कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव की अटकलों के बीच परमेश्वर भी CM दौड़ में

जैसे ही कांग्रेस सरकार ने अपना आधा रास्ता पार किया, पावर-शेयरिंग समझौते के दावों और दलित CM की नई मांगों के बीच लीडरशिप में बदलाव की बातें तेज़ हो गईं।

Update: 2025-11-23 10:11 GMT

Karnataka Congress Internal Politics : कर्नाटक की राजनीति में फिर से नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसी बीच राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने रविवार (23 नवम्बर) को संकेत दिया कि अगर कांग्रेस नेतृत्व बदलाव का फैसला लेता है, तो वे भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हो सकते हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब पार्टी के भीतर “दलित मुख्यमंत्री” की मांग जोर पकड़ रही है।


हाईकमान ने अभी कुछ नहीं कहा


परमेश्वर ने हालांकि पार्टी में किसी तरह की उथल-पुथल या खींचतान की खबरों को कमतर बताया। उन्होंने कहा कि न तो कांग्रेस हाईकमान की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक में इस पर चर्चा हुई है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि नेतृत्व परिवर्तन का कोई भी निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे लेंगे। वह भी तब, जब वे इस पर राहुल गांधी से चर्चा कर लें, जो इस वक्त विदेश में हैं।


मैं हमेशा रेस में रहा हूँ


कथित ‘नवंबर क्रांति’, अर्थात सरकार के कार्यकाल के आधे पड़ाव के बाद मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें लगातार तेज हो रही हैं। इन अटकलों की वजह 2023 में सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार के बीच कथित पावर-शेयरिंग फॉर्मूले की चर्चाएँ भी हैं।

ऐसी स्थिति में जब परमेश्वर से पूछा गया कि क्या वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, तो उन्होंने बेझिझक कहा:

मैं हमेशा से रेस में हूँ, इसमें कोई नई बात नहीं है। 2013 में जब मैं प्रदेश कांग्रेस समिति (PCC) अध्यक्ष था, तब हमने कांग्रेस को सत्ता में लाया था। मैंने कभी इसका क्रेडिट अकेले नहीं लिया। अगर मैं चुनाव नहीं हारता, तो क्या होता? कह नहीं सकता।

बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में परंपरा है कि PCC अध्यक्ष को मौका दिया जाता है, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाईकमान से अनुरोध करने का सवाल ही तब उठेगा, जब इस तरह की स्थिति पैदा हो। अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं है।

उन्होंने अपने नाम को लेकर चल रही कयासबाज़ी पर कहा कि यह सब ‘मीडिया की बनाई हुई बातें’ हैं।


दलित मुख्यमंत्री की मांग फिर चर्चा में


जब उनसे पूछा गया कि क्या नेतृत्व बदलने पर दलित मुख्यमंत्री की मांग ज़ोर पकड़ रही है, खासकर तब, जब एससी/एसटी मंत्रियों की बैठकों में वे, एच.सी. महादेवप्पा और सतीश जरकीहोली जैसे नेता शामिल होते रहे हैं, तो परमेश्वर ने कहा कि दलित मुख्यमंत्री की मांग बहुत पुरानी है। क्या सिर्फ़ कुछ बैठकें होने से ये हो जाएगा?

उन्होंने बताया कि ये बैठकें समुदाय से जुड़े मुद्दों जैसे एससी वर्गों में आंतरिक आरक्षण पर चर्चा के लिए होती हैं। परमेश्वर और महादेवप्पा जैसे नेता पहले भी दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर खुलकर बोलते रहे हैं।


पावर-शेयरिंग को लेकर भ्रम का सवाल खड़गे जी से पूछें


सिद्धारमैया के शनिवार को पार्टी अध्यक्ष खड़गे से मिलने के बाद पावर-शेयरिंग फॉर्मूले पर कांग्रेस में भ्रम की बात उठी। इस पर परमेश्वर ने कहा कि इसका जवाब पार्टी अध्यक्ष ही दे सकते हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि फिलहाल उनकी खुद की खड़गे से मिलने की कोई योजना नहीं है।


2.5 साल का फॉर्मूला कहीं तय नहीं हुआ था


परमेश्वर ने कहा कि 2023 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सिद्धारमैया को हाईकमान के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री चुना गया था, और उस समय उनके कार्यकाल को ढाई साल तक सीमित करने की कोई बात नहीं हुई थी।


(एजेंसी इनपुट के साथ)


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