स्मोकिंग करते नहीं फिर भी हांफने लगा फेफड़ा, प्रदूषण की बीमारी लाइलाज
दिल्ली और एनसीआर के लोग इस समय जहरीली हवा में जी रहे हैं। सरकारों की तरफ से पिछले वादे की तरह एक और वादा। सवाल ये है कि इसका इलाज क्या है।
Delhi NCR Pollution News: हर साल अक्टूबर महीना के आते ही दिल्ली और एनसीआर बीमार होने लगती है। दिल्ली-एनसीआर की हवाओं को प्रदूषण अपनी गिरफ्त में ले लेता है। सुबह उठते ही हम सब वायु गुणवत्ता सूचकांक देखते हैं कि हवा कितनी और जहरीली हुई। फिर अपने अपने इलाकों की तस्वीर देखते हैं। इस तरह की तस्वीर साल 2024 या 2023 की नहीं है दशकों से चलती आ रही है। सरकार किसी की भी हो दोष देने का काम एक जैसा। सरकारी एजेंसियां दावे तो बड़ी बड़ी करती हैं। लेकिन नतीजा सिफर। हालात ये है कि ऐसे लोग जो स्मोकिंग नहीं करते हैं वो भी 4 से 6 सिगरेट के बराबर धुआं अपने फेफड़ों में भर रहे हैं। यानी कि उनकी परेशानी की वजह स्मॉग है हालांकि पहले एयर क्लाविटी इंडेक्स को समझने की जरूरत है।
दिल्ली- एनसीआर का हाल एक जैसा
0 से 50 के बीच का AQI 'अच्छा', 51 से 100 'संतोषजनक', 101 से 200 'मध्यम', 201 से 300 'खराब', 301 से 400 'बहुत खराब' और 401 से 500 'गंभीर' माना जाता है। अब इस रीडिंग के जरिए अंदाजा लगा सकते हैं कि दिल्ली एनसीआर के लोग प्रदूषण के गंभीर स्तर का सामना कर रहे हैं।
उपाय, जो जमीन पर नजर नहीं आता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ये सरकारें वाकई कानून लागू करने में दिलचस्पी रखती हैं तो कम से कम एक मुकदमा तो होना ही चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा कि करीब 1080 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन आपने सिर्फ 473 लोगों से मामूली जुर्माना वसूला है। आप 600 या उससे ज्यादा लोगों को छोड़ रहे हैं। हम आपको साफ-साफ बता दें कि आप उल्लंघनकर्ताओं को यह संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा। यह पिछले तीन सालों से हो रहा है।