कश्मीर में BJP नेता की बगावत, घर गिराने की नीति पर उठाए सवाल
भट के बयान ने एक बार फिर उस बहस को हवा दे दी है कि आतंकवाद रोकने के नाम पर घर तोड़ने की नीति समाधान है या यह कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाके में और दूरियां पैदा करती है।
बीजेपी नेता अरशद भट एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने पिछले साल कश्मीर में असहमति जताने वालों पर कड़े कानूनों के इस्तेमाल का विरोध किया था। इस बार उन्होंने पुलवामा के रहने वाले डॉ. उमर नबी के घर को गिराए जाने पर सवाल उठाए हैं और यही बात अब उनकी पार्टी बीजेपी को नागवार गुजर रही है।
कौन हैं अरशद भट?
35 वर्षीय अरशद भट पुलवामा के ददूरा गांव के सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह पिछले साल राजपोरा विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार भी रहे थे। चुनाव हारने के बावजूद वे पार्टी में तेजी से आगे बढ़े और हाल ही में उन्हें J&K बीजेपी किसान मोर्चा का प्रमुख बनाया गया।
10 नवंबर को दिल्ली में हुए रेड फोर्ट कार ब्लास्ट में 12 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में पुलवामा के डॉक्टर उमर नबी को संदिग्ध माना जा रहा है। 14 नवंबर की रात प्रशासन ने नबी के कोइल स्थित दो-मंजिला घर को खाली करवाकर विस्फोटक लगाकर ढहा दिया।
भट का विरोध
घटना के कुछ दिन बाद भट ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आतंकी के पिता को आतंकी नहीं कहा जा सकता। कश्मीरियों की स्थिति जटिल है, यहां तक कि शेख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सईद की कब्रों की भी सुरक्षा होती है। पूरे परिवार को सजा देना गलत है। उन्होंने यूपी में शुरू हुई बुलडोजर कार्रवाई का भी जिक्र किया और कहा कि यह नीति अब अन्य राज्यों में भी लागू हो रही है, जो ठीक नहीं है।
बीजेपी की सख्त प्रतिक्रिया
बीजेपी जम्मू-कश्मीर यूनिट के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि भट के बयान पार्टी की लाइन नहीं हैं। अगर कोई पार्टी लाइन से हटकर चलता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
भट ने उठाए सवाल
कई सामाजिक कार्यों के लिए पहचाने जाने वाले भट ने कहा कि हम सभ्य समाज में रहते हैं। घर उड़ाना समाधान नहीं है। अगर कोई व्यक्ति अपराधी है तो उसका परिवार क्यों सजा झेले? उन्होंने पुलवामा के ही डॉक्टर मुज़म्मिल शकील गनी के परिवार का उदाहरण दिया, जिन पर NIA जांच कर रही है। भट का कहना है कि अगर बच्चे ने गलती की है तो कड़ी सजा मिले, लेकिन घर क्यों गिराया जा रहा है?
बीजेपी का पलटवार
पार्टी का कहना है कि आतंक से जुड़े किसी ढांचे को बख्शा नहीं जा सकता। जो लोग घर गिराए जाने पर दुख जता रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि घर फिर बन सकता है, लेकिन आतंक से मारे गए लोग वापस नहीं आ सकते।
भट का जिद पर अडिग रहना
भट का कहना है कि उन्होंने कभी पार्टी-विरोधी काम नहीं किया। वह बताते हैं कि कोविड के दौरान उन्हें छह महीने जेल में रहना पड़ा था—यह राजनीतिक प्रतिशोध था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी राय पर कायम रहते हुए कहा कि किसी परिवार को आरोपी के अपराध की सजा नहीं मिलनी चाहिए।