्पॉन्सरशिप, सरकारी साझेदारियां, 10 हजार से 30 हजार रुपये के टिकट, 10 लाख रुपये वाले निजी मीट-एंड-ग्रीट और टीवी राइट्स जैसी योजनाएं बनाई गईं। मेसी की 72 घंटे की भारत यात्रा में पैसा, ताकत और ग्लैमर इस कदर था कि किसी तरह की फुटबॉल रॉयल्टी दिखाई देती रही।
घरेलू फुटबॉल की हकीकत
इसके विपरीत भारतीय फुटबॉल का हाल पिछले एक साल में सबसे खराब रहा। इंडियन सुपर लीग (ISL) ठहरी हुई है। कोई खरीदार नहीं है, सीजन शुरू नहीं हो पा रहा और लगभग 300 भारतीय फुटबॉलर्स बेरोजगार हैं। दिग्गज खिलाड़ी जैसे सुनील छेत्री और गुरप्रीत सिंह संधू को सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगानी पड़ी। रिलायंस ने करीब एक दशक तक ISL संभाली, लेकिन लगातार घाटे और AIFF के साथ मतभेदों के बाद उसने हाथ खड़े कर दिए। नीचे की लीगों का हाल और भी खराब है। भारत की दूसरी श्रेणी की पुरुष लीग, I-League, के संचालन के लिए इस साल कोई बोली नहीं आई। यह सिर्फ AIFF की अक्षमता नहीं है, बल्कि खेल के प्रति उदासीनता की बड़ी तस्वीर भी है। ISL के पूरे सीजन की लागत लगभग 100 करोड़ रुपये बताई जाती है। वहीं AIFF न्यूनतम 37.5 करोड़ रुपये की गारंटी मांग रहा है। यानी तीन सीजन के खर्च के बराबर पैसा मेसी की तीन दिन की यात्रा पर लगा। फिर भी कोई कॉरपोरेट, राज्य सरकार या अमीर संरक्षक आगे नहीं आ रहे। टिकट खरीदने वाली मिडिल क्लास भी नदारद है। खेल मंत्रालय ने साफ कहा कि ISL को फंड या संचालन में मदद नहीं करेगा। यह पूरी जिम्मेदारी स्टेकहोल्डर्स पर है।
राष्ट्रीय टीम की स्थिति
भारतीय पुरुष टीम इस वक्त FIFA रैंकिंग में 142वें स्थान पर है, जो पिछले दशक का सबसे खराब प्रदर्शन है। हालिया हारें बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसी टीमों के खिलाफ आई हैं। भारत अगले AFC एशियन कप के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर पाया। इस सबका मतलब साफ है कि भारत में लोग खेल से नहीं, खेल सितारों से प्यार करते हैं।
मेसी का दौरा बदलाव ला सकता है?
भारतीय फुटबॉल को सुधारने की जिम्मेदारी मेसी की नहीं है। यह उम्मीद करना कि किसी सुपरस्टार की यात्रा से जर्जर सिस्टम बदल जाएगा, भोलेपन के सिवा कुछ नहीं। लेकिन अगर मेसी ने VIP इवेंट की बजाय अंडर-17, अंडर-23 या महिला सीनियर टीम के साथ समय बिताया होता, तो शायद इस दौरे का मतलब कुछ और होता।